नई दिल्ली। देश में एंटरप्रेन्योर महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो अपने व्यवसायों के माध्यम से न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं, बल्कि समाज में परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा स्त्रोत भी बन रही हैं। इन महिलाओं ने अपने समर्पण और मेहनत से विभिन्न क्षेत्रों में नए मुकाम हासिल किए हैं, चाहे वह ग्रामीण स्तर पर हो या अंतरराष्ट्रीय मंच पर। डीबी न्यूज़ नेटवर्क के साथ हुई बातचीत में इन एंटरप्रेन्योर महिलाओं ने अपनी बिजनेस यात्रा और संघर्ष की कहानी साझा की, जिससे दूसरी महिलाओं को सशक्त बनने का संदेश दिया।
भोपाल की अनुजा जैन, स्टूडियो सुई धागा की संस्थापक, ने अपने करियर की शुरुआत एमबीए करने के बाद एक प्रबंधन विषयों की लेक्चरर के रूप में की। हालांकि, मां बनने के बाद उन्होंने अपने बच्चों को प्राथमिकता दी और अपने करियर से दूर हो गईं। जब उनके बच्चे बड़े हुए, तो उन्होंने महसूस किया कि उन्हें फिर से कुछ शुरू करना चाहिए। मध्यप्रदेश के बाघ प्रिंट हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग में उनकी गहरी रुचि थी, जिसे उन्होंने अपने बचपन से सहेजा था। अपने इस पैशन को व्यवसाय में बदलने का विचार उनके दोस्तों और परिवार के समर्थन से आया।
2016 में उन्होंने स्टूडियो सुई धागा की शुरुआत की, जिसमें वह खुद प्रिंट करवाती थीं और कपड़े डिजाइन करती थीं। लेकिन एक महिला उद्यमी होने के नाते उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। परिवार की प्राथमिकता और व्यवसाय के बीच संतुलन बनाना उनके लिए एक बड़ा संघर्ष था। परिवार और दोस्तों के समर्थन से, उन्होंने धीरे-धीरे इन चुनौतियों को पार किया और अपने यूट्यूब चैनल और वेबसाइट के माध्यम से अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाया। उनका यूट्यूब चैनल अनोखा है, जहां वह हर शुक्रवार को नए वीडियो लॉन्च करती हैं, और इसके जरिए ही उनकी ज्यादातर बिक्री होती है।
अगले 10 सालों में अनुजा का लक्ष्य है कि वह अपने स्टार्टअप को एक बड़े प्लेटफार्म में बदलें, जहां सभी हैंड ब्लॉक आर्टिस्ट अपने उत्पादों को बेच सकें। उनका सपना है कि स्टूडियो सुई धागा एक ऐसा मंच बने, जो देशभर के कारीगरों को एक साथ लाए और उन्हें उनकी कला के लिए एक वैश्विक पहचान दिला सके।
भोपाल की रितु गुप्ता, रॉयल फूड्स की संस्थापक, ने 2013 में चॉकलेट का बिज़नेस शुरू किया। शुरुआत में उन्होंने इसे एक शौक के रूप में लिया था, लेकिन जल्द ही इसे एक व्यवसाय में बदलने का फैसला किया। शुरुआती दिनों में उन्हें चॉकलेट पैकिंग के लिए सामग्री प्राप्त करना मुश्किल हुआ, लेकिन अपने जुनून और दृढ़ संकल्प से उन्होंने खुद से पैकिंग तैयार करवाई और धीरे-धीरे ऑनलाइन विकल्पों के बारे में जानकारी हासिल की।
रितु का कहना है कि उनके इस सफर में सबसे बड़ा समर्थन उनके पति से मिला, जिन्होंने उन्हें प्रेरित किया और उनके हर कदम पर साथ दिया। उनके पति की हिम्मत और सहयोग से ही रितु अपने बिज़नेस को इस मुकाम तक ला सकीं। रितु ने अपने चॉकलेट्स को विभिन्न मॉल्स, स्टोर्स, और कॉर्पोरेट ऑर्डर्स के माध्यम से लोगों तक पहुँचाया।
हालांकि रितु ने अभी तक अपने व्यवसाय को पूरी तरह से पेशेवर रूप में नहीं लिया है, उनका सपना है कि वे भविष्य में इसे एक बड़े स्तर पर फैक्टरी के रूप में स्थापित करें। उनका लक्ष्य है कि एक दिन उनके चॉकलेट्स कैडबरी जैसे बड़े ब्रांड्स के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।
ज्योति उपाध्याय, नर्मदापुरम की मेकअप आर्टिस्ट, ने अपने सपने को साकार करने के लिए कठिनाइयों का सामना किया। उनकी शादी के बाद भी, उन्होंने अपने पति से मेकअप आर्टिस्ट बनने की इच्छा जताई। उनके पति ने उन्हें प्रोत्साहित किया और ज्योति ने भोपाल की लेक्मे एकेडमी से मेकअप और कॉस्मेटोलॉजी का कोर्स किया। इस दौरान, उन्हें अपनी बेटी की देखभाल और पढ़ाई के साथ संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
