नई दिल्ली। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य की मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था पर चिंता जताते हुए सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट साझा कर चिकित्सा सेवाओं की गिरती स्थिति को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया।
गहलोत ने लिखा कि कांग्रेस शासनकाल के दौरान राजस्थान को देश का सबसे बेहतरीन हेल्थ मॉडल स्टेट माना गया था। उस समय राज्य में स्वास्थ्य बीमा कवरेज का दायरा सबसे अधिक था। साथ ही नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), उपजिला एवं जिला अस्पताल, मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज खोले गए थे। बड़ी संख्या में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती भी की गई थी। उन्होंने कोविड-19 प्रबंधन और राइट टू हेल्थ कानून को कांग्रेस सरकार की बड़ी उपलब्धियों में गिनाते हुए दावा किया कि इन कदमों की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई थी।
मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए गहलोत ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में ना तो दवाएं उपलब्ध हैं और ना ही इलाज की पर्याप्त सुविधाएं। उन्होंने गर्मी के मौसम में अस्पतालों में कूलर और एसी जैसी बुनियादी सुविधाएं न होने का मुद्दा भी उठाया। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि RUHS जैसे प्रमुख अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में भी एसी काम नहीं कर रहे हैं। गहलोत ने आरोप लगाया कि चिकित्सा विभाग की कई अहम योजनाओं को फ्लैगशिप स्कीमों की सूची से बाहर कर दिया गया है।
उन्होंने हाल में सामने आईं घटनाओं का उल्लेख करते हुए लिखा कि कहीं मरीज की जगह उसके पिता की सर्जरी कर दी गई, तो कहीं शव को सम्मानपूर्वक ले जाने के लिए एम्बुलेंस तक उपलब्ध नहीं थी। उन्होंने लिखा कि स्वास्थ्य सेवाएं राजनीति का विषय नहीं हैं, बल्कि यह पूरे प्रदेश की चिंता का विषय है। सरकार को तत्काल इस दिशा में गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।