मुंबई। महाराष्ट्र के मुंबई से अदिरा बैंड के संस्थापक सागर आग्री ने कहा कि संगीत उनके जीवन का आधार और साधना है। बचपन से ही संगीत के प्रति लगाव रखने वाले सागर ने बताया कि नौ वर्ष की उम्र से उन्होंने भोपाल आकाशवाणी के कार्यक्रमों में गाना शुरू किया था। उनके पिता ने उन्हें संगीत की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। सागर कहते हैं कि संगीत एक जादू है, जिसने उनके जीवन को नई दिशा दी और वह खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें इस कला से जुड़ने का अवसर मिला।
सागर आग्री ने बताया कि उनके संगीत सफर की शुरुआत भोपाल में हुई, जहाँ उनके पहले गुरु सोनी सर थे — जो दृष्टिहीन होने के बावजूद संगीत के असाधारण शिक्षक थे। सागर रोज़ अपने पिता के स्कूटर पर बैठकर उनसे सीखने जाया करते थे। लगातार अभ्यास और समर्पण से उन्होंने संगीत में गहराई हासिल की। कॉलेज के समय से ही उन्होंने इसे पेशेवर रूप से अपनाया और कई वाद्य यंत्रों की शिक्षा भी ली। सागर का कहना है कि सीखना कभी रुकना नहीं चाहिए — आज भी वे हर व्यक्ति और हर अनुभव से कुछ नया सीखने की कोशिश करते हैं।
करीब दो दशक पहले सागर ने अपने संगीत को नया रूप देते हुए ‘अदिरा बैंड’ की स्थापना की। शुरुआत में बैंड का नाम ‘Sagar Music Life’ था, लेकिन बाद में उन्होंने माता आदिशक्ति से प्रेरित होकर इसका नाम ‘Adira Band’ रखा। बैंड ने अब तक भारत के कई शहरों के साथ-साथ छह देशों में प्रदर्शन किया है। सागर आग्री को संगीत के क्षेत्र में कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है, जिनमें Iconic Award भी शामिल है, जो उन्हें सरोज खान और गणेश आचार्य जैसे दिग्गज कलाकारों की उपस्थिति में मिला। सागर का कहना है कि वे और उनकी टीम हमेशा ऐसे गीत प्रस्तुत करते हैं जो सुकून और सकारात्मकता दें।





