कपड़े के थैले बनवाकर पर्यावरण संरक्षण की पहल, पॉलिथीन को कहा न…
नई दिल्ली। कहते हैं समाज सेवा करने की लगन खुद से ही आती है। इसके लिए बहुत ज्यादा संसाधन नहीं बल्कि एक मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत होती है। कुछ इसी उद्देश्य के साथ मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर की रहने वाली पूजा सिंह कुशवाह सामाजिक क्षेत्र में पिछले कुछ समय से काम कर रहीं हैं। उनका कहना है कि मुझे बचपन से ही समाजसेवा के क्षेत्र में काम करना पसंद है। मैंने कोविड टाईम में अपने परिवार की मदद से इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया। मुझे लगता है कि हर महिला को आत्मनिर्भर होना चाहिए। इसलिए ही मैं तकरीबन 200 महिलाओं से कपड़े के थैले बनवाकर उन्हें रोजगार देने और पर्यावरण को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही हूं।
पूजा सिंह जुगाडू संस्था की सह-संस्थापक हैं, जो एक गैर-सरकारी संगठन है और पर्यावरण के लिए इको ब्रिक से कुर्सियाँ और बेंच बनाता है, साथ ही युवाओं के बीच जागरूकता फैलाता है। इसके अलावा, वह पहल की संस्थापक भी हैं, जो एक गैर-सरकारी संगठन है और प्लास्टिक की थैलियों के बजाय कपड़े के थैलों का उपयोग करने के लिए जागरूकता फैलाता है। यह संगठन पर्यावरण के अनुकूल और सुंदर थैले बनाता है, जिससे महिलाओं को रोजगार मिलता है और पर्यावरण को भी बचाया जाता है। पूजा एक उत्साही पशु प्रेमी भी हैं और गायों तथा अन्य सड़क जानवरों को आश्रय और भोजन प्रदान करके उनकी सेवा करती हैं।
वैसे तो महिलाएं हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही हैं, लेकिन कुछ महिलाओं के लिए अपने पैरों पर खड़े होने का सपना अधूरा रह जाता है। ऐसी ही महिलाओं के सपनों को साकार करने का काम कर रही हैं समाजसेवी पूजा कुशवाहा। पूजा न केवल महिलाओं को घर बैठे रोजगार दे रही हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी फैला रही हैं।
पूजा सिंह का कहना है कि वे आने वाले समय में एक ऐसा केंद्र खोलना चाहती हैं, जहां कोई भी महिला आकर काम कर सके। उन्होंने इस कार्य की शुरुआत कोरोना महामारी के दौरान की, जब लॉकडाउन के कारण कई लोग बेरोजगार हो गए थे। उन परिवारों के लिए यह समय विशेष रूप से कठिन था, जहां केवल एक ही कमाने वाला था और वह भी घर से बाहर नहीं जा पा रहा था। तब उन्होंने महिलाओं को रोजगार देने की पहल की।
उनकी टीम द्वारा बनाए गए ये बैग न केवल भारत में, बल्कि विदेशों तक भी जाते हैं। उनके बैग पुणे, गोवा, कोलकाता आदि स्थानों पर नियमित रूप से भेजे जाते हैं। इसके अलावा, सिंगापुर और अमेरिका तक भी उनके द्वारा बनाए गए बैग पहुंचे हैं। बेरोजगार महिलाओं को रोजगार देने का यह सुझाव पूजा ने अपनी दोस्त मोनिका निगम को बताया और वह भी इस पहल से जुड़ गईं।
वर्तमान में वेस्ट को खत्म करना एक बड़ी समस्या बन गया है। स्क्रैप, मेटल, प्लास्टिक, रबर, प्लास्टिक ग्लास, पन्नियां, कपड़ा और ई-वेस्ट शहर की खूबसूरती को खत्म कर रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, शहर के क्रिएटिव लोगों ने वेस्ट से बेस्ट बनाया है, जो शहर और घर की खूबसूरती को बढ़ा रहे हैं। किसी ने पन्नी और बॉटल से ईको ब्रिक्स तैयार की है तो किसी ने स्कल्पचर बनाए हैं।
उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान, कुछ नया करने की सूझी और घर में ढेरों पन्नियां दिखीं, जिनका कोई उपयोग नहीं था। तब ईको ब्रिक्स बनाने का प्लान किया, जिससे बेंच बनाई जा सकती थी। मैंने और मेरी टीम ने ऐसी महिलाओं से बात की जो यह काम कर सकती थीं। उन्होंने बॉटल के अंदर पन्नियां भरकर ब्रिक्स बनाई, जिससे हमने एमएलबी ग्राउंड, केआरएच और कैंसर हॉस्पिटल में बेंच तैयार कराई। कुछ प्रोजेक्ट हमने इनरव्हील क्लब के साथ मिलकर किए। ये सभी बेंच स्थापित हैं और उपयोग में आ रही हैं। उन्होंने अंत में कहा कि बस यह सिलसिला सभी के सहयोग से यूं ही आगे बढ़ता रहे और महिलाओं को घर बैठे रोजगार मिलता रहे।