नई दिल्ली। नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से ही शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। क्यूंकि हर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा बेहतर स्कोर करे, पर इसके लिए जरूरी है कि स्टूडेंट टीचर और पेरेंट्स के बीच बेहतर कोऑर्डिनेशन स्थापित रहे जिससे बच्चों के सर्वांगीण विकास में पेरेंट्स और टीचर अपनी महत्ती भूमिका निभा सकें। इसी कड़ी में हमने मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर से कुछ प्राइमरी सेगमेंट के टीचर्स से बात की और उनकी राय जानी।
आईए आपको बताते हैं क्या कुछ कहा उन्होंने…
बच्चा सीखे, पढ़े और आगे बढ़े यही हमारा प्रयास।
मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर से आने वाली एकेडमिक कोऑर्डिनेटर अंजना चड्ढा का कहना है कि हमें सबसे पहले बच्चों की और यह बात ध्यान देनी चाहिए कि बच्चा सीखे, पढ़े और आगे बढ़े। गैजेट्स का इस्तेमाल ना करें या फिर बहुत कम करें और उसके साथ ही पेरेंट्स और टीचर का कोऑर्डिनेशन बहुत जरूरी है।
उन्होंने पेरेंट्स के लिए कहा कि अपने बच्चों के लिए समय निकालिए आपका बच्चा आपके लिए, विद्यालय के लिए और इस समाज के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रेजेंट एजुकेशन सिस्टम पर बात करते हुए कहा कि वर्तमान समय में बच्चा अब रटता नहीं है, बल्कि स्कूल में बच्चों को समझाने पर फोकस किया जाता है। डिजिटल ऐरा आने से बच्चों को समझाना आसान हुआ है और बच्चों के लिए भी समझना बेहद आसान हो गया है।
एक्सपीरियंशियल लर्निंग और एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग पर फोकस
वही ग्वालियर शहर की निजी स्कूल की जूनियर एकेडमिक कोऑर्डिनेटर वैशाली साहनी का कहना है, कि बच्चों को बेस्ट एजुकेशन देने की हर टीचर की प्राथमिकता और जिम्मेदारी होनी चाहिए पेरेंट्स और टीचर में समय-समय पर बातचीत होनी चाहिए जिससे बच्चों के एकेडमिक स्कोर की उनको जानकारी मिले, उन्होंने कोविड के बाद का जिक्र करते हुए कहा कि 2020 के बाद एजुकेशन सिस्टम में एजुकेशन पैटर्न में बहुत बदलाव आया है जिसके बाद हम अब ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मेथड का इस्तेमाल करते हैं। खासतौर से उन्होंने एक्सपीरियंशियल लर्निंग और एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा फोकस करते हुए कहा कि वर्तमान समय में हमें इसकी जरूरत है। और पेरेंट्स के लिए उन्होंने कहा कि पेरेंट्स अपने बच्चों को किसी तरह का दबाव न दें, हर बच्चे के अंदर प्रतिभा होती है और वह अपनी प्रतिभा के अनुसार आगे बढ़ता है, बच्चे की प्रतिभा को निखारने में मदद करें जिससे वह बेहतर तरीके से आगे बढ़ सके।
सिर्फ बच्चे के रिजल्ट की ओर ही ध्यान नहीं, बल्कि वह पूरे सत्र में क्या सीख रहा है यह भी महत्वपूर्ण
नवनीत ढिल्लन जो ग्वालियर की प्राइमरी सेगमेंट एक्सपर्ट और थर्ड टू फिफ्थ ग्रेड इंचार्ज हैं, उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान बच्चों की बेसिक हैबिट से लेकर उसके एकेडमिक्स तक होना चाहिए रोजमर्रा की जिंदगी में बच्चों के कपड़े पहनने से लेकर उसकी ईटिंग हैबिट और उसकी शिक्षा को बेहतर बनाने का प्रयास एक टीचर का होना चाहिए और इसमें टीचर के साथ-साथ पैरेंट्स की भी उतनी ही सहभागिता होनी चाहिए। आज के समय में नई चीजों को सीखना और सिखाना जरूरी है, शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाने की जरूरत है हर बच्चा महत्वपूर्ण है और हर बच्चे की एकेडमिक के साथ उसकी अदर एक्टिविटीज पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है।
