मध्य प्रदेश के इंदौर में रह रहे असम के युवा फिलिब बासुमातरी की मॉडलिंग यात्रा केवल एक करियर की कहानी नहीं, बल्कि सामाजिक दबावों और पारिवारिक संघर्षों से जूझते हुए खुद की पहचान बनाने की प्रेरणादायक गाथा है। फिलिब ने 2021 में असम से मॉडलिंग की शुरुआत की थी, लेकिन पारिवारिक असहमति और सामाजिक बंदिशों के कारण उन्हें एक साल का ब्रेक लेना पड़ा। इंदौर आने के बाद उन्होंने दोबारा इस करियर को अपनाया और एक फैशन शो से मॉडलिंग इंडस्ट्री में फिर से कदम रखा। अब उनका फोकस पूरी तरह मॉडलिंग करियर पर है, और वे इसे ही अपना भविष्य बनाना चाहते हैं।
इन दो सालों में फिलिब ने वो परेशानियाँ झेली हैं, जो शायद ही कोई खुलकर बता पाता है। गांव के लोगों ने ताने मारे, उन्हें “लड़की बन गया” जैसे अपमानजनक शब्दों का सामना करना पड़ा, और यहां तक कि घर से बाहर निकलने पर भी कटाक्ष झेलने पड़े। परिवार ने मॉडलिंग को नकारते हुए साफ शब्दों में कह दिया कि अगर ये करना है तो घर छोड़ दो। लेकिन फिलिब ने हार नहीं मानी – उन्होंने चुपचाप, छुपकर अपने सपनों को जिंदा रखा। उनका मानना है कि समाज को यह समझना होगा कि मॉडलिंग भी एक सम्मानजनक करियर है, जिससे न सिर्फ पहचान मिलती है, बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता भी आती है।
फिलिब अब खुद को एक सफल सुपर मॉडल के रूप में देखना चाहते हैं और साथ ही वे समाज की उस सोच को बदलना चाहते हैं जो आज भी बच्चों के करियर को जबरन तय करती है। उनका सपना है कि एक दिन उनके जैसे गांवों के बच्चे भी अपने मन से मॉडल, डांसर या एक्टर बनने की हिम्मत जुटा सकें और उन्हें सपनों को पूरा करने के लिए छुपकर काम न करना पड़े। “अगर मैं सफल हो गया, तो मैं उन बच्चों के लिए उम्मीद बनूंगा जो आज भी डर में जी रहे हैं,” वे कहते हैं। उनकी कहानी न सिर्फ एक संघर्षशील युवा की है, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की शुरुआत भी है।





