भोपाल, मध्य प्रदेश के युवा संगीतकार और आरोह म्यूजिक एकेडमी के संस्थापक प्रशांत पाराशर का संगीत से जुड़ाव एक सामान्य स्कूल फंक्शन से शुरू हुआ, लेकिन आज वह सैकड़ों विद्यार्थियों को संगीत की गंभीरता और गरिमा सिखा रहे हैं। स्कूल के दिनों में छोटी-छोटी प्रस्तुतियों से लेकर आज एक संपूर्ण म्यूजिक एकेडमी खड़ा करना, प्रशांत की लगन, आत्मीयता और गुरुजनों के आशीर्वाद का परिणाम है। उन्होंने बताया कि उनके स्कूल के चेयरमैन श्री चुन्नीलाल शाह और पहले गुरु मुकुल श्रीवास्तव का उनके जीवन में अहम योगदान रहा, जिनकी प्रेरणा से उन्होंने संगीत को जीवन का उद्देश्य बना लिया।
प्रशांत ने बताया कि आठवीं कक्षा में एक छोटा कीबोर्ड लेकर उन्होंने संगीत की तकनीकी शिक्षा की शुरुआत की थी, जो समय के साथ गहरी होती चली गई। संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने कभी सीखना नहीं छोड़ा। यूट्यूब के न होने के दौर में भी खुद से अभ्यास कर, संगीत में रुचि को बनाए रखा और भोपाल में कॉलेज शुरू करते ही शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने श्रीमती सुदेशना बासु के मार्गदर्शन में 6 वर्षों तक संगीत की गंभीर साधना की और 2016 में अपनी म्यूजिक एकेडमी की शुरुआत की। मुंबई में रहकर भी उन्होंने संगीत का अनुभव और ज्ञान बढ़ाया, जो अब उनके शिक्षण में स्पष्ट झलकता है।
उनकी नज़रों में संगीत केवल स्वर या गीत नहीं, बल्कि आत्मा की आवाज़ है—प्रकृति की लयबद्धता और जीवन की गति का प्रतिबिंब। रियलिटी शोज़ की दुनिया को वे एक सतही मंच मानते हैं और नए कलाकारों को सलाह देते हैं कि वे इन मंचों की चकाचौंध के पीछे न भागें, बल्कि खुद की साधना और अभ्यास पर फोकस करें। आज तक वे 400 से अधिक छात्रों को संगीत की शिक्षा दे चुके हैं और उनका सपना है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर ले जाया जाए। प्रशांत पाराशर का यह सफर न केवल एक कलाकार की यात्रा है, बल्कि उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है जो संगीत को केवल एक कला नहीं, बल्कि साधना मानते हैं।





