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महिलाओं की प्रेरणादायक यात्रा: करियर, स्वास्थ्य, कला और आत्मनिर्भरता में नई राहें खोलने वाले अनोखे क़दम…

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नई दिल्ली। आज हम आपको उन प्रेरणादायक महिलाओं से मिलवाते हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र में अनूठी पहचान बनाई है। करियर काउंसलर डॉ. कनिका शर्मा ने छात्रों को करियर गाइडेंस और आत्मनिर्भरता के महत्व को बताया, जबकि फ्यूचर जुंबा क्लासेज की फाउंडर कशिश देवनानी ने महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर जोर दिया। चोखी नारी की फाउंडर मोक्षिका लालवानी ने रचनात्मक ज्वेलरी के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया, वहीं सेमी परमानेंट मेकअप आर्टिस्ट कृतिका ब्रम्हे ने महिला सौंदर्य के क्षेत्र में नया मुकाम हासिल किया। कत्थक नृत्यांगना नेहा राय ने शास्त्रीय नृत्य से बच्चों को एक उज्जवल भविष्य बनाने का अवसर दिया। इन महिलाओं की यात्रा और संघर्ष हमें यह सिखाते हैं कि सपने और समर्पण से सफलता हासिल की जा सकती है।

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भोपाल, मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध करियर काउंसलर और लाइफ कोच डॉ. कनिका शर्मा ने हाल ही में एक साक्षात्कार में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि अपनी प्रारंभिक शिक्षा भोपाल के सिंधिया कन्या विद्यालय से प्राप्त करने के बाद, उन्होंने एयर इंडिया में स्टेशन मैनेजर के रूप में काम किया। इसके बाद उनका करियर एक नया मोड़ लिया, जब उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर करियर हब शुरू किया। डॉ. कनिका ने महसूस किया कि छात्रों के लिए सिर्फ डिग्री ही नहीं, बल्कि सही मार्गदर्शन, व्यक्तित्व विकास और जीवन कौशल की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

डॉ. शर्मा ने यह भी बताया कि आजकल छात्रों को सही करियर दिशा में मार्गदर्शन की कमी है, जिसके कारण वे काफी भ्रमित रहते हैं। माता-पिता भी अपने बच्चों को सही रास्ता दिखाने में असमर्थ रहते हैं, क्योंकि वे वर्तमान करियर विकल्पों के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते। ऐसे में, डॉ. कनिका ने करियर काउंसलिंग और सॉफ्ट स्किल्स क्लासेज की शुरुआत की है, ताकि वे बच्चों को उनके सही करियर विकल्प चुनने में मदद कर सकें। साथ ही, उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए एक नया कार्यक्रम “बिस्किट” शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें बच्चों को स्टार्टअप और व्यावसायिक शिक्षा के बारे में गहन जानकारी दी जाएगी, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।

अंत में, डॉ. कनिका ने बच्चों के तनाव और मानसिक समस्याओं के समाधान के लिए अपनी पुस्तक “टॉपर्स की डायरी” के बारे में बताया। इस पुस्तक में उन्होंने स्ट्रेस मैनेजमेंट के टिप्स और करियर मार्गदर्शन पर संक्षेप में जानकारी दी है। उनका मानना है कि बच्चों को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक शिक्षा, समस्या समाधान की क्षमता और आत्मविश्वास की आवश्यकता है, ताकि वे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें।

भोपाल: मध्य प्रदेश के भोपाल से जुड़ी फ्यूचर जुंबा क्लासेज की फाउंडर कशिश देवनानी ने हाल ही में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि चार साल पहले जब उन्होंने जुंबा क्लासेज जॉइन की थी, तो उनका उद्देश्य खुद के लिए समय निकालना था। धीरे-धीरे उन्हें यह अहसास हुआ कि यह सिर्फ शारीरिक फिटनेस के लिए नहीं, बल्कि मानसिक ताजगी के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसे एक प्रोफेशनल रूप में अपनाने का निर्णय लिया और अब फ्यूचर जुंबा क्लासेज के माध्यम से महिलाओं को योग और जुंबा सिखा रही हैं।

कशिश देवनानी का मानना है कि आजकल की महिलाएं अपने घर-परिवार के कामों में व्यस्त रहती हैं और खुद के लिए समय नहीं निकाल पातीं। ऐसे में मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए 1 घंटे का समय निकालना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को मानसिक तनाव से मुक्त होने के लिए ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए ताकि वे न सिर्फ शारीरिक रूप से फिट रहें, बल्कि मानसिक रूप से भी ताजगी महसूस करें। कशिश ने यह भी बताया कि उन्होंने अब तक 100 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है और वर्तमान में 10-15 महिलाएं लगातार जुंबा क्लासेज में भाग ले रही हैं।

