टीचर मां की तरह और स्कूल घर की तरह जैसा माहौल बच्चे के लिए बेहद जरूरी – सुप्रिया
मध्यप्रदेश में ग्वालियर के लिटिल एंजेल्स स्कूल की हेडमिस्ट्रेस सुप्रिया मालपानी के अनुसार हर बच्चा टीचर के लिए एवं स्कूल के लिए महत्वपूर्ण होता है उसकी प्रतिभा को समझना और उसे निखारना टीचर और स्कूल की जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा की हर बच्चा प्रतिभावान है, हमें बस बच्चों की प्रतिभा को समझने और उसे सहज भाव में समझाने की जरूरत होती है। आज के समय में सबसे पहले एक टीचर को बच्चों के मन, मस्तिष्क को पढ़ने की जरूरत है और उसके बाद उसे खेलकूद और अदर एक्टिविटीज के साथ पढ़ाने की बात आती है, एक टीचर के लिए सभी बच्चे समान होते हैं और प्रत्येक बच्चा महत्वपूर्ण होता है इसी भावना के साथ लिटिल एंजेल्स स्कूल बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देता है।
उन्होंने कहा कि आज के वक्त में माहौल बहुत बदल गया है, बच्चे आज बहुत आसानी से और सहज भाव के साथ टीचर के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं और टीचर्स भी बच्चों को प्रॉपर अटेंशन देते हैं जिससे बच्चे के सर्वांगीण विकास में मदद मिलती है। एक बेहतर शिक्षण संस्थान के लिए जरूरी है की टीचर प्रत्येक बच्चे पर प्रॉपर ध्यान दें उसे खेलकूद के माध्यम से समझाने की कोशिश करें, और इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है की पेरेंट्स बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव न बनाएं अगर कोई बच्चा आज बहुत अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाया है तो यह जरूरी नहीं कि वह आगे भी नहीं कर पाएगा उस पर ध्यान दें, बच्चों के मित्र बनिए जिससे निश्चित तौर पर आगे सकारात्मक परिणाम आपको देखने को मिलेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि आजकल के बच्चे काफी इंटेलिजेंट हैं। उन्होंने कॉविड टाइम का जिक्र करते हुए कहा कि जब 2020 में कोरोना काल आया और हमने अपना एजुकेशन सिस्टम ऑनलाइन मोड पर शिफ्ट किया तो बच्चों ने बहुत आसानी से इस ऑनलाइन कांसेप्ट को एक्सेप्ट किया और उस दौर में भी टीचर और स्टूडेंट के बेहतर कोऑर्डिनेशन देखने को मिला पर ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम की अपनी लिमिटेशन थी, जैसे बच्चों को क्लासरूम से दूर घर से पढ़ाई करना, बच्चों को शेयरिंग कांसेप्ट से भी दूर रहना पड़ा और बच्चों की फिजिकल एक्टिविटीज भी ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम में नहीं हो पा रही थी, पर उस दौर में ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम बेहद मददगार साबित रहा जिससे बच्चे और टीचर्स दोनों ही तकनीक के लिहाज से काफी विकसित हुए।
सुप्रिया मालपानी ने अपने छात्र जीवन का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे वक्त में टीचर्स काफी सख्त हुआ करते थे पर आज का समय बदला है और आज टीचर्स स्टूडेंट के साथ फ्रेंडली हो गए हैं जिससे स्टूडेंट्स को अपनी बात कहने में काफी आसानी होती है और टीचर भी बच्चे की परेशानी को समझ कर बच्चों की मदद करते हैं। उन्होंने पेरेंट्स का जिक्र करते हुए कहा कि पेरेंट्स बच्चों पर बिल्कुल भी दबाव न बनाएं बच्चों को मोबाइल, टीवी और गैजेट्स का कम इस्तेमाल करने दें और मित्र बनकर उनकी बात समझने का प्रयास करें।