db News Network

Home » स्टूडेंट की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी सेफ्टी और रेगुलर मॉनिटरिंग ही हमारी प्राथमिकता – डॉ शबाना रेहान

स्टूडेंट की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी सेफ्टी और रेगुलर मॉनिटरिंग ही हमारी प्राथमिकता – डॉ शबाना रेहान

0 comment 149 views 3 minutes read

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। स्कूलों में नए सेशन के स्टार्ट होते ही स्टूडेंट्स का फोकस अब पढ़ाई की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में बच्चो ने भी पढ़ाई शुरू कर दी है। हर स्कूल अपने स्टूडेंट की पढ़ाई को लेकर खासा उत्साहित है। और स्टूडेंट भी चाहता है कि वह बेहतर स्कोर कर सके। इसमें स्टूडेंट्स, टीचर और पेरेंट्स तीनों को ही भूमिका महत्वपूर्ण रहती है। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर के लिटिल एंजेल्स स्कूल की प्रिंसिपल डॉ शबाना रेहान रेहान ने कुछ बातें डीबी न्यूज़ नेटवर्क से साझा की।

लिटिल एंजेल्स स्कूल की प्रिंसिपल डॉ शबाना रेहान ने कहा है कि हमारा पूरा फोकस बच्चों की पढ़ाई पर रहता है, साथ ही हम अपने टीचर्स को इस तरह से ट्रेंड करते हैं कि वे आजकल के हिसाब से स्टूडेंट्स को पढ़ाने के साथ-साथ उनकी की पर्सनैलिटी डेवलपमेंट पर भी ध्यान दें। हमारा करीकुलम भी इसी बात को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।

हम इस बात पर ध्यान देते हैं कि बच्चों की रेगुलर मॉनिटरिंग हो, उनकी सेफ्टी हो यही हमारी पहली प्राथमिकता है। हमारे यहां सेफ्टी का बहुत ध्यान दिया जाता है। 24 घंटे यहां पर सर्विलांस रहते हैं। स्कूल में पहले से ही कैमराज भी लगे हुए हैं। हमारे यहां स्मार्ट क्लासेस भी रहती हैं। 12th स्टैंडर्ड के जो स्टूडेंट्स क्लास अटेंड नहीं कर पाते हैं हमने उनके लिए घर से बैठकर क्लास लेने की फैसिलिटी भी उपलब्ध कराई है। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में स्टूडेंट्स के लिए हमारे स्कूल में क्लासेज अवेलेबल हैं।

हमारे स्कूल का फोकस सभी लैंग्वेजेस पर भी है क्योंकि इंग्लिश के साथ-साथ हम सभी लैंग्वेज पर फोकस करते हैं। फ्रेंच लैंग्वेज हमारे स्कूल में लास्ट ईयर स्टार्ट हो चुकी है। संस्कृत लैंग्वेज भी है, इंग्लिश है, हिंदी है। हमने अब रोबोटिक क्लास भी स्टार्ट की हैं।

जब उनसे पूछा गया कि पेरेंट्स का कोऑर्डिनेशन बच्चों की पढ़ाई में किस तरह का होना चाहिए। तब उन्होंने कहा पेरेंट्स के सपोर्ट के बिना कुछ भी संभव नहीं है। हम हमारे स्कूल के ऐप के माध्यम से पेरेंट्स को रेगुलर फीडबैक देते हैं। जो स्टूडेंट स्कूल नहीं आया है, तो पेरेंट्स को घर बैठे यह पता चल जाता है कि स्कूल में आज क्या टॉपिक कराया गया है। हम ऐप पर सब कुछ अपडेट करते हैं जिससे पेरेंट्स को फीडबैक मिलता रहता है।

उन्होंने कहा कि मैं सभी पेरेंट्स से यह कहना चाहूंगी कि आप एटलीस्ट दिन भर में एक बार ऐप को जरुर चेक करें, क्योंकि हमारे इंपोर्टेंट नोटिस सहित कई अन्य जानकारियां ऐप के माध्यम से दी जाती हैं। हॉलिडे होमवर्क भी हम बच्चों से करवाते हैं, हम हॉलिडे होमवर्क में वही देते हैं जो स्कूल में करवाया जाता है और हम ग्रुप स्टडी भी करवाते हैं जिससे स्टूडेंट को हेल्प मिल सके।

लिटिल एंजेल्स स्कूल की प्रिंसिपल ने कहा है कि कोरोना के बाद से स्टूडेंट्स में बहुत ज्यादा बदलाव देखने को मिला है। स्टूडेंट्स के टाइम टेबल में भी काफी बदलाव आया है। पर अब सब सामन्य हो गया है और सभी स्टूडेंट्स डिजिटली भी अपडेट हो गए हैं।

Leave a Comment

चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

हमारी वेबसाइट एक सार्वजनिक प्रकार की जानकारी प्रदान करने का प्रयास करती है और हम आपको विभिन्न विषयों पर लेख और समाचार प्रस्तुत करते हैं। मेरा उद्देश्य आपको विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में घटित घटनाओं से अवगत करना है और आपको सबसे नवाचारी और महत्वपूर्ण खबरों के साथ जोड़ने का मौका प्रदान करना है।

 

मैं अपने लेखों को विभिन्न श्रेणियों में प्रकाशित करता हूं, जैसे कि राजनीति, व्यापार, विज्ञान, खेल, मनोरंजन, लाइफस्टाइल, एजुकेशन, धर्म और विदेश। हमारा उद्देश्य यह है कि हम हमेशा आपको ताजा और महत्वपूर्ण समाचार प्रदान करें, ताकि आप सबसे अद्वितीय और महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी प्राप्त कर सकें।

 

हमें गर्व है कि हम एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में जाने जाते हैं और हम आपके साथ हमेशा रहेंगे, आपको समाचार और जानकारी के साथ। हमारे साथ जुड़कर आप दुनियाभर की घटनाओं के साथ रहेंगे और जानकारी

©2023 DB News Networks – All Right Reserved. Designed and Developed by Web Mytech