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युवा उद्यमियों के कीर्तिमान के नए आयाम, हर क्षेत्र में महिलाएं आगे: MP की इन महिलाओं का प्रेरणादायक सफर

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नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपने अद्वितीय कार्यों और संघर्षों से समाज में एक नया आयाम स्थापित किया है। इंदौर की प्रोफेसर भूमि शुक्ला ने मॉडलिंग से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता तक का सफर तय किया, जहां उन्होंने अपने कार्यों से समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में योगदान दिया। वहीं, मध्यप्रदेश की प्रतिष्ठित मेकअप आर्टिस्ट खुशबू ने अपनी मेहनत और संघर्ष से मेकअप की दुनिया में एक नई पहचान बनाई।

वहीं, जबलपुर की शिक्षाविद अनुभा तिवारी ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी मिसाल पेश की और गुरु के मार्गदर्शन से ग्लैमर की दुनिया में कदम रखा। इसके अलावा, भोपाल में रेंटल ग्लिटर का आंतरिक बदलाव फैशन उद्योग में एक नई दिशा प्रदान कर रहा है, जहां प्रिया बरडे ने अपनी मेहनत से एक नई ब्रांडिंग स्थापित की है। इसी कड़ी में, प्रियंका चौकसे मालवीय ने मिराना ब्रांड के साथ फैशन और नेचर के संगम को प्रस्तुत किया, जो अब मध्य प्रदेश के फैशन जगत में एक बेहतरीन उदाहरण बन चुका है। इन सभी महिलाओं का सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिखता है।

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इंदौर की प्रोफेसर भूमि शुक्ला: मॉडलिंग से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता तक का प्रेरणादायक सफर

इंदौर की प्रोफेसर भूमि शुक्ला का जीवन एक अद्भुत संघर्ष और सफलता की कहानी है। भूमि ने अपनी शिक्षा की शुरुआत अपने पिता के प्रोत्साहन से की, हालांकि, उनका दिल हमेशा फैशन और ग्लैमर की दुनिया में बसा था। छोटेपन में मॉडलिंग में भाग लेने और कुछ टाइटल जीतने के बाद भूमि ने खुद को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की संभावना महसूस की थी, लेकिन पिता के कहने पर उन्होंने लॉ की पढ़ाई शुरू की। लॉ में अपनी पढ़ाई के दौरान, भूमि ने सामाजिक मुद्दों पर ध्यान दिया और जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने का निर्णय लिया। उन्होंने 20 से 30 डॉग्स और दो गायों को रेस्क्यू किया और इस दिशा में अपने कानूनी ज्ञान का भरपूर इस्तेमाल किया।

भूमि ने अपने करियर में मिस एमपी में भाग लिया और कई बेहतरीन टाइटल्स जीते, लेकिन जल्द ही उनका ध्यान शिक्षा की ओर मुड़ गया। उन्होंने छत्तीसगढ़ में बतौर एसिस्टेंट प्रोफेसर काम किया और अब इंदौर में आई पीएस अकादमी में लॉ डिपार्टमेंट में एसिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत हैं। भूमि का मानना है कि उनके स्टेज अनुभव ने उन्हें कक्षा में बच्चों को पढ़ाते समय आत्मविश्वास और सहजता दी है। उनके लिए यह दोनों प्रोफेशनल फील्ड्स—कानूनी पेशा और शिक्षा—एक साथ बहुत संतुलित और आनंददायक हैं।

भूमि शुक्ला का एक और महत्वपूर्ण पहलू उनका सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में योगदान है। वे मानती हैं कि भारत में न्याय प्रणाली में देरी और महंगे खर्चे से समाज के कमजोर वर्ग को न्याय मिल पाना मुश्किल हो जाता है। भूमि ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि न्याय मिलना केवल अधिकार नहीं बल्कि एक चुनौती बन चुका है, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए। उनका यह भी कहना है कि समाज के हर वर्ग के लिए, खासकर ग्रामीण इलाकों में, संविधान और कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है। भूमि का विश्वास है कि वे दोनों क्षेत्रों—कानून और सामाजिक कार्य—में अपनी भूमिका निभाते हुए समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं।

मध्यप्रदेश की प्रतिष्ठित मेकअप आर्टिस्ट खुशबू ने बनाई अपनी पहचान, संघर्ष से सफलता तक का सफर

