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हर क्षेत्र में सफलता के नए आयाम छू रहीं महिलाएं, समाज को दे रहीं नई दिशा… –

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नई दिल्ली। आज के दौर में महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। घर की जिम्मेदारियों से लेकर प्रोफेशनल जिंदगी तक, महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि वे किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। शिक्षा, उद्यमिता, विज्ञान, कला, खेल, राजनीति, और सामाजिक सुधार जैसे क्षेत्रों में महिलाओं का योगदान तेजी से बढ़ रहा है। वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं और समाज को नई दिशा दे रही हैं।

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मध्यप्रदेश के भोपाल निवासी मनीषा आनंद, कॉरपोरेट ट्रेनर फॉर टीम बिल्डिंग एंड लीडरशिप, भोपाल, एमपी ने एक प्रेरक यात्रा तय की है। शादी के बाद भोपाल आने पर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और पीएससी की तैयारी शुरू की। एमपी पीएससी और राजस्थान पीएससी दोनों में चयनित होने के बावजूद, उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं को छोड़कर अपने सपनों का पीछा करने का निर्णय लिया। 2007 में उन्होंने अपना कोचिंग इंस्टीट्यूट शुरू किया, जो अगले कुछ ही वर्षों में एक प्रतिष्ठित संस्थान बन गया। स्टूडेंट्स के साथ व्यक्तिगत काउंसलिंग और मोटिवेशन पर फोकस ने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई।

ट्रेनिंग और काउंसलिंग के क्षेत्र में सफलता

इंस्टीट्यूट के बाद मनीषा ने ट्रेनिंग और काउंसलिंग में करियर शुरू किया। उन्होंने मध्यप्रदेश के प्रशासनिक अकादमियों, पुलिस हेडक्वार्टर्स, कॉर्पोरेट कंपनियों और यूनिवर्सिटीज़ में स्ट्रेस मैनेजमेंट, कम्युनिकेशन स्किल्स, पब्लिक स्पीकिंग, और टीम बिल्डिंग जैसे विषयों पर सेशन दिए। उनकी ट्रेनिंग्स न केवल प्रदेश में बल्कि देश के कई हिस्सों जैसे बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश तक फैली हैं। अपने पैशन और समर्पण के दम पर उन्होंने ट्रेनिंग के क्षेत्र में खुद को एक विश्वसनीय नाम बनाया है।

उपलब्धियां और प्रेरणा

मनीषा आनंद को कई प्रतिष्ठित अवार्ड्स से सम्मानित किया गया है। 2024 में उन्होंने मिसेस इंडिया का खिताब जीता, जिसमें उनके कम्युनिकेशन स्किल्स और पब्लिक स्पीकिंग ने अहम भूमिका निभाई। उनका मानना है कि असली पुरस्कार वे संदेश और सराहना हैं, जो लोग उनकी प्रेरणादायक कहानियों और कार्यों से प्रेरित होकर भेजते हैं। पारिवारिक जिम्मेदारियों और प्रोफेशनल करियर में संतुलन बनाते हुए मनीषा आनंद ने यह साबित कर दिया है कि जुनून और समर्पण से किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है।

मध्यप्रदेश के भोपाल की रहने वाली प्रिया तिवारी ने मिस सेंट्रल इंडिया 2023 का खिताब जीतकर शहर और प्रदेश का नाम रोशन किया। इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई करने वाली प्रिया ने 2022 में अपने जुनून और रुचि को पहचानते हुए मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा। मिस्टर-मिस मध्य प्रदेश प्रतियोगिता से अपनी यात्रा शुरू करने वाली प्रिया ने अब तक 23 खिताब जीते हैं, जिनमें मिस इंडिया क्वीन और मिस इंटरनेशनल क्वीन ऑफ इंडिया जैसे प्रतिष्ठित खिताब शामिल हैं। प्रिया का कहना है कि पढ़ाई और कॉरपोरेट क्षेत्र में पहचान बनाने के बाद उन्होंने अपनी प्रतिभा को एक नई दिशा देने का निर्णय लिया और आज वह देश के बड़े रनवे और फैशन वीक में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

