db News Network

Home » व्यापारिक सफलता से नहीं, समाज में बदलाव लाने का प्रयास – एंटरप्रेन्योर महिलाओं की कहानी

व्यापारिक सफलता से नहीं, समाज में बदलाव लाने का प्रयास – एंटरप्रेन्योर महिलाओं की कहानी

Published: Updated: 0 comment 766 views 16 minutes read

नई दिल्ली। देश में एंटरप्रेन्योर महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो अपने व्यवसायों के माध्यम से न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं, बल्कि समाज में परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा स्त्रोत भी बन रही हैं। इन महिलाओं ने अपने समर्पण और मेहनत से विभिन्न क्षेत्रों में नए मुकाम हासिल किए हैं, चाहे वह ग्रामीण स्तर पर हो या अंतरराष्ट्रीय मंच पर। डीबी न्यूज़ नेटवर्क के साथ हुई बातचीत में इन एंटरप्रेन्योर महिलाओं ने अपनी बिजनेस यात्रा और संघर्ष की कहानी साझा की, जिससे दूसरी महिलाओं को सशक्त बनने का संदेश दिया।

@media (max-width: 767px) { .elementor-image-box-title { margin-bottom: 0px; margin-top: 20px; } }
WhatsApp Image 2024-10-17 at 17.29.16

भोपाल की अनुजा जैन, स्टूडियो सुई धागा की संस्थापक, ने अपने करियर की शुरुआत एमबीए करने के बाद एक प्रबंधन विषयों की लेक्चरर के रूप में की। हालांकि, मां बनने के बाद उन्होंने अपने बच्चों को प्राथमिकता दी और अपने करियर से दूर हो गईं। जब उनके बच्चे बड़े हुए, तो उन्होंने महसूस किया कि उन्हें फिर से कुछ शुरू करना चाहिए। मध्यप्रदेश के बाघ प्रिंट हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग में उनकी गहरी रुचि थी, जिसे उन्होंने अपने बचपन से सहेजा था। अपने इस पैशन को व्यवसाय में बदलने का विचार उनके दोस्तों और परिवार के समर्थन से आया।

2016 में उन्होंने स्टूडियो सुई धागा की शुरुआत की, जिसमें वह खुद प्रिंट करवाती थीं और कपड़े डिजाइन करती थीं। लेकिन एक महिला उद्यमी होने के नाते उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। परिवार की प्राथमिकता और व्यवसाय के बीच संतुलन बनाना उनके लिए एक बड़ा संघर्ष था। परिवार और दोस्तों के समर्थन से, उन्होंने धीरे-धीरे इन चुनौतियों को पार किया और अपने यूट्यूब चैनल और वेबसाइट के माध्यम से अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाया। उनका यूट्यूब चैनल अनोखा है, जहां वह हर शुक्रवार को नए वीडियो लॉन्च करती हैं, और इसके जरिए ही उनकी ज्यादातर बिक्री होती है।

अगले 10 सालों में अनुजा का लक्ष्य है कि वह अपने स्टार्टअप को एक बड़े प्लेटफार्म में बदलें, जहां सभी हैंड ब्लॉक आर्टिस्ट अपने उत्पादों को बेच सकें। उनका सपना है कि स्टूडियो सुई धागा एक ऐसा मंच बने, जो देशभर के कारीगरों को एक साथ लाए और उन्हें उनकी कला के लिए एक वैश्विक पहचान दिला सके।

भोपाल की रितु गुप्ता, रॉयल फूड्स की संस्थापक, ने 2013 में चॉकलेट का बिज़नेस शुरू किया। शुरुआत में उन्होंने इसे एक शौक के रूप में लिया था, लेकिन जल्द ही इसे एक व्यवसाय में बदलने का फैसला किया। शुरुआती दिनों में उन्हें चॉकलेट पैकिंग के लिए सामग्री प्राप्त करना मुश्किल हुआ, लेकिन अपने जुनून और दृढ़ संकल्प से उन्होंने खुद से पैकिंग तैयार करवाई और धीरे-धीरे ऑनलाइन विकल्पों के बारे में जानकारी हासिल की।