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की खुशबू तिवारी, जो ‘द मेकअप कलेक्टिव बाय खुशबू’ की सीईओ हैं, ने अपनी मेहनत और कड़ी संघर्ष से अपनी पहचान बनाई है। 2015 में मेकअप के क्षेत्र में कदम रखने वाली खुशबू ने शुरुआत में ही महसूस किया कि इस इंडस्ट्री में सफलता पाने के लिए केवल शौक और जूनून ही नहीं, बल्कि सही ज्ञान और प्रशिक्षण की भी जरूरत है। उन्होंने दिल्ली के एक प्रतिष्ठित अकादमी से मेकअप की गहरी शिक्षा ली और फिर लंदन में इंटरनेशनल लेवल पर स्पेशल इफेक्ट्स और प्रोस्थेटिक मेकअप की ट्रेनिंग हासिल की। उनके इस प्रयास ने उन्हें ना केवल ब्राइडल मेकअप में, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री, खासकर प्रोस्थेटिक मेकअप में भी माहिर बना दिया।

खुशबू तिवारी का कहना है कि उनकी कड़ी मेहनत और लगातार सीखने की चाहत ने उन्हें आज उस मुकाम तक पहुँचाया है जहां वे भोपाल के बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज़ और ब्रांड्स के साथ काम कर रही हैं। उन्होंने हाल ही में फिल्म ‘मेट्रो नोम्’ में प्रोस्थेटिक आर्टिस्ट के तौर पर काम किया और कई प्रमुख ब्रांड्स के लिए काम किया है। उनके काम में क्रिएटिविटी और फिनिशिंग की जो खामियां पहले दिखती थीं, अब वो बिल्कुल परिपूर्ण हैं। उनका अगला लक्ष्य भोपाल में प्रोस्थेटिक मेकअप को लेकर लोगों को प्रशिक्षित करना है ताकि इस क्षेत्र में स्थानीय कलाकारों को भी अवसर मिल सके और बाहर से विशेषज्ञों को बुलाने की आवश्यकता न पड़े।

आगे की योजना के बारे में खुशबू ने कहा, “भोपाल में अभी तक मेकअप का प्रमुख ध्यान ब्राइडल मेकअप पर था, लेकिन मैं चाहती हूं कि यहां के आर्टिस्टों को हर प्रकार के मेकअप के लिए तैयार किया जाए।” वे भविष्य में अपनी अकादमी खोलने का भी विचार कर रही हैं, जहां बॉलीवुड और हॉलीवुड दोनों इंडस्ट्री के काम का अनुभव साझा किया जाएगा। उनका मानना है कि इस तरह के प्रशिक्षण से स्थानीय कलाकारों का एक्सपोजर बढ़ेगा और वे भी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने के सक्षम होंगे।

जबलपुर की शिक्षाविद अनुभा तिवारी: गुरु से लेकर ग्लैमर की दुनिया तक का सफर

जबलपुर की शिक्षाविद अनुभा तिवारी का जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है, जो संघर्ष, सफलता और आत्म-खोज से भरी हुई है। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने कॉन्वेंट स्कूल से की, जहां से उन्होंने अपनी बीएड, ग्रेजुएशन और मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। शिक्षा के क्षेत्र में शुरुआत के बाद, अनुभा ने अहमदाबाद में एक कॉर्पोरेट कंपनी में काम किया और वहां महसूस किया कि वे सिर्फ एक साधारण शिक्षक नहीं, बल्कि एक कुशल ट्रेनर और कम्युनिकेशन कोच भी बन सकती हैं। इसके बाद उन्होंने पर्सनालिटी डेवलपमेंट, पब्लिक स्पीकिंग और इंग्लिश टीचिंग के क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाए और धीरे-धीरे खुद को एक सफल ट्रेनर और शिक्षक के रूप में स्थापित किया।

