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मोदी 3.0: के 3 महीने… विकास, सुरक्षा और मिडिल क्लास पर मिली-जुली प्रतिक्रिया

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नई दिल्ली। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की शिक्षाविद् विनीता गुप्ता, मुंबई की गृहणी कल्पना जलान, भोपाल की असिस्टेंट प्रोफेसर राखी शर्मा और आगरा की टीजीटी कोऑर्डिनेटर अंकिता राणा ने मोदी सरकार 3.0 पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
विनीता गुप्ता का कहना है कि पिछले 10 सालों में मोदी सरकार ने सबसे ज्यादा विकास किया है, वहीं कल्पना जलान ने भी विकास और सुरक्षा में सरकार के अभूतपूर्व काम की तारीफ की है। दूसरी ओर, राखी शर्मा ने महिलाओं के विकास और सुरक्षा में सरकार के विशेष योगदान की सराहना की, जबकि अंकिता राणा ने मिडिल क्लास और बेरोजगारी के मुद्दों पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। तो वहीं भोपाल के रहनेवाले बिजनेसमैन वैभव सहनी ने कहा कि मोदी सरकार में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। इसके साथ ही भोपाल से एंटरप्रेन्योर श्रुति सोमानी कालानी एवं ग्वालियर से वर्किंग वुमन तृप्ति प्रधान ने भी अपनी प्रतिक्रिया साझा की।

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भोपाल से शिक्षाविद् विनीता गुप्ता ने मोदी सरकार के 10 सालों के कार्यकाल की सराहना करते हुए कहा कि इस दौरान देश ने सबसे अधिक विकास देखा है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में हुए बुनियादी ढांचे के कार्यों की प्रशंसा की और बताया कि कैसे केंद्र सरकार ने कई बड़े विकासात्मक कदम उठाए हैं। हालांकि, उन्होंने राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र के विकास कार्यों के मुकाबले राज्य सरकार का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है। उन्होंने खासकर सड़कों की खराब हालत का जिक्र किया और कहा कि डबल इंजन की सरकार के बावजूद राज्य में विकास के लाभ स्पष्ट रूप से नहीं दिख रहे हैं।

महिला सुरक्षा पर बात करते हुए विनीता ने कहा कि महिलाएं अभी भी पूरी तरह सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं और इस दिशा में सरकार और पुलिस को और प्रयास करने की जरूरत है। विनीता गुप्ता ने मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में धारा 370 के हटाने का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने देश के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने राम मंदिर के निर्माण की सराहना की, लेकिन कहा कि सरकार को कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। विदेश नीति के क्षेत्र में भी विनीता ने मोदी सरकार के प्रयासों की तारीफ की, यह कहते हुए कि भारत का सम्मान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा है। अंत में, उन्होंने महंगाई को एक आवश्यक चुनौती के रूप में स्वीकार किया, यह बताते हुए कि विकास के लिए कुछ आर्थिक दबाव आवश्यक है।

उत्तर प्रदेश के आगरा से बलूनी पब्लिक स्कूल की टीजीटी कोऑर्डिनेटर अंकिता राणा ने मोदी सरकार की नीतियों पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ क्षेत्रों में अच्छा विकास किया है, लेकिन मिडिल क्लास के लिए कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचा है। अंकिता ने कहा, “मोदी सरकार के शासनकाल में मिडिल क्लास को उतना फायदा नहीं मिला है। लोगों को उम्मीद थी कि कुछ बदलाव होंगे, लेकिन अब तक मिडिल क्लास के लिए कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है।” उन्होंने विशेष रूप से बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने इस क्षेत्र में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। “बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है, और इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है,” अंकिता ने जोर दिया।

महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भी उन्होंने मिश्रित प्रतिक्रिया दी। “महिला सुरक्षा को लेकर कुछ काम हुए हैं, लेकिन समाज पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा है। जितने बड़े वादे किए जाते हैं, उनका केवल 5% ही पूरा किया जाता है,” उन्होंने कहा। नोटबंदी के बाद भी मिडिल क्लास को झेलनी पड़ी परेशानियों का जिक्र करते हुए अंकिता ने कहा, “नोटबंदी के बाद लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बाद भी सरकार से कोई बड़ा सुधार देखने को नहीं मिला। मिडिल क्लास इस सरकार के शासनकाल में सबसे ज्यादा परेशान हुआ है।”

अंत में, उन्होंने कहा कि इस सरकार में महिलाओं की सुरक्षा भी उतनी नहीं बढ़ी है जितनी अपेक्षित थी, और मिडिल क्लास के लोग अभी भी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

महाराष्ट्र के मुंबई से गृहणी कल्पना जलान ने मोदी सरकार की विकास योजनाओं की तारीफ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक सबसे ज्यादा विकास कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी अपने मंत्रिमंडल के साथ लगातार देश को आगे बढ़ाने के प्रयासों में लगे रहते हैं। जलान ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री अपने दुश्मनों से भी बड़ी मजबूती से निपट रहे हैं, खासकर उन लोगों से जो उन्हें अपने घर के भीतर से ही चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने मोदी सरकार की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा, “मोदी जी जैसा विकास आज तक कोई नहीं कर पाया है। उन्होंने देश को एक नई दिशा दी है, और उनके नेतृत्व में जो काम हुए हैं, वो वाकई सराहनीय हैं।”

महिला सुरक्षा पर बात करते हुए कल्पना जलान ने बताया कि अब जब वे विदेश यात्रा करती हैं और लोग उन्हें सुनते हैं कि वे भारत से आई हैं, तो उनका स्वागत होता है। पहले लोग भारत के नाम से मुंह मोड़ लेते थे, लेकिन अब देश का सम्मान बढ़ गया है।
महंगाई के सवाल पर उन्होंने कहा, “महंगाई जरूर बढ़ी है, लेकिन लोगों की इनकम भी बढ़ी है।” उनका मानना है कि आर्थिक चुनौतियों के बावजूद देश ने विकास के रास्ते पर तेजी से कदम बढ़ाए हैं।