रितु का कहना है कि उनके इस सफर में सबसे बड़ा समर्थन उनके पति से मिला, जिन्होंने उन्हें प्रेरित किया और उनके हर कदम पर साथ दिया। उनके पति की हिम्मत और सहयोग से ही रितु अपने बिज़नेस को इस मुकाम तक ला सकीं। रितु ने अपने चॉकलेट्स को विभिन्न मॉल्स, स्टोर्स, और कॉर्पोरेट ऑर्डर्स के माध्यम से लोगों तक पहुँचाया।

हालांकि रितु ने अभी तक अपने व्यवसाय को पूरी तरह से पेशेवर रूप में नहीं लिया है, उनका सपना है कि वे भविष्य में इसे एक बड़े स्तर पर फैक्टरी के रूप में स्थापित करें। उनका लक्ष्य है कि एक दिन उनके चॉकलेट्स कैडबरी जैसे बड़े ब्रांड्स के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।

ज्योति उपाध्याय, नर्मदापुरम की मेकअप आर्टिस्ट, ने अपने सपने को साकार करने के लिए कठिनाइयों का सामना किया। उनकी शादी के बाद भी, उन्होंने अपने पति से मेकअप आर्टिस्ट बनने की इच्छा जताई। उनके पति ने उन्हें प्रोत्साहित किया और ज्योति ने भोपाल की लेक्मे एकेडमी से मेकअप और कॉस्मेटोलॉजी का कोर्स किया। इस दौरान, उन्हें अपनी बेटी की देखभाल और पढ़ाई के साथ संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

ज्योति के परिवार का सहयोग उनके सफर में बहुत महत्वपूर्ण रहा। उनके जेठ और अन्य परिवार के सदस्यों ने हर कदम पर उनका साथ दिया। अपनी मेहनत से उन्होंने फीस खुद कमाई और खुद ही अदा की। ज्योति का मानना है कि उनके परिवार के समर्थन के बिना वह इस मुकाम तक नहीं पहुंच पातीं।

आगे की योजना के बारे में ज्योति का सपना है कि वह अपने मेकअप ब्रांड को प्रदेशभर में स्थापित करें। वह चाहती हैं कि उनके नाम से उनके परिवार का भी सम्मान बढ़े और लोग कहें कि वह एक बेहतरीन मेकअप आर्टिस्ट हैं।

दिव्या राय बर्मन, इंदौर से “द रन एज” की संस्थापक, ने अपने अनुभव और दृष्टिकोण से एक फिटनेस इनिशिएटिव की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य और फिटनेस को समाज में व्यापक रूप से फैलाना है। उन्होंने विदेश में कई वर्षों तक काम किया और शिक्षा प्राप्त की, लेकिन स्विट्जरलैंड में रहते हुए महसूस किया कि दीर्घकालिक जीवन के लिए भारत वापस आना सही विकल्प होगा। 2019 में भारत लौटने के बाद, उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान फिटनेस के प्रति अपनी रुचि को एक व्यवसाय में बदलने का निर्णय लिया।

उन्होंने भोपाल में फिटनेस की कमी और समुदाय में लोगों की निष्क्रियता को देखा, खासकर 20 से 50 वर्ष की आयु के बीच। दिव्या ने महसूस किया कि भोपाल में नेशनल फॉरेस्ट, लेक्स और सुंदर पार्क जैसी प्राकृतिक सुंदरताएँ होने के बावजूद, लोग उन्हें पर्याप्त रूप से उपयोग नहीं कर रहे थे। इस समस्या को देखते हुए उन्होंने “द रन एज” नामक फिटनेस पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य लोगों को शारीरिक रूप से सक्रिय और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाना था।