अनुभा का जीवन सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं था। कोविड के दौरान एक नया मोड़ आया, जब उनकी तस्वीरें एक प्रतियोगिता में सेलेक्ट हुईं और उन्हें “मिसेस मध्य प्रदेश” का खिताब मिला। यह उनके लिए एक नया अध्याय था, और इसके बाद उन्होंने “मिसेस राजस्थान” का खिताब भी जीता। उन्होंने इस यात्रा को न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि के रूप में लिया, बल्कि इसे महिलाओं को सशक्त बनाने और उनकी खूबसूरती को एक नई दृष्टि से देखने का अवसर माना। अनुभा के अनुसार, उनकी यह यात्रा कम्युनिकेशन, आत्म-संवर्धन और महिलाओं के सशक्तिकरण के बीच एक पुल का काम करती है।

चाहे वह गुरु के रूप में बच्चों को प्रेरित करना हो या ग्लैमर की दुनिया में अपना स्थान बनाना हो, अनुभा तिवारी का जीवन हर क्षेत्र में एक मिसाल बनकर उभरा है। वे खुद को सबसे पहले एक गुरु के रूप में देखती हैं, क्योंकि उनका मानना है कि एक गुरु के रूप में ही वे दूसरों को सीखने और सिखाने का सर्वोत्तम तरीका जान पाई हैं। उन्होंने इस सफर में कई महिलाओं से प्रेरणा ली और अब वे खुद को एक स्टार्टअप बिजनेस वुमन और एंटरप्रेन्योर के रूप में स्थापित करना चाहती हैं। उनका लक्ष्य है कि वे अपने खुद के ब्रांड के जरिए समाज में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक नई पहल करें।

भोपाल में रेंटल ग्लिटर: फैशन उद्योग में नया आयाम

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में फैशन की दुनिया में एक नया नाम सामने आया है। प्रिया बरडे, जो एक सफल एंकर और रेंटल ग्लिटर की फाउंडर हैं, ने हाल ही में अपने स्टार्टअप की शुरुआत की है। उनका उद्देश्य उन लड़कियों के लिए ग्लैमरस गाउन और ड्रेसेस उपलब्ध कराना है, जिन्हें एक खास मौके पर स्टाइलिश दिखने की चाहत होती है, लेकिन वे इसे खरीदने की स्थिति में नहीं होतीं। प्रिया बताती हैं, “भोपाल में जहां मैं रहती हूँ, वहां ग्लैमरस गाउन रेंट पर उपलब्ध नहीं थे, तो मैंने सोचा क्यों न इसे एक बिजनेस में बदल दिया जाए।” इसके बाद उन्होंने अपनी रेंटल ड्रेस सर्विस को ऑनलाइन शुरू किया और मॉडल्स, मेकअप आर्टिस्ट्स, और फोटोशूट्स के लिए भी आउटफिट्स प्रोवाइड किए।

प्रिया बरडे ने अपने एंकरिंग करियर में काफी मेहनत की और इस फील्ड में सफलता भी पाई। वह कहती हैं कि एंकरिंग एक ऐसा करियर है जिसमें ज्यादा इन्वेस्टमेंट की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन अब उन्होंने अपने स्टार्टअप को लेकर एक नया रास्ता चुना है। वह यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि उनका स्टार्टअप सफलता की ओर बढ़े, लेकिन इस राह में जोखिम भी है। “यह सर्विस प्रोवाइडिंग है, प्रॉडक्ट प्रोवाइडिंग है, और यहां बहुत सोच-समझ कर कदम उठाने की जरूरत होती है,” प्रिया ने कहा। हालांकि वह इस नए व्यवसाय में धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही हैं, लेकिन एंकरिंग के क्षेत्र में उन्होंने अपने मजबूत कदम भी रखे हैं।

प्रिया बरडे ने भोपाल में फैशन और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बढ़ते हुए अवसरों की संभावना को महसूस किया है। पिछले एक दशक में भोपाल में कई फिल्में शूट हुई हैं, और शहर में मॉल्स, होटेल्स और नए व्यापारिक अवसरों की भी भरमार है। प्रिया का मानना है कि भोपाल में इस इंडस्ट्री के लिए अपार संभावनाएं हैं और उन्होंने अपने व्यवसाय को शहर से बाहर के क्षेत्रों तक फैलाने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा, “भोपाल में हर तरह की मानसिकता बदल रही है, लोग अब फैशन और ग्लैमर की ओर आकर्षित हो रहे हैं, और मेरे स्टार्टअप को यहां बढ़ने के बहुत अच्छे मौके मिल रहे हैं।”