मध्यप्रदेश के भोपाल से असिस्टेंट प्रोफेसर राखी शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और महिलाओं के प्रति उनके विशेष ध्यान की सराहना की। उन्होंने कहा कि मोदी जी का सबसे बड़ा वोट बैंक महिलाएं रही हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री कभी भी महिलाओं को साइडलाइन नहीं करते हैं। राखी शर्मा ने कहा, “मोदी जी हमेशा महिलाओं का ख्याल रखते हैं, जैसे कि हर घर में नल से पानी और गैस की व्यवस्था को सुनिश्चित किया गया है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं पर भी सरकार का खास ध्यान रहा है। उन्होंने शिक्षा और महिला सुरक्षा के मुद्दों पर भी चर्चा की और कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में इन क्षेत्रों में पहले से ज्यादा विकास हुआ है। “महिला सुरक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में मोदी सरकार ने काफी अच्छा काम किया है, जिससे महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है,” राखी ने कहा।

स्टार्टअप और रोजगार के अवसरों पर उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। “स्टार्टअप्स के कारण बेरोजगारी कम हो रही है और सरकार की योजनाएं युवाओं को स्किल्ड बना रही हैं। इससे वे रोजगार के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो रहे हैं। राखी ने सैलरी में बढ़ोतरी और वैश्विक समस्याओं पर भी ध्यान दिलाया और कहा कि यह समस्या केवल भारत की नहीं बल्कि कई अन्य देशों की भी है, जिसे मोदी सरकार धीरे-धीरे सुधारने की कोशिश कर रही है।

वहीं मध्यप्रदेश, भोपाल के रहनेवाले बिजनेसमैन वैभव सहनी ने कहा कि मेरे विचार से मोदी सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर जोर दिया है, जैसे कि नई सड़क परियोजनाएं और सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण, सरकार ने आर्थिक सुधारों और विकास योजनाओं पर ध्यान दिया है। लेकिन महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे अभी देश के लिए बड़े सवाल बने हुए हैं। सरकार को अपने तीसरे कार्यकाल में इस और अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

समाजिक मुद्दों पर सरकार की नीतियाँ मिश्रित प्रतिक्रियाएं प्राप्त कर रही हैं। कुछ लोग मानते हैं कि सरकार ने समाजिक नीतियों में सुधार किए हैं, जबकि दूसरों को लगता है कि कुछ मुद्दों को नजरअंदाज किया गया है। कुल मिलाकर, मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, और भविष्य में सरकार की नीतियों और कार्यों पर अधिक स्पष्ट चित्रण होगा।

मध्यप्रदेश के भोपाल से एंटरप्रेन्योर श्रुति सोमानी कालानी ने कहा कि सरकार ने बीते कुछ सालों में रोजगार और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कई अहम कदम उठाए हैं। उन्होंने रोजगार मेला और 20 लाख युवाओं को इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग देने की योजना की सराहना की। साथ ही, 2018 में शुरू किए गए वूमेन इंटर्नशिप प्रोग्राम का जिक्र करते हुए बताया कि इस पहल ने महिला उद्यमियों को मेंटरशिप और आवश्यक संसाधन मुहैया कराए हैं।

महिला सुरक्षा को लेकर श्रुति ने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में महिलाओं की सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन नंबर और वन स्टॉप सेंटर जैसे सुधार किए गए हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को रेप के मामलों पर और कड़े कानून लागू करने चाहिए और शिक्षा प्रणाली को भी मजबूत करने की दिशा में अधिक ध्यान देना चाहिए।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर से वर्किंग वुमन तृप्ति प्रधान ने कहा कि मोदी सरकार ने कई योजनाओं के माध्यम से महिलाओं और किसानों को बड़ी सहायता प्रदान की है। उन्होंने आधार कार्ड, आयुष्मान भारत योजना, और सुकन्या योजना जैसी पहल का उल्लेख करते हुए कहा कि इन योजनाओं से आम जनता को काफी लाभ मिला है। महिला सुरक्षा के संदर्भ में तृप्ति ने कहा कि भाजपा सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा और प्रोत्साहन के लिए कई अहम कदम उठाए हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि मोदी सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रोत्साहन राशि और सिलाई मशीन जैसी योजनाओं से मदद की है। इसके साथ ही, तृप्ति ने कृषि क्षेत्र में भी मोदी सरकार के योगदान की सराहना की, जिसमें किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई हैं।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

जब पेरेंट्स अपने बच्चों को प्राइमरी स्कूल भेजते हैं, तो उनकी प्राथमिक अपेक्षा होती है कि बच्चों को मजेदार तरीके से सीखने का अवसर मिले। छोटे बच्चों का दिमाग पहले आनंद लेना चाहता है। अगर उन्हें मजा नहीं आएगा, तो वे आगे नहीं बढ़ेंगे। हर बच्चे के अंदर प्रतिभा होती है, जरूरी है हम उसे समझें।

बच्चों के स्कूल जाने से पहले पेरेंट्स की काउंसलिंग होनी चाहिए। यह समझना ज़रूरी है कि आपके बच्चे को क्या चाहिए, और उसी के आधार पर स्कूल का चयन करें। ऐसा स्कूल चुनें जिसमें खुला क्षेत्र हो और स्टाफ बच्चों की समस्याओं को हल करने में सक्षम हो। स्कूल और उसकी फैकल्टी बच्चों को संतुष्ट करने में भी सक्षम होना चाहिए।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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