पेरेंट्स और टीचर का बेहतर समन्वय स्थापित हो सके इसके लिए रेगुलर पेरेंट्स को पीटीएम अटेंड करनी चाहिए और टीचर से अपने बच्चों के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने यहां भी कहा कि हमें सिर्फ बच्चे के रिजल्ट की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए वह पूरे सत्र में क्या कर रहा है, कैसे पढ़ रहा है और कैसे आगे बढ़ रहा है इस पर भी ध्यान देना बेहद जरूरी है। वर्तमान समय में जिस तरह से हम डिजिटल ऐरा की तरफ बड़ रहे हैं उसका खासा फायदा स्टूडेंट्स को मिल रहा है जो उनके एकेडमिक्स को और मजबूत बनाता है।
टीचर, पेरेंट्स और स्टूडेंट का प्रॉपर कोऑर्डिनेशन बहुत जरूरी
देवांशी अग्रवाल यह भी ग्वालियर से आती हैं और प्राइमरी सेगमेंट एक्सपर्ट हैं। उनके अनुसार हर बच्चा महत्वपूर्ण है बच्चे को समझने की जरूरत होती है उन्होंने यह भी कहा कि विद्यालय में स्टूडेंट स्ट्रैंथ जो आजकल बढ़ गई है उसे सीमित करना जरूरी है जिससे एक टीचर को हर बच्चे की पढ़ाई पर ध्यान देने में कठिनाई महसूस ना हो पेरेंट्स और स्टूडेंट का प्रॉपर कोऑर्डिनेशन बहुत जरूरी है। पढ़ाई के साथ-साथ हम अदर एक्टिविटीज पर भी ध्यान दें, जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके। देवांशी ने यह भी कहा कि स्कूल बैग्स का आजकल वजन बहुत बढ़ गया है जो कि कम होना जरूरी है क्योंकि हम डिजिटल ऐरा में हैं। निजी विद्यालयों के लिए उन्होंने कहा कि हमें प्राइवेट पब्लिशर्स की जगह एनसीईआरटी की बुक्स को प्राथमिकता देनी चाहिए महंगी फीस पर नियंत्रण होना जरूरी है। लाइब्रेरी के साथ-साथ हमारे आस पड़ोस में सरकार को लैबोरेट्रीज की भी स्थापना करना चाहिए।
पेरेंट्स बच्चों के मित्र बने, जिससे पेरेंट्स और स्टूडेंट के बीच एक बेहतर समन्वय स्थापित हो सके
वहीं प्राइमरी सेगमेंट टीचर श्वेता श्रीवास्तव से जब हमने बात की तो उन्होंने कहा कि शिक्षा में सामाजिक समानता और पेरेंट्स का जागरूक होना बहुत जरूरी है शिक्षा के तरीके में नए टेक्निक्स और स्किल का होना भी जरूरी है एजुकेशन सिस्टम और आज की शिक्षा को एनवायरनमेंट फ्रेंडली होना जरूरी है बच्चों की पढ़ाई में पेरेंट्स की भी उतनी ही भागीदारी होना चाहिए जिससे बच्चे की पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ती है। पेरेंट्स बच्चों के मित्र बने जिससे पेरेंट्स और स्टूडेंट के बीच एक बेहतर समन्वय स्थापित हो सके और हर पेरेंट्स को अपने बच्चों की रुचि को समझना चाहिए। बच्चों के मित्र बनिए, उन पर दवाब न डालिए।
स्टूडेंट्स की थिंकिंग एबिलिटी को बढ़ाने की जरूरत
प्राइमरी सेगमेंट से ही आने वाली टीचर शिवानी का कहना है कि वर्तमान समय में नए तरीके से बच्चे को पढ़ाने की जरूरत है। थिंकिंग एबिलिटी को बढ़ाने की जरूरत है, बच्चों के सोचने और समझने की शक्ति पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है पेरेंट्स, टीचर और स्टूडेंट के बीच का जो चैनल है उसका कोऑर्डिनेशन हमेशा अपडेट रहना चाहिए। जरूरत पड़ने पर स्टूडेंट्स और पेरेंट्स, टीचर को अपनी बात बेझिझक कह सकें, इस तरह का कोऑर्डिनेशन होना चाहिए। आज के एजुकेशन सिस्टम के बारे में उन्होंने कहा कि विजुलाइजेशन लर्निंग बहुत जरूरी है जब भी कोई टीचर बच्चों को पढ़ाता है तो उसके विजुअल्स के आधार पर अगर पढ़ाई हो तो बच्चे को उस टॉपिक को समझने में बहुत आसानी होती है और कांसेप्चुअली भी स्टूडेंट क्लियर रहता है।