भोपाल, मध्य प्रदेश: मशहूर सिंगर, परफ़ॉर्मर और म्यूज़िक क्रिएटर सुदीप मुखर्जी का संगीत सफर बचपन में ही शुरू हो गया था। एक संगीत-प्रधान संयुक्त परिवार में पले-बढ़े सुदीप को बचपन से ही रॉक बैंड का हिस्सा बनने का मौका मिला। महज 11 साल की उम्र में उन्होंने स्टेज पर पहली बार परफॉर्म किया, जहाँ वे गिटार भी बजाते थे और अंग्रेजी गानों में मुखिया सिंगर की भूमिका निभाते थे। उनके संगीत की शुरुआती शिक्षा सपना चटर्जी जैसी अनुभवी गायिका से मिली, जिन्होंने बॉलीवुड में भी अपना नाम दर्ज करवाया है।
सुदीप मुखर्जी का मानना है कि 90 के दशक का म्यूजिक अपने भावनात्मक जुड़ाव, मौलिकता और मेलोडी के लिए जाना जाता था, जबकि आज का संगीत कहीं न कहीं मूल तत्वों और आत्मा से दूर होता जा रहा है। वे इस बदलाव को एक चिंताजनक दिशा मानते हैं, जहाँ बाजारवाद और “भेड़चाल” के कारण असली टैलेंट को वह मंच नहीं मिल पाता, जो मिलना चाहिए। रियलिटी शोज़ और म्यूज़िक प्लेटफॉर्म्स पर आने वाली शिकायतों को वे एक कड़वी सच्चाई मानते हैं। इसके बावजूद, वे खुद कई प्रतियोगिताओं में जज की भूमिका निभा चुके हैं, जहाँ उन्होंने निष्पक्षता के साथ प्रतिभा को पहचानने की कोशिश की है।
एक म्यूज़िक क्रिएटर के रूप में सुदीप पश्चिमी संगीत की झलक अपने काम में शामिल करते हैं, और क्लाइंट्स को भी पहले से यह स्पष्ट करते हैं कि उनका स्टाइल किस ओर झुकाव रखता है। वे यह भी मानते हैं कि अगर किसी अन्य म्यूज़िक क्रिएटर का स्टाइल प्रोजेक्ट के लिए बेहतर है, तो काम उसे सौंप देना ही पेशेवर ईमानदारी है। नए कलाकारों के लिए उनका संदेश है कि उन्हें खुद की पहचान और स्किल्स पर भरोसा रखना चाहिए और उस कला को निखारने में कोई समझौता नहीं करना चाहिए। वे कहते हैं, “आपका हुनर ही आपकी पहचान है – उसे कभी भी सस्ते ट्रेंड्स के लिए न खोएं।”