कशिश ने बताया कि फिटनेस क्लासेज में शुरुआत में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन परिवार के सहयोग से वह आज सफलता की ओर बढ़ रही हैं। उन्होंने अपने पति के योगदान को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताया, जिनका समर्थन उन्हें हमेशा मिलता रहा। कशिश का अगला लक्ष्य फ्यूचर जुंबा क्लासेज को बड़े स्तर पर फैलाना है ताकि अधिक से अधिक महिलाएं इसका लाभ उठा सकें और मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकें।

मध्य प्रदेश के भोपाल से “चोखी नारी” की फाउंडर मोक्षिका लालवानी ने अपने क्रिएटिव ज्वेलरी स्टार्टअप के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि बचपन से उन्हें ज्वेलरी पहनने का शौक था, और जब लोकल मार्केट से खरीदी गई ज्वेलरी टूट जाती थी, तो वह उसे फेंकने के बजाय कुछ नया बनाने का विचार करती थीं। उनका कहना था कि टूटे हुए सामान को फेंकने की बजाय उसमें रचनात्मकता डालकर नई चीजें बनाना हमेशा उन्हें आकर्षित करता था। यही सोच उन्हें अपने ज्वेलरी स्टार्टअप “चोखी नारी” शुरू करने के लिए प्रेरित कर गई। इंस्टाग्राम पर @chokhi_naari पेज के माध्यम से अब वे देशभर से ऑर्डर प्राप्त करती हैं।

मोक्षिका ने अपनी नई ज्वेलरी के डिजाइन में बेजोड़ क्रियेटिविटी को शामिल किया है, जिसमें बोहो और बंजारा स्टाइल्स का फ्यूजन दिखता है। इसके अलावा, उन्होंने फैब्रिक ज्वेलरी को भी अपनी कलेक्शन में शामिल किया है, जिसमें डेनिम फैब्रिक का इस्तेमाल किया गया है, जो इस समय ट्रेंड में है। उनका मानना है कि ज्वेलरी केवल फैशन नहीं, बल्कि एक कला भी है, और यही कला वह बच्चों तक भी पहुंचाना चाहती हैं। इसके लिए वे बच्चों के लिए ज्वेलरी मेकिंग वर्कशॉप्स आयोजित करती हैं, ताकि वे इस कला को सीख सकें और अपने हुनर को आगे बढ़ा सकें।

मोक्षिका का उद्देश्य सिर्फ एक बेहतरीन ज्वेलरी ब्रांड बनाना नहीं है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार की दिशा में भी काम करना है। उन्होंने बताया कि वे महिलाओं को रोजगार देने के लिए अपनी पहल को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी बढ़ा रही हैं। उनका मानना है कि क्रियेटिव ज्वेलरी डिजाइन के माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं। उनकी ओर से उपलब्ध की जाने वाली सर्विस में पुरानी ज्वेलरी को नया रूप देने की भी सुविधा है, जिससे ग्राहक अपनी पुरानी ज्वेलरी को नए स्टाइल में बदलवा सकते हैं। इंस्टाग्राम पर @chokhi_naari पेज के जरिए वे अपनी ज्वेलरी का प्रचार करती हैं और देशभर से ऑर्डर प्राप्त कर रही हैं।

भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से जुड़ी सेमी परमानेंट मेकअप आर्टिस्ट कृतिका ब्रम्हे ने ब्यूटी और मेकअप के क्षेत्र में अपनी यात्रा के बारे में विस्तार से बताया। कृतिका ने शुरुआत में अपनी ग्रैजुएशन और पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री प्राप्त की थी, लेकिन बचपन से ही उनका रुझान ब्यूटी और मेकअप के प्रति था। उन्होंने शुरुआत में परिवार की वेडिंग्स में मेकअप करना शुरू किया, फिर मुंबई में सेलिब्रिटी मेकअप आर्टिस्ट कोर्स किया और बाद में दुबई में भी सेमी परमानेंट मेकअप में अपनी विशेषज्ञता बढ़ाई।

कृतिका ने बताया कि दुबई में ब्यूटी इंडस्ट्री का स्तर बहुत उन्नत है, जहां प्रत्येक ग्राहक को प्रोफेशनल तरीके से और हाईजीन का ध्यान रखते हुए सेवा दी जाती है। वहाँ से उन्होंने कई बारीकियां सीखी, खासकर सेमी परमानेंट मेकअप के बारे में, जो स्किन के अंदर इन्सर्ट किया जाता है। कृतिका ने अपने कोर्स के दौरान यह भी सीखा कि किसी ग्राहक को मेकअप से पहले उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना कितना महत्वपूर्ण है।

