नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन द्वारा राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से हटाने का नोटिस दिया जा चुका है। शीतकालीन सत्र में अब करीब 10 दिन का ही समय बचा हुआ है। ऐसे में सवाल है कि क्या इस सत्र में इस नोटिस पर कोई ऐक्शन हो पाएगा? बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो जाएगा। विपक्ष के मुताबिक अगर इस सत्र में कोई कार्रवाई नहीं होती है तो वह अगले सत्र में भी ऐसी नोटिस देंगे। बताया जाता है कि जगदीप धनखड़ को नोटिस देने का आइडिया टीएमसी का था। गौरतलब है कि राज्यसभा में पहली बार किसी सभापति के खिलाफ इस तरह का नोटिस दिया गया है।
करीब 10 दिन पहले टीएमसी ने सबसे पहले उपराष्ट्रपति के खिलाफ इस कदम का आइडिया दिया था। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक कांग्रेस अडाणी मुद्दे पर आगे बढ़ रही थी। इसी दौरान टीएमसी द्वारा सोनिया गांधी के पास इस बाबत संदेश भिजवाया गया। सोनिया ने कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से बात की और इस मुद्दे से जुड़ने के लिए कहा।
इसके बाद मॉनसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने अपने खिलाफ भेदभाव को लेकर सबूत जुटाने शुरू किए। इसमें वीडियो क्लिप्स से लेकर आर्टिकल्स और अन्य डॉक्यूमेंट्स शामिल थे। विपक्ष धनखड़ के खिलाफ कई मुद्दों को लेकर नाराज है। इसमें भाजपा सदस्यों द्वारा कांग्रेस प्रतिनिधियों और जॉर्ज सोरोस के बीच संबंधों को लेकर सवाल उठाना भी शामिल है। विपक्ष का कहना है कि खासतौर पर 9 दिसंबर को धनखड़ा का व्यवहार एकतरफा और अनुचित था विपक्ष के मुताबिक धनखड़ ने ट्रेजरी बेंच को गलत टिप्पणियों को उत्साहित किया।
विपक्ष के प्रस्ताव में जगदीप धनखड़ को विपक्षी सदस्यों पर अस्वीकार्य टिप्पणियां करने का आरोप लगाया गया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि जुलाई में सदन को चलाते हुए धनखड़ ने खुद को आरएसएस का एकलव्य बताया था। इसके अलावा आरोप में यह भी कहा गया है कि धनखड़ ने विपक्षी सांसदों की उचित मांगों को भी अस्वीकार किया है। विपक्ष का आरोप है कि वह देश भर में विभिन्न मंचों से सरकार की नीतियों के प्रवक्ता की तरह से बात करते हैं।