ज्योति के परिवार का सहयोग उनके सफर में बहुत महत्वपूर्ण रहा। उनके जेठ और अन्य परिवार के सदस्यों ने हर कदम पर उनका साथ दिया। अपनी मेहनत से उन्होंने फीस खुद कमाई और खुद ही अदा की। ज्योति का मानना है कि उनके परिवार के समर्थन के बिना वह इस मुकाम तक नहीं पहुंच पातीं।
आगे की योजना के बारे में ज्योति का सपना है कि वह अपने मेकअप ब्रांड को प्रदेशभर में स्थापित करें। वह चाहती हैं कि उनके नाम से उनके परिवार का भी सम्मान बढ़े और लोग कहें कि वह एक बेहतरीन मेकअप आर्टिस्ट हैं।
दिव्या राय बर्मन, इंदौर से “द रन एज” की संस्थापक, ने अपने अनुभव और दृष्टिकोण से एक फिटनेस इनिशिएटिव की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य और फिटनेस को समाज में व्यापक रूप से फैलाना है। उन्होंने विदेश में कई वर्षों तक काम किया और शिक्षा प्राप्त की, लेकिन स्विट्जरलैंड में रहते हुए महसूस किया कि दीर्घकालिक जीवन के लिए भारत वापस आना सही विकल्प होगा। 2019 में भारत लौटने के बाद, उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान फिटनेस के प्रति अपनी रुचि को एक व्यवसाय में बदलने का निर्णय लिया।
उन्होंने भोपाल में फिटनेस की कमी और समुदाय में लोगों की निष्क्रियता को देखा, खासकर 20 से 50 वर्ष की आयु के बीच। दिव्या ने महसूस किया कि भोपाल में नेशनल फॉरेस्ट, लेक्स और सुंदर पार्क जैसी प्राकृतिक सुंदरताएँ होने के बावजूद, लोग उन्हें पर्याप्त रूप से उपयोग नहीं कर रहे थे। इस समस्या को देखते हुए उन्होंने “द रन एज” नामक फिटनेस पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य लोगों को शारीरिक रूप से सक्रिय और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाना था।
दिव्या ने अपने व्यक्तिगत अनुभव और प्रमाणन से खुद को एक प्रशिक्षित फिटनेस कोच, न्यूट्रिशन कोच और योगा टीचर के रूप में स्थापित किया। उनकी संस्था का मुख्य उद्देश्य समावेशी फिटनेस को बढ़ावा देना है, जहां सभी आयु वर्ग के लोग, चाहे वे विकलांग हों या सक्षम, एक साथ भाग ले सकें। उन्होंने विकलांग बच्चों और उनके परिवारों के लिए एथलेटिक इवेंट्स का आयोजन किया है और भोपाल में “शक्ति रन” जैसी महिला सशक्तिकरण से जुड़ी इवेंट्स भी आयोजित की हैं।
दिव्या की योजना अगले पांच वर्षों में मध्य प्रदेश के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों तक अपने फिटनेस इनिशिएटिव को पहुंचाने की है। उनका उद्देश्य महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति जागरूक करना और उनकी जीवनशैली में सुधार लाना है, ताकि समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।
गौमती सिसोदिया, भोपाल में “गौमती ब्यूटी सैलून” की संस्थापक, ने अपने सैलून व्यवसाय की शुरुआत अपने परिवार की देखभाल और अपनी आय सृजन के उद्देश्य से की। लगभग 19 साल पहले, जब उनके बच्चे छोटे थे, उन्होंने एक स्कूल में नौकरी की, लेकिन दूसरे बच्चे के जन्म के बाद उनके लिए घर से बाहर जाकर काम करना कठिन हो गया। उनके पति ने उन्हें सुझाव दिया कि वे ऐसा व्यवसाय शुरू करें, जिससे वे घर से काम कर सकें और बच्चों की देखभाल भी कर सकें। इसी के परिणामस्वरूप उन्होंने ब्यूटी पार्लर का काम शुरू किया, जो उन्हें सुरक्षित और सुविधाजनक लगा।
शुरुआत में, गौमती को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। छोटे बच्चों को संभालना और साथ ही साथ नई-नई स्किल्स सीखना एक कठिन कार्य था। उस समय, भोपाल में ब्यूटी और स्किन ट्रीटमेंट से संबंधित संसाधन बहुत सीमित थे, और उन्हें दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में जाकर प्रशिक्षण लेना पड़ता था। बच्चों और परिवार को छोड़कर बाहर जाकर सीखना उनके लिए एक बड़ा संघर्ष था।
हालांकि, उनके पति का समर्थन उनके व्यवसाय की नींव बना। उनके पति ने उन्हें बिज़नेस का आइडिया दिया और पूरे समय उनका साथ दिया, जिससे गौमती को अपने सैलून को स्थापित करने में मदद मिली। उन्होंने ब्यूटी और स्किन के विभिन्न कोर्सेस किए और अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया।
गौमती के इस कठिन परिश्रम और संघर्ष के कारण ही वे अपने क्षेत्र में सफल हो पाईं और आज भोपाल में एक सफल ब्यूटी सैलून की मालिक हैं।