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अखिलेश ने फिर उठाए सवाल, संभल जाने से क्यों रोका जा रहा

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दिल्ली में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संभल हिंसा पर एक बार फिर सवाल उठाए हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जामा मस्जिद में दोबारा सर्वे का काम क्यों किया? उन्होंने कहा कि मैं भी संभल जाऊंगा। संभल जाने से क्यों रोका जा रहा है। संभल का हाल जानना चाहते हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि संभल में न्याय नहीं मिल रहा है। हम संविधान का सम्मान करते हैं। हम संविधान का उत्सव कैसे मनाएं? उत्सव ढोंग नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा संविधान को नहीं मानती है। यूपी में वोट की लूट हुई। आपको बता दें कि आज समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधि मंडल संभल नहीं जाएगा। तीन दिन तक जाने की इजाजत नहीं मिली है। डीजीपी से तीन दिन तक जाने की इजाजत नहीं मिली है।

इस दौरान सपा के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि “संविधान दिवस के लिए सभी को बधाई। सच्चा उत्सव तभी है जब सब संविधान के रास्ते पर चले। संविधान के रास्ते पर चलकर सच्चा उत्सव मना सकते हैं। हम सब सच्चे समाजवादी संविधानवादी लोग हैं। हम वो समाजवादी नहीं जो संविधान को कोरा कागज समझते हो…और संविधान का उत्सव उस समय मनाना जब संभल में कई जाने चली गई हों, गम के माहौल में कैसे उत्सव मनाया जा सकता है और उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है..पूरी गलती जो है वो सरकार की है..वहां पर कोई जा भी नहीं सकता है, ये भाजपा के वो लोग हैं जो संविधान से नहीं चलते..”

संभल घटना पर समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि अगर किसी को न्याय नहीं मिलेगा तो वो क्या करेगा? अगर किसी व्यक्ति को न्याय नहीं मिलेगा तो वो कुछ न कुछ करेगा…संभल में प्रशासन जो भी कर रहा है, वो 100% गलत है. प्रशासन ने जानबूझकर वहां अशांति फैलाई है। अगर प्रशासन इजाजत दे तो हमारा प्रतिनिधिमंडल वहां जाएगा…हम संसद में संभल का मुद्दा उठाएंगे, ये हमारी प्राथमिकता है और हम इसे छोड़ेंगे नहीं।

समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव संभल की घटना पर कहती हैं कि ” इसका प्रशासन जिम्मेदार है। संभल में लगातार झूठे मुकदमे दर्ज करके लोगों को परेशान किया जा रहा है, हमारे सांसद भी मौजूद नहीं थे, वो घटना के समय बेंगलुरु में थे, लेकिन उनका नाम भी शामिल कर दिया गया है…”

उन्होंने कहा कि “हम चाहते हैं कि हर दिन संविधान दिवस की तरह मनाया जाए और जिस तरह की घटना हमने देखी है और जिस तरह से हमारे चुनाव अभी संपन्न हुए हैं और जिस तरह की घटनाएं हमने इन चुनावों में देखी हैं, संभल की घटना भी, कहीं न कहीं ये बीजेपी वाले नहीं चाहते कि ये देश संविधान से चले, इसीलिए हम आज अंदर नहीं गए हैं बल्कि हमने आज कार्यालय में संविधान की शपथ ली है।

उधर, हिंसा के बाद अब हालात सामान्य हो रहे हैं। बाजार खुल गए हैं। स्कूल भी खुले। हालांकि अभी इंटरनेट सेवा बहाल नहीं की गई है। हिंसाग्रस्त इलाके में पुलिस बल तैनात है। कड़ी निगरानी की जा रही है। उधर, सपा का प्रतिनिधि मंडल आज संभल नहीं जाएगा।

डीआईजी मुनिराज जी ने बताया कि हिंसाग्रस्त इलाकों में दुकानें खुल गई हैं। लोगों का आवागमन सुचारु रूप से चल रहा है। रविवार दोपहर से बंद की गई इंटरनेट सेवा अब तक बहाल नहीं हो सकी है। जिला प्रशासन के अनुसार, मंगलवार शाम चार बजे तक इंटरनेट सेवा बंद रहेगी।

पुलिस अब भी संभल बवाल से जुड़े मामलों में सतर्कता बरत रही है। वीडियो फुटेज के आधार पर उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। पुलिस ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की है। प्रमुख इलाकों में गश्त जारी है। संभल बवाल के तीसरे दिन भी पुलिस ने अपनी सतर्कता बनाए रखी।

संभल तिराहे पर पुलिस बल के साथ वाहनों की चेकिंग जारी है। संभल की ओर जाने वाले सभी छोटे-बड़े वाहनों को रोका गया और उनकी गहन जांच की गई। इसके साथ ही, भीड़ लगाकर खड़े लोगों को भी रोक-टोक कर नियंत्रित किया गया।

सपा सांसद और विधायक के बेटे समेत 2500 पर एफआईआर
संभल में बवाल के दूसरे दिन सोमवार को शांति के बीच पुलिस ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल समेत 2500 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की। बर्क और सुहेल पर बलवा कराने की साजिश का आरोप है। वहीं तीन महिलाओं समेत 27 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। वहीं जामा मस्जिद के सदर जफर अली एडवोकेट को पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया। सीओ अनुज चौधरी, एसपी के पीआरओ संदीप कुमार, दरोगा दीपक राठी और शाह फैसल की तहरीर पर संभल कोतवाली में पांच और नखासा थाने में दो मुकदमे दर्ज किए गए। इसमें 2500 लोग…

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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