मध्यप्रदेश का सहकारी सांची दुग्ध संघ ने बड़ा फैसला लिया है, ये फैसला ग्वालियर-चंबल के मिलावटखोरों को देखते हुए सांची को लेना पड़ा है। सांची ने अब.. चंबल के 7 बढे सेंटरों से दूध लेना बंद कर दिया.. जिससे दुग्ध का कारोबार करने वालों को बड़ा झटका लगा है, देखा जाएं तो प्रदेश के आधे जिलों में मिलावटी दूध का कारोबार चल रहा है, हर दूसरी दुकान पर दूध और दूध से बने मिलावटी पदार्थ मिल रहे हैं.. खाद्य सुरक्षा और नियंत्रक के दो माह के आंकड़ों से जाहिर है कि मिलावटखोरी पूरे प्रदेश में जारी है, ऐसे में हाईकोर्ट के आदेशों का भी कोई असर.. मिलावटखोरों पर नही हो रहा है, ऐसे में सांची दुग्ध संघ को अपनी गुणवत्ता बचाने के लिए ये फैसला लेना पड़ा है।
मध्यप्रदेश में डेयरी उद्योग में मिलावट के कारोबार में खुलासा हुआ कि ग्वालियर-चंबल में मिलावटी दूध और उससे बने सामानों का कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। जब कार्रवाई हुई तो प्रदेश के कुछ बड़े शहरों में चल रहे इस कारोबार का भी खुलासा हुआ। मिलावटी दूध-मिठाई-घी बनाने वाले खजुराहो, खंडवा, बुरहानपुर, भोपाल, सतना, पन्ना, धार, नीमच, सिंगरौली, सिवनी, रायसेन, विदिशा, मुरैना में भी पकड़े गए। प्रदेश में केवल मिलावटी दूध के कारोबार में ही 2.75 करोड़ रुपए रोज की भारी कमाई के कारण मिलावट का धंधा खूब फल-फूल रहा है। ऐसे में अब सरकार की दुग्घ एजेंसियों ने कई जिलों से दूध न खरीदने का फरमान जारी कर दिया है,ग्वालियर चंबल में सात बड़े सेंटर मुरैना, दबोह, मेहगांव, भिंड, दतिया, डबरा, भांडेर, विजयपुर से खरीदना बंद कर दिया है।
हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने कहा है कि मध्य प्रदेश के अलावा एक दर्जन से अधिक अन्य राज्यों के लिए नकली खोआ और दूध ग्वालियर-चंबल में ही बनता है..हालत यह है कि त्योहार आया नहीं कि मिलावट कर मिल्क प्रोडक्ट बेचना शुरू करते है.. मिलावट खोरी को लेकर सख्त हाईकोर्ट ने ग्वालियर चंबल संभाग के सभी 9 कलेक्टरों को मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए है। लेकिन मिलावट खोरों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले जिम्मेदार अधिकारी कई वर्षों से एक ही स्थान पर जमे होने से इनके हौसले बुलंद हैं और सांठ गांठ बदस्तूर जारी है।
गौरतलब है कि हाई कोर्ट की सख्ती के बाद दुग्घ संघ सांची ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए.. ग्वालियर अंचल के मिलावट खोर इलाकों से दूध खरीदना बंद कर दिया है… बहरहाल अब देखना ये है.. इस आदेश से डेयरी संचालकों को बड़ा झटका जरूर लगा है, लेकिन वो अपनी छवि को सुधारने के लिए क्या कदम उठाते है।