बेंगलुरु, कर्नाटक: थिएटर आर्टिस्ट और एक्टर श्रृंगा बी.वी. ने 2004 में अपने अभिनय सफर की शुरुआत की थी। एक थिएटर कॉल “गोकुल निर्गमन” से शुरू हुई उनकी यात्रा में उन्होंने न केवल भारत के प्रतिष्ठित मंचों पर अभिनय किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग के तहत जर्मनी जैसी जगहों पर भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। वह अब तक 70 से ज्यादा थिएटर प्रोडक्शंस और करीब 2500 से अधिक शो कर चुके हैं, जिसमें उनकी सशक्त अभिनय क्षमता और सामाजिक मुद्दों पर गहराई से काम करने की प्रवृत्ति साफ दिखती है।
श्रृंगा की फिल्मों में भी उनकी पसंद और किरदार बेहद विचारोत्तेजक रहे हैं। उनकी पहली फिल्म बरारी एक कॉमेडी थी, लेकिन असली पहचान उन्हें 2015 की फिल्म ‘हरिकथा प्रसंगा’ से मिली, जिसमें उन्होंने स्त्री वेशधारी यक्षगान कलाकार का किरदार निभाया। यह फिल्म एक कलाकार की जेंडर आइडेंटिटी से जूझती कहानी है, जिसे डायरेक्टर अनन्या कासरवल्ली (गिरीश कासरवल्ली की बेटी) ने निर्देशित किया था। इसके बाद “19.20.21 जैसी संवेदनशील फिल्म में उन्होंने एक आदिवासी छात्र की भूमिका निभाई, जो संवैधानिक अधिकारों के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ता है। वहीं, ‘चिली चिकन’ जैसी फिल्मों के माध्यम से उन्होंने नॉर्थ ईस्ट के प्रवासी युवाओं की कहानियों को उजागर किया, जो भारतीय सिनेमा में अब तक बहुत कम देखने को मिला है।
श्रृंगा मानते हैं कि थिएटर आज भी कलाकार को गहराई और जटिलता से जुड़ने का मौका देता है, जो अक्सर फिल्मों में छूट जाता है। वे आगे भी थिएटर को अपनी जड़ों की तरह मानते हुए, अलग-अलग भाषाओं और सीमाओं के पार जाकर काम करना चाहते हैं—चाहे भारत हो या अंतरराष्ट्रीय मंच। उनका लक्ष्य है कि वे बोल्ड और जटिल कहानियों को अपनी कला के माध्यम से सामने लाएँ, जो न सिर्फ मनोरंजन करें, बल्कि सोचने पर मजबूर भी करें।