अपने अनुभव और भाई के अनुभव को ध्यान में रखते हुए, कृतिका ने परिवार के व्यवसाय “नेल्स बाय राहुल” को नया रूप दिया, जिसमें वे सेमी परमानेंट मेकअप, नेल्स और अन्य ब्यूटी सर्विसेज प्रदान कर रही हैं। कृतिका के अनुसार, उनका उद्देश्य इस व्यवसाय को और विस्तृत करना है और भविष्य में दुबई में भी अपनी सेवाओं की शुरुआत करना है।

उनका सपना है कि उनका सलून दुनिया भर में प्रसिद्ध हो, जैसे कि दुबई में वह अपनी सेवाओं का विस्तार करना चाहती हैं। कृतिका ने बताया कि वह भविष्य में ब्यूटी प्रॉडक्ट्स भी लॉन्च करना चाहती हैं और अपने अनुभव को और अधिक लोगों तक पहुँचाना चाहती हैं।

भोपाल: मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना नेहा राय ने अपने नृत्य के 20 साल के सफर और शास्त्रीय नृत्य में अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि बचपन से ही नृत्य के प्रति उनकी गहरी रुचि थी, जिसे उन्होंने अपनी मां से प्रेरणा लेकर विकसित किया। उनकी मां खुद एक प्रसिद्ध डांसर थीं, और उनका सपना था कि नेहा इस क्षेत्र में अपना नाम कमाए।

नेहा राय ने नृत्य की विधाओं में अपनी शुरुआत पश्चिमी और भरतनाट्यम से की, लेकिन शास्त्रीय नृत्य में अपनी गहरी समझ के कारण उन्होंने कत्थक को चुना और इसके विभिन्न पहलुओं को सीखा। उन्होंने अपने गुरु, शशिकला राजे से नृत्य की बारीकियों को जाना और इस क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाए। इसके बाद नेहा ने कई रियलिटी शोज़ में हिस्सा लिया और उन्हें नेशनल लेवल पर पुरस्कार भी मिले।

उन्होंने शास्त्रीय नृत्य के महत्व पर जोर दिया और कहा कि यह नृत्य न केवल एक कला है, बल्कि यह हमारे पारंपरिक संस्कृतियों और शास्त्रों से भी जुड़ा हुआ है। उनका मानना है कि शास्त्रीय नृत्य एक तरह से जीवन के संस्कारों को भी सिखाता है, और यही कारण है कि उन्होंने हमेशा इस विधा को प्राथमिकता दी है।

नेहा राय ने यह भी बताया कि शास्त्रीय नृत्य केवल एक कला नहीं, बल्कि यह बच्चों के लिए एक अच्छा करियर विकल्प बन सकता है। उन्होंने बताया कि उनकी छात्राओं ने राष्ट्रीय कला उत्सव में शानदार प्रदर्शन किया और उनकी मेहनत के चलते वे पुरस्कार विजेता भी बने।

नेहा ने कहा, “आजकल के बच्चों के लिए डांस बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि मानसिक विकास के लिए भी आवश्यक है।” वह आगे भी अपने छात्रों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नृत्य प्रस्तुतियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करती रहेंगी और इस दिशा में वे और भी बच्चों को प्रोत्साहित करने का प्रयास करेंगी।

नेहा राय का यह मानना है कि शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से बच्चों को एक दिशा मिलती है और वे अपनी कला के जरिए एक नया मुकाम हासिल कर सकते हैं।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

जब पेरेंट्स अपने बच्चों को प्राइमरी स्कूल भेजते हैं, तो उनकी प्राथमिक अपेक्षा होती है कि बच्चों को मजेदार तरीके से सीखने का अवसर मिले। छोटे बच्चों का दिमाग पहले आनंद लेना चाहता है। अगर उन्हें मजा नहीं आएगा, तो वे आगे नहीं बढ़ेंगे। हर बच्चे के अंदर प्रतिभा होती है, जरूरी है हम उसे समझें।

बच्चों के स्कूल जाने से पहले पेरेंट्स की काउंसलिंग होनी चाहिए। यह समझना ज़रूरी है कि आपके बच्चे को क्या चाहिए, और उसी के आधार पर स्कूल का चयन करें। ऐसा स्कूल चुनें जिसमें खुला क्षेत्र हो और स्टाफ बच्चों की समस्याओं को हल करने में सक्षम हो। स्कूल और उसकी फैकल्टी बच्चों को संतुष्ट करने में भी सक्षम होना चाहिए।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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