दिव्या ने अपने व्यक्तिगत अनुभव और प्रमाणन से खुद को एक प्रशिक्षित फिटनेस कोच, न्यूट्रिशन कोच और योगा टीचर के रूप में स्थापित किया। उनकी संस्था का मुख्य उद्देश्य समावेशी फिटनेस को बढ़ावा देना है, जहां सभी आयु वर्ग के लोग, चाहे वे विकलांग हों या सक्षम, एक साथ भाग ले सकें। उन्होंने विकलांग बच्चों और उनके परिवारों के लिए एथलेटिक इवेंट्स का आयोजन किया है और भोपाल में “शक्ति रन” जैसी महिला सशक्तिकरण से जुड़ी इवेंट्स भी आयोजित की हैं।

दिव्या की योजना अगले पांच वर्षों में मध्य प्रदेश के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों तक अपने फिटनेस इनिशिएटिव को पहुंचाने की है। उनका उद्देश्य महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति जागरूक करना और उनकी जीवनशैली में सुधार लाना है, ताकि समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।

गौमती सिसोदिया, भोपाल में “गौमती ब्यूटी सैलून” की संस्थापक, ने अपने सैलून व्यवसाय की शुरुआत अपने परिवार की देखभाल और अपनी आय सृजन के उद्देश्य से की। लगभग 19 साल पहले, जब उनके बच्चे छोटे थे, उन्होंने एक स्कूल में नौकरी की, लेकिन दूसरे बच्चे के जन्म के बाद उनके लिए घर से बाहर जाकर काम करना कठिन हो गया। उनके पति ने उन्हें सुझाव दिया कि वे ऐसा व्यवसाय शुरू करें, जिससे वे घर से काम कर सकें और बच्चों की देखभाल भी कर सकें। इसी के परिणामस्वरूप उन्होंने ब्यूटी पार्लर का काम शुरू किया, जो उन्हें सुरक्षित और सुविधाजनक लगा।

शुरुआत में, गौमती को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। छोटे बच्चों को संभालना और साथ ही साथ नई-नई स्किल्स सीखना एक कठिन कार्य था। उस समय, भोपाल में ब्यूटी और स्किन ट्रीटमेंट से संबंधित संसाधन बहुत सीमित थे, और उन्हें दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में जाकर प्रशिक्षण लेना पड़ता था। बच्चों और परिवार को छोड़कर बाहर जाकर सीखना उनके लिए एक बड़ा संघर्ष था।

हालांकि, उनके पति का समर्थन उनके व्यवसाय की नींव बना। उनके पति ने उन्हें बिज़नेस का आइडिया दिया और पूरे समय उनका साथ दिया, जिससे गौमती को अपने सैलून को स्थापित करने में मदद मिली। उन्होंने ब्यूटी और स्किन के विभिन्न कोर्सेस किए और अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया।

गौमती के इस कठिन परिश्रम और संघर्ष के कारण ही वे अपने क्षेत्र में सफल हो पाईं और आज भोपाल में एक सफल ब्यूटी सैलून की मालिक हैं।

Heading Title

Leave a Comment

चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

हमारी वेबसाइट एक सार्वजनिक प्रकार की जानकारी प्रदान करने का प्रयास करती है और हम आपको विभिन्न विषयों पर लेख और समाचार प्रस्तुत करते हैं। मेरा उद्देश्य आपको विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में घटित घटनाओं से अवगत करना है और आपको सबसे नवाचारी और महत्वपूर्ण खबरों के साथ जोड़ने का मौका प्रदान करना है।

 

मैं अपने लेखों को विभिन्न श्रेणियों में प्रकाशित करता हूं, जैसे कि राजनीति, व्यापार, विज्ञान, खेल, मनोरंजन, लाइफस्टाइल, एजुकेशन, धर्म और विदेश। हमारा उद्देश्य यह है कि हम हमेशा आपको ताजा और महत्वपूर्ण समाचार प्रदान करें, ताकि आप सबसे अद्वितीय और महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी प्राप्त कर सकें।

 

हमें गर्व है कि हम एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में जाने जाते हैं और हम आपके साथ हमेशा रहेंगे, आपको समाचार और जानकारी के साथ। हमारे साथ जुड़कर आप दुनियाभर की घटनाओं के साथ रहेंगे और जानकारी

©2023 DB News Networks – All Right Reserved. Designed and Developed by Web Mytech