शिक्षा से ग्लैमर की दुनिया तक की प्रेरक यात्रा

प्रिया ने अपनी पढ़ाई के दौरान हमेशा शीर्ष स्थान प्राप्त किया, लेकिन उन्होंने महसूस किया कि जीवन में पढ़ाई और पेशेवर पहचान से परे भी कुछ करना चाहिए। उन्होंने 2022 में मॉडलिंग में कदम रखा और अपनी लगन और मेहनत से कई खिताब जीते। प्रिया का कहना है कि पहले लोग उन्हें उनकी शैक्षणिक और कॉरपोरेट उपलब्धियों के लिए जानते थे, लेकिन अब वह एक पब्लिक फिगर और ब्यूटी क्वीन के रूप में पहचान बना चुकी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस नई पहचान ने उन्हें अपने जीवन में आत्मविश्वास और संतोष दिया है।

भविष्य की योजनाएं और महिलाओं के लिए संदेश

प्रिया तिवारी का सपना है कि वह 2025 तक अपना खुद का शो लॉन्च करें और अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करें। वह महिलाओं को प्रोत्साहित करती हैं कि वे अपने सपनों को पाने के लिए आत्मनिर्भर बनें और किसी भी सामाजिक दबाव से डरें नहीं। प्रिया का मानना है कि महिलाएं, चाहे वे गृहिणी हों, कामकाजी हों, या कोई अन्य भूमिका निभा रही हों, अपने अंदर एक अनोखा सामर्थ्य रखती हैं। वह कहती हैं, “हम महिलाएं खुद में एक क्वीन हैं और हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए साहसिक कदम उठाने से डरना नहीं चाहिए।”

मध्यप्रदेश के गंजबासौदा की रहने वाली दीपा अरोरा ने तीन साल पहले अपने स्टार्टअप “शिवाय केक्स” की शुरुआत की और आज अपने हुनर से सभी के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। फैमिली और इन-लॉज के सपोर्ट से उन्होंने 2021 में घर से ही इस काम की शुरुआत की। कोविड के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर और घर पर प्रैक्टिस कर केक बनाने की कला सीखी। दोस्तों और रिश्तेदारों की तारीफों और प्रेरणा ने उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए आत्मविश्वास दिया। दीपा बताती हैं कि उनका पहला ऑर्डर उनके ही फैमिली मेंबर से आया, जिसने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

गंजबासौदा से इंदौर तक “शिवाय केक्स” की यात्रा

दीपा का स्टार्टअप, “शिवाय केक्स,” आज गंजबासौदा में लोकप्रिय नाम बन चुका है। वह अपने कस्टमर्स के लिए फ्रेश क्रीम और एगलेस केक बनाती हैं, जिनकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। हाल ही में उन्होंने सेमी-फोर्नेन्त केक बनाना भी शुरू किया है। उनका सबसे खास प्रोडक्ट है ड्राई केक, जो स्टूडेंट्स और अन्य ग्राहकों द्वारा इंदौर, झांसी, और ग्वालियर जैसे शहरों तक ले जाया जाता है। दीपा का कहना है कि ड्राई केक की सेल्फ लाइफ लंबी होती है, जिससे इसे कहीं भी ले जाना आसान हो जाता है।

शिवाय केक्स का भविष्य और दीपा का आत्मविश्वास

दीपा अरोरा अपने स्टार्टअप को और आगे ले जाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। हालांकि उन्हें ऑनलाइन मार्केटिंग और अन्य डिजिटल तकनीकों की उतनी जानकारी नहीं है, फिर भी वह इसे सीखने और अपने बिजनेस को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की इच्छुक हैं। दीपा का मानना है कि उनके परिवार और दोस्तों के सहयोग और प्रेरणा ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। उनका कहना है कि “डर को पार कर, मैंने खुद को साबित किया और अब मैं इसे और बड़ा बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करूंगी।” उनका आत्मविश्वास और मेहनत का जज़्बा उन्हें भविष्य में और बड़ी सफलताएं दिलाने का वादा करता है।

