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BJP vs AAP सुरक्षा के मुद्दे पर क्यों इतने हमलावर हुए केजरीवाल? भाजपा ने लगाया ये दांव

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नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अचानक बेहद हमलावर हो उठे हैं। वे रोज-रोज दिल्ली में हो रहे अपराध को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल वीके सक्सेना को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। लेकिन दिल्ली में तो लगातार आपराधिक घटनाएं घटती रही हैं। ऐसे में यह प्रश्न खड़ा होता है कि आम आदमी पार्टी ने अचानक सुरक्षा के मुद्दे पर हमलावर रुख क्यों अपनाया? केजरीवाल की रणनीति में इस बदलाव का क्या असर होगा। भाजपा इसके जवाब में क्या रणनीति अपना सकती है।

दिल्ली में अपराध
केजरीवाल दिल्ली में हो रहे अपराध को लेकर लगातार ट्वीट कर रहे हैं। प्रेस कांफ्रेंस कर भाजपा से सुरक्षा के मुद्दे पर सवाल पूछ रहे हैं। पिछले एक सप्ताह के अंदर उन्होंने कई ट्वीट कर भाजपा को घेरने का काम किया है। दिल्ली का नक्शा दिखाते हुए उसमें अलग-अलग जगहों पर हुई अपराध की घटनाओं को दिखाते हुए उन्होंने दिल्ली की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। विधानसभा के पटल से भी उन्होंने इस विषय की गंभीरता को उठाया। संजय सिंह ने इस मामले को संसद में चर्चा के लिए भी लाने की मांग की। संसद भवन के परिसर में भी उन्होंने सुरक्षा के मुद्दे पर प्रदर्शन कर लोगों का ध्यान सुरक्षा के मुद्दे पर खींचा।

कारण क्या है
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी इस समय गंभीर आरोपों में घिरे हुए हैं। तथाकथित शराब घोटाले और मुख्यमंत्री के आवास में भारी खर्च कर ऐशोआराम की वस्तुएं लाने की खबरों ने केजरीवाल की उस छवि को बहुत धक्का पहुंचाया है जिसने आम जनता के बीच उनकी छवि एक ईमानदार, साफ-स्वच्छ छवि का व्यक्ति और जनता के लिए काम करने वाले नेता की बनाई थी।

चुनाव के समय पुराने मुद्दे कितने ही कारगर क्यों न हों, बार-बार नहीं चलते। समय के साथ हर चुनाव में राजनीतिक दलों को एक नए मुद्दे के साथ जनता को आकर्षित करना होता है। केजरीवाल की मुफ्त बिजली-पानी और बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त सफर की योजनाएं आकर्षक हैं, लेकिन इसके बाद भी उनकी वोट खींचने की चमक कमजोर पड़ी है। ऐसे में केजरीवाल के पास नया मुद्दा चाहिए। नए मुद्दे के रूप में सुरक्षा एक आकर्षक विषय हो सकता है जो आम जनता को उनसे जोड़ने की कोशिश कर सकता है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि केजरीवाल ने एक रणनीति के तहत सुरक्षा को अपना पहला मुद्दा बना लिया है।

भाजपा ने क्या किया?
भाजपा भी केजरीवाल की इस रणनीति को समझ रही है। यही कारण है कि समय रहते उसने केजरीवाल का जवाब देना शुरू कर दिया। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि अरविंद केजरीवाल सुरक्षा के मुद्दे को उठाकर ‘शराब घोटाले’ और ‘शीश महल विवाद’ से लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं। लेकिन यह संभव नहीं होगा। जनता जानती है कि केजरीवाल इसी तरह अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए नए-नए मुद्दों के पीछे छिपने का काम करते हैं। केजरीवाल की रणनीति को भांपते हुए भाजपा एक आक्रामक अभियान चलाकर उनके भ्रष्टाचार के आरोपों को जनता के सामने लाने की तैयारी भी कर रही है।

पंजाब के स्वर्ण मंदिर में एक पूर्व मुख्यमंत्री पर हुए जानलेवा हमले का मुद्दा सामने आ जाने से भाजपा को हमलावर होने का अवसर मिल गया। पार्टी ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार में एक पूर्व मुख्यमंत्री सुरक्षित नहीं है, लेकिन इसके बाद भी केजरीवाल अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए दिल्ली की सुरक्षा का मामला उठा रहे हैं।

चुनावी विश्लेषक मानते हैं कि नरेश बाल्यान और नरेश यादव के मामले के कारण भी केजरीवाल का सुरक्षा को मुद्दा बनाने का दावा कमजोर पड़ा है। यदि ऐसा कोई भी विवाद सामने आया तो केजरीवाल इस बेहतरीन मुद्दे की धार खो सकते हैं।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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