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समर कैंप में कई तरह की एक्टिविटीज के माध्यम से बच्चों का हिडेन टैलेंट आ रहा सामने… हैवी सिलेबस का प्रेशर कम और उनके आत्मविश्वास और स्वतंत्रता को विकसित करने का बेहतर माध्यम बन रहे समर कैंप

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ड्रिवेन कोचिंग किड्स समर कैंप के प्रतिभागी बच्चों के पेरेंट्स ने कहा… समर कैंप में बच्चों को नए अवसर तलाशने, नए वातावरण में समय बिताने और नई चीजों को सीखने का मौका मिलता है।

नई दिल्ली। गर्मियों की छुट्टी में समर कैंप बच्चों की स्किल डेवलप करने के लिए काफी फायदेमंद और मददगार है। यहां बच्चे शैक्षणिक गतिविधि के साथ ही खेल-कूद और शारीरिक गतिविधियों का भी लाभ लेते हैं। यही कारण है कि अब धीरे-धीरे समर कैंप का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। मध्यप्रदेश के ग्वालियर के हरिशंकरपुरम में ड्रिवेन कोचिंग का किड्स समर कैंप का आयोजन देवांशी अग्रवाल द्वारा 10 से 24 मई तक किया गया।

इस कैंप में पार्टिसिपेट कर रहे बच्चों के पेरेंट्स से जब हमने बात की तो उनका कहना था की आज के समय में जब बच्चा गैजेट्स से दूर रहकर फिजिकल एक्टिविटी की तरफ बढ़ेगा तो वह लाभदायक होगा।

आर्या की मदर रुचि गोयल ने कहा कि समर कैंप बच्चों के लिए जरूरी है। क्योंकि इससे उनका रूटीन फिक्स हो जाता है। कैंप में योग, मेडिटेशन, और जनरल नॉलेज जैसी कई चीजें सिखाई जाती हैं। बच्चे टीवी और मोबाइल की बजाय कैंप में बिजी रहते हैं। और सोशल एक्टिविटी भी करते हैं। पेरेंट्स को बच्चों के साथ फिजिकल एक्टिविटी में शामिल होना चाहिए और उन्हें ज्यादा से ज्यादा इंडोर और फिजिकल गेम खिलाना चाहिए, जिससे बच्चे मोबाइल और गैजेट्स से दूर रहेंगे।

अरहम और अनाया के फादर सचल धमीजा ने कहा कि समर कैंप बच्चों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ वे कुछ नया सीखते हैं और फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, जैसे स्विमिंग, स्केटिंग, और ड्रॉइंग। जिससे हमें बहुत संतुष्टि मिलती है। गर्मियों की छुट्टी में बच्चों का एक शेड्यूल बन जाता है। जिससे सुबह उठकर वह उसे फॉलो करते हैं। और खुद को बिजी रखते हैं।

भुविक और पूर्वांश की मदर हिमांशी गोयल ने कहा मेरे दोनो बच्चों ने ड्रिवेन कोचिंग का किड्स समर कैंप ज्वाइन किया था। दोनों बच्चे इसमें बहुत खुश रहे और नई-नई चीजें सीख रहे हैं, जैसे पेंटिंग, मॉडलिंग, और पौधारोपण। ये गतिविधियाँ उनकी क्राफ्ट स्किल्स को भी सुधार रही हैं। हम इस कैंप से पूरी तरह संतुष्ट हैं, इस तरह की कैंप्स की आज के समय में बहुत जरूरत है। और हमारे बच्चे भी बहुत खुश हैं। समर कैंप बच्चों के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि घर पर रहने पर वे मोबाइल और टीवी में लगे रहते हैं, जबकि कैंप में उन्हें नई चीजें सीखने और फिजिकल एक्टिविटी करने का मौका मिलता है।

निष्का की मदर प्रगति गुप्ता ने कहा कि समर कैंप अच्छा है क्योंकि इससे बच्चों का रूटीन बदल जाता है। वे सुबह जल्दी उठने लगते हैं। और योग, डांस जैसी एक्टिविटी में भाग ले रहे हैं। समर कैंप में रोज कुछ नया सिखाया जाता है, इसलिए सभी पेरेंट्स को अपने बच्चों को समर कैंप भेजना चाहिए। इससे उनको फिजिकल एक्टिविटीज करने के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा।

देवांशी अग्रवाल जो की इस कैंप की ऑर्गनाइजर हैं। उनका कहना है कि आजकल के समय में समर कैंप का उद्देश्य सिर्फ क्राफ्ट बनाना ही नहीं बल्कि कैंप एकेडमिक और कल्चरल बेस्ड होना चाहिए। जिससे बच्चे खेल-कूद के साथ-साथ शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। बच्चों के लिए हमने इस कैंप में सिम्पल एक्टिविटीज रखीं, जिससे बच्चे सहजता से सीख सकें। इस कैंप में बच्चों ने क्ले मॉडलिंग, ट्री प्लांटेशन, योग और कल्चरल एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट किया।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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