मध्यप्रदेश के गंजबासौदा की एंटरप्रेन्योर बरखा अग्रवाल ने अपने जीवन को कला और उद्यमिता के माध्यम से सजाया है। बचपन से कला के प्रति रुचि रखने वाली दीपा ने झांसी में अपनी शिक्षा के दौरान फाइन आर्ट्स का गहन अध्ययन किया। मिट्टी और वेस्ट मटेरियल से क्राफ्टिंग, पेंटिंग्स में विभिन्न माध्यमों जैसे आयल, वाटर और एक्रेलिक कलर में महारत हासिल करने के बाद उन्होंने न केवल अपने हुनर को निखारा बल्कि इसे दूसरों के साथ साझा करने का भी निर्णय लिया। उनका कहना है कि आयल पेंटिंग्स के लिए समय और धैर्य की जरूरत होती है, लेकिन वह कला की इस यात्रा को पूरी तल्लीनता से जीती हैं।

कला को जीवन का आधार बनाना

बरखा अग्रवाल ने अपनी कला की यात्रा का आरंभ 7वीं कक्षा में किया। शुरुआती दिनों में घर के पास रहने वाली एक महिला से प्रेरणा लेकर उन्होंने पेंटिंग्स बनानी शुरू की। इसके बाद, प्रख्यात आर्टिस्ट किशन सोनी से प्रशिक्षण लेकर उन्होंने आयल पेंटिंग्स की बारीकियों को सीखा। उन्होंने झांसी में अपनी कलाकारी को बढ़ाने के साथ-साथ बच्चों को भी प्रशिक्षित करना शुरू किया। शादी के बाद गंजबासौदा में रहते हुए भी उन्होंने अपने इस जुनून को जारी रखा। आज, दीपा अपनी क्लासेज के जरिए बच्चों को कला के विभिन्न पहलू सिखाती हैं। वे समर वेकेशन क्लासेज और नियमित प्रशिक्षण के माध्यम से बच्चों को स्केचिंग, ग्लास पेंटिंग और क्राफ्ट की बारीकियां सिखाने का कार्य करती हैं।

गंजबासौदा में कला और उद्यमिता का विस्तार

बरखा अग्रवाल न केवल कला की एक उत्कृष्ट शिक्षिका हैं बल्कि उन्होंने उद्यमिता में भी कदम रखा। अपने पति और परिवार के सहयोग से उन्होंने श्री राजहंस ज्वैलर्स की शुरुआत की, जो गंजबासौदा में ज्वैलरी और कला के एक अद्वितीय संगम का प्रतीक है। उनकी क्लास में हर उम्र के बच्चे आते हैं, जिन्हें वे न केवल कलात्मकता सिखाती हैं बल्कि आत्मविश्वास भी प्रदान करती हैं। दीपा का कहना है कि बच्चों की शिक्षा में उनकी छोटी-छोटी गलतियों पर ध्यान देना और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन देना बेहद जरूरी है। वे गंजबासौदा के अपने इस कला प्रशिक्षण और बिजनेस के माध्यम से स्थानीय लोगों को सशक्त बनाने का सपना देखती हैं।

मध्य प्रदेश के गंजबासौदा की एंटरप्रेन्योर शुभ्रा रितेश डागा ने अपने मेहनत और दृढ़ता से एक सफल गारमेंट्स शोरूम स्थापित किया है। वह बताती हैं कि शुरुआत में एक छोटे से शहर में इस तरह का बिज़नेस शुरू करना आसान नहीं था, लेकिन उनके परिवार ने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया। उनके पति और ससुराल वालों के सहयोग से उन्होंने अपने शोरूम को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया। बरखा का शोरूम लेडीज वियर, साड़ी, सूट और ज्वेलरी जैसे रेडीमेड कपड़ों और अन्य सामानों का व्यापक कलेक्शन प्रदान करता है। हालांकि, शोरूम रेडीमेड गद्दे और रजाई जैसे रॉ मटेरियल्स पर भी फोकस करता है।