प्रियंका चौकसे मालवीय: फैशन और नेचर का बेहतरीन संगम

मध्य प्रदेश के इंदौर से फैशन उद्योग में एक नई पहचान बनाने वाली प्रियंका चौकसे मालवीय, मिराना (विमेंस क्लोथिंग ब्रांड) की फाउंडर हैं। बचपन से ही उन्हें प्रकृति के साथ गहरा लगाव था, और इस वजह से उन्होंने अपनी पढ़ाई में कृषि और हॉर्टिकल्चर को चुना। लेकिन अपनी निजी पसंद और कला के प्रति लगाव ने उन्हें फैशन डिज़ाइनिंग की ओर आकर्षित किया। प्रियंका ने अपनी प्राइवेट जॉब को छोड़कर इस फील्ड में कदम रखा और अपने डिज़ाइनिंग कौशल को एक ब्रांड के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया, “मेरे पति ने मुझे गाइड किया और मुझे विश्वास दिलाया कि मेरी कला और फैशन के प्रति रूचि को एक ब्रांड के रूप में आकार देना चाहिए।”

प्रियंका ने मिराना ब्रांड को लॉन्च करने का निर्णय लिया, जो प्रीमियम क्वालिटी के फैब्रिक्स और डिज़ाइनों के साथ एक अफोर्डेबल रेंज प्रदान करता है। उन्होंने फैशन की दुनिया में मौजूद गैप को महसूस किया, जहां कुछ ब्रांड केवल हाई-एंड प्रीमियम डिज़ाइन्स प्रदान करते थे, जबकि कुछ बेहद सस्ते होते थे। मिराना का उद्देश्य इस गैप को भरना है और हर महिला को ट्रेंडी और अच्छे डिज़ाइन के कपड़े एक किफायती कीमत पर उपलब्ध कराना है। प्रियंका ने कहा, “हमारे डिज़ाइन्स की रेंज पूरी तरह से मीडियम रेंज में रखी गई है, ताकि यह हर वर्ग की महिला के बजट में आ सके।”

प्रियंका ने अपनी फैशन डिज़ाइनिंग में प्रकृति को अपनी प्रेरणा का स्रोत बनाया है। उनका अगला समर कलेक्शन प्रकृति से प्रेरित होगा, जिसमें क्लास लीव्स और प्लांट्स के डिज़ाइनों को शामिल किया जाएगा। वह अपने डिज़ाइन्स को प्राकृतिक तत्वों से जोड़कर एक नई दिशा देने का प्रयास कर रही हैं। प्रियंका ने आगे कहा, “मैंने हमेशा कोशिश की है कि मेरी क्रिएटिविटी और डिज़ाइन नेचर से प्रेरित हों, और मैं इसे अपने कलेक्शन में दिखाती हूं।” आने वाले समय में प्रियंका का उद्देश्य मिराना को और भी आगे बढ़ाना और इसे हर उम्र की महिला के लिए सुलभ बनाना है। उनका सपना है कि मिराना हर कैटेगरी के लिए फैशन प्रदान करे, ताकि हर महिला, चाहे उसकी उम्र कुछ भी हो, अपने पसंदीदा डिज़ाइन से मेल खाते कपड़े पा सके।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

जब पेरेंट्स अपने बच्चों को प्राइमरी स्कूल भेजते हैं, तो उनकी प्राथमिक अपेक्षा होती है कि बच्चों को मजेदार तरीके से सीखने का अवसर मिले। छोटे बच्चों का दिमाग पहले आनंद लेना चाहता है। अगर उन्हें मजा नहीं आएगा, तो वे आगे नहीं बढ़ेंगे। हर बच्चे के अंदर प्रतिभा होती है, जरूरी है हम उसे समझें।

बच्चों के स्कूल जाने से पहले पेरेंट्स की काउंसलिंग होनी चाहिए। यह समझना ज़रूरी है कि आपके बच्चे को क्या चाहिए, और उसी के आधार पर स्कूल का चयन करें। ऐसा स्कूल चुनें जिसमें खुला क्षेत्र हो और स्टाफ बच्चों की समस्याओं को हल करने में सक्षम हो। स्कूल और उसकी फैकल्टी बच्चों को संतुष्ट करने में भी सक्षम होना चाहिए।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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