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ग्वालियर। एंटरप्रेन्योर और गौकृति काऊ डंग प्रोडक्ट्स की फाउंडर लेखिता सिंघल ने सामाजिक उत्थान और ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के क्षेत्र में अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए पहचान बनाई है। अपने अभिनव दृष्टिकोण और दृढ़ संकल्प के साथ, उन्होंने कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान किया है।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर की गौकृति काऊ डंग प्रोडक्ट्स की फाउंडर लेखिता सिंघल ने बताया कि उन्हें इस क्षेत्र में काम करते हुए 10 साल हो चुके हैं। उन्होंने एमबीए करने के बाद समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा अपने घर से ली, खासकर अपने पिता से। 2008 के आसपास ग्वालियर में जब लायंस क्लब शुरू हुआ, तो उनकी मां ने इसे ज्वाइन किया। उस समय लेखिता को इस क्लब के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन जब उन्होंने अपनी मां को क्लब में सक्रिय रूप से काम करते देखा, तो उन्होंने भी लायंस क्लब ज्वाइन करने का निर्णय लिया।
क्लब में शामिल होने के बाद, उन्होंने कई सेवा गतिविधियों जैसे मेडिकल कैंप, ब्लड डोनेशन और वृक्षारोपण में भाग लिया। इसके बाद उन्होंने क्लब में सेक्रेटरी का पद संभाला और लगभग दो-तीन साल तक सेक्रेटरी रहीं। इस दौरान उन्हें बहुत से लोगों से मिलने और नई चीजें सीखने का मौका मिला। बाद में, वह दो साल तक क्लब की वाइस प्रेसिडेंट भी रहीं और रोटरी क्लब की एक युवा शाखा, रोटरेक्ट, भी ज्वाइन की, जहाँ वह DRR (डिस्ट्रिक्ट रोटरेक्ट रिप्रेजेंटेटिव) बनीं और ग्वालियर और राजस्थान के कई कार्यक्रमों में भाग लिया।
कई सालों तक क्लबों में सक्रिय रहने के बाद, लेखिता ने इनसे दूरी बना ली और “वन बंधु” नामक एक संस्था के साथ जुड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में काम करना शुरू किया। उन्होंने ग्वालियर के आसपास के ग्रामीण इलाकों जैसे डबरा, दतिया, भिंड, मुरैना, भितरवार, और शिवपुरी में जाकर देखा कि वहाँ अभी भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में काम करते हुए, लेखिता ने देखा कि कई महिलाएं अपने जीवन में कुछ करना चाहती हैं, लेकिन अवसरों की कमी है। उन्होंने गाय के गोबर का उपयोग करके धूपबत्ती और पूजा सामग्री जैसे उत्पाद बनवाने का काम शुरू किया, जिससे महिलाओं को रोजगार मिला। इस पहल से न केवल महिलाओं को आर्थिक सहायता मिली, बल्कि गोबर से उत्पाद बनाने का काम भी हुआ।
उन्होंने बताया कि आज़ादी के 80 साल बाद भी ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है, लेकिन उनकी इस पहल से कई महिलाओं को रोजगार मिला है और वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पा रही हैं। ग्वालियर और मुरैना के ग्रामीण इलाकों में उन्होंने लगभग 20 महिलाओं को रोजगार दिया है और भविष्य में और महिलाओं को जोड़ने की योजना है। उनका यह उत्पाद ऑनलाइन भी उपलब्ध है।
लेखिता सिंघल को तत्कालीन ग्वालियर कलेक्टर पी. नरहरि द्वारा “बेस्ट एंटरप्रेन्योर” का अवार्ड प्रदान किया गया है। इसके अलावा, उन्हें बिग मैजिक टीवी के “बिग मेमसाहब” सीजन 5 में जज के तौर पर भी आमंत्रित किया गया था, जहां उन्होंने अपने अनुभव और विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया।
लेखिता ने अंत में कहा कि आज के समय में जरूरी है कि हम किसी की सहायता कर सकें। अगर यह काम अपने घर से भी शुरू करते हैं और फिर समाज में पहुंचते हैं तो भी बहुत बेहतर होगा।
अपने आसपास में किसी भी स्तर पर सामाजिक क्षेत्र में काम करने की शुरुआत करें और इस शुरुआत को हमें अपने घर से ही करना होगा जब हम किसी चीज को गलत देखते हैं तो हमें उसको सही करने की दिशा में भी कदम उठाना चाहिए।
- मैंने 10 साल पहले अपने सामाजिक कार्यों की शुरुआत की थी।
- मेरी शिक्षा एमबीए है, और मैं एक एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट भी हूँ। शुरू से ही मैं अपना खुद का कुछ शुरू करना चाहती थी।
- मुझे ग्रामीण महिलाओं के लिए कुछ करना था, इसलिए मैंने खुद को सामाजिक रूप से सक्रिय किया। मैं लायंस क्लब और रोटरी क्लब से जुड़ी और रोटरेक्ट यूथ क्लब की DRR भी रही। मुझे राजस्थान और ग्वालियर के युवाओं से जुड़ने का मौका मिला।
- अपना दायरा बढ़ाने के लिए मैंने ब्लड डोनेशन कैंप, डायबिटीज कैंप, सोशल इवेंट्स और प्रतियोगिताएं आयोजित कीं।
- उसके बाद, मुझे वनबंदू परिषद से जुड़ने का मौका मिला, जहां से मुझे 200 गांवों से जुड़ने का अवसर मिला।
- वहीं पर मैंने महिलाओं और उनके घरों में पल रही गायों की स्थिति को देखा।
- चार साल पहले, मैंने “गौकृति” के नाम से देसी गाय के गोबर से फैंसी वस्त्र बनाना शुरू किया और गांव की महिलाओं को घर बैठे काम करने का अवसर प्रदान किया। हमारे साथ ग्वालियर की 20 महिलाएं और डाबरा, मुरैना के 10 परिवार जुड़े हुए हैं। हम धीरे-धीरे अपने कार्य का विस्तार करेंगे।
- अभी मैंने अग्र सेवा संस्थान ग्वालियर की महिला इकाई में 250 महिलाओं को जोड़ा है, जिन्हें हम आगे बढ़ने का भी मौका देंगे।