घरेलू और प्रोफेशनल जीवन में संतुलन

शुभ्रा मानती हैं कि महिलाओं के लिए घर और काम के बीच सामंजस्य बिठाना चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन उनके मामले में, उनके परिवार का सहयोग उनकी सबसे बड़ी ताकत रहा है। वह कहती हैं कि उनके पति और सास ने उन्हें हर कदम पर सपोर्ट किया, जिससे वह अपने बिज़नेस को सफलता की ओर ले जा सकीं। उनकी यह सोच है कि घर में बैठने की बजाय अपने पैरों पर खड़ा होना और कुछ नया करने की कोशिश करना हर महिला के लिए जरूरी है। अपने परिवार की मदद से वह दोनों भूमिकाओं को कुशलता से निभा रही हैं।

शोरूम का विस्तार और भविष्य की योजनाएं

शुभ्रा के शोरूम को गंजबासौदा के सबसे बड़े गारमेंट्स शोरूम के रूप में जाना जाता है। वह कहती हैं कि आने वाले समय में वह अपने शोरूम को और बढ़ाने की योजना बना रही हैं। वर्तमान में, उनके शोरूम में रेडीमेड कपड़े नहीं हैं, लेकिन वह ग्राहकों की बढ़ती मांग को देखते हुए इसे अपने कलेक्शन में शामिल करना चाहती हैं। बरखा का कहना है कि वह इस सफलता को और आगे ले जाना चाहती हैं और गंजबासौदा के ग्राहकों को बेहतर विकल्प और सेवाएं प्रदान करने का प्रयास करेंगी।

मध्यप्रदेश के गंजबासौदा की एंटरप्रेन्योर दीपा अग्रवाल ने जनवरी 2020 में ज्वेलरी बिजनेस का अपना सफर शुरू किया। दीपा  बताती हैं कि उनके बिजनेस का मकसद प्रीमियम रेंज के प्रोडक्ट्स को गंजबासौदा के ग्राहकों तक पहुंचाना था, जो इसके लिए भोपाल और इंदौर जैसी बड़ी शहरों का रुख करते थे। उन्होंने जयपुर, मुंबई, कलकत्ता, और अहमदाबाद जैसे प्रमुख बाजारों का दौरा किया और कस्टमर्स की जरूरतों के हिसाब से ज्वेलरी, ब्रांडेड बैग्स, और ड्रेस मटेरियल का एक अनूठा कलेक्शन तैयार किया। दीपा का कहना है कि उनकी मेहनत को ग्राहकों ने सराहा और बिजनेस को धीरे-धीरे गंजबासौदा के सबसे विश्वसनीय नामों में शामिल कर दिया।

लॉकडाउन: चुनौतियों के बीच उम्मीद की किरण

दीपा के लिए 2020 का लॉकडाउन एक कठिन परीक्षा साबित हुआ। उन्होंने अपनी लाइफटाइम सेविंग्स इस बिजनेस में निवेश की थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण बिजनेस ठहराव में आ गया। दीपा बताती हैं कि वह मानसिक रूप से परेशान थीं, लेकिन उनके पति और परिवार ने उन्हें प्रेरणा दी। उनके पति के शब्दों ने उन्हें आगे बढ़ने का साहस दिया। धीरे-धीरे, हालात सामान्य हुए और बिजनेस ने रफ्तार पकड़ ली। दीपा अब न केवल गंजबासौदा में बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए भी अपने प्रोडक्ट्स को प्रमोट कर रही हैं।

भविष्य की योजनाएं: प्रीमियम फैशन के हर क्षेत्र में विस्तार

दीपा का लक्ष्य हर छह महीने में अपने बिजनेस को नए सेक्टर्स तक ले जाना है। ज्वेलरी और ब्रांडेड बैग्स के बाद उन्होंने ड्रेस मटेरियल और वूलेन्स का कलेक्शन पेश किया। आने वाले महीनों में उनका प्लान वेस्टर्न वियर और किड्स वियर की रेंज शुरू करने का है। दीपा चाहती हैं कि गंजबासौदा के प्रीमियम कस्टमर्स को बड़े शहरों में जाने की जरूरत न पड़े और उन्हें सभी उच्च गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट्स अपने शहर में ही मिलें। परिवार के सहयोग और अपनी मेहनत के दम पर दीपा अपने बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना देख रही हैं।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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