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पंचायत चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने शुरू की तैयारियां, भाजपा ने किया सदस्यता अभियान शुरू

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नई दिल्ली। नए साल के शुरू में प्रस्तावित पंचायत चुनाव के लिए सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक दल पंचायत चुनाव को पूरी तरह से कैश करने के मूड में हैं। इसमें जहां भाजपा अपने साथ लाखों नए सदस्यों को जोड़कर जनाधार बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है तो वहीं सत्तापक्ष में नेकां जम्मू के लोगों के बीच पहुंचकर उनके हक और हितों की बात कर रही है। कांग्रेस ने भी जल्द संगठन फेरबदल के बाद राजनीतिक गतिविधियां तेज करने के संकेत दिए हैं।

भाजपा के जनसंपर्क अभियान के प्रभारी असीम गुप्ता ने दावा किया है कि हाल ही में शुरू किए गए पार्टी के सदस्यता अभियान में अब तक करीब डेढ़ लाख नए सदस्य जुड़ चुके हैं। रोजाना औसतन दस हजार ने सदस्य जुड़ रहे हैं। आगामी 17, 24 नवंबर तथा एक दिसंबर को महा अटल संपर्क अभियान में पार्टी के सांसद, विधायक और शीर्ष कैडर डोर-टू-डोर लोगों तक पहुंचकर उन्हें अपनी नीतियों और उपलब्धियों से अवगत करवाएंगे। जम्मू-कश्मीर में हाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे अधिक वोट शेयर हासिल हुआ है। हमें उम्मीद है कि आगामी पंचायत चुनाव में भी जनाधार और मजबूत होगा। सत्तापक्ष में उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी के साथ मंत्रिमंडल के सदस्य सतीश शर्मा ने जम्मू संभाग में कमान संभाली है।
उपमुख्यमंत्री दो बार पार्टी मुख्यालय शेर-ए-कश्मीर भवन जम्मू में पहुंचकर लोगों और कार्यकर्ताओं से जुड़ चुके हैं। वह भी जम्मू के हितों के लिए लड़ते रहने की बात कर रहे हैं। उन्होंने जम्मू के लोगों को आश्वस्त किया है कि सचिवालय में उनकी समस्याओं के लिए हमेशा दरवाजे खुले रहेंगे।

इसके साथ जम्मू-कश्मीर के लोगों की जमीन और नौकरी के हक का मुद्दा भी कायम रखा है। गत दिवस कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने भी जम्मू पार्टी मुख्यालय में शीर्ष कैडर के साथ बैठक कर संगठन गतिविधियों और आगामी चुनाव पर चर्चा की थी। विधानसभा चुनाव में नेकां ने सर्वाधिक 42, भाजपा ने 29 और कांग्रेस ने छह सीटें हासिल की थीं।

जम्मू-कश्मीर में पंचायत मतदाता सूची, 2025 के लिए संशोधित कार्यक्रम जारी है। इसमें सभी प्रक्रियाएं पूरी करके छह जनवरी, 2025 को अंतिम मतदाता सूची जारी की जानी है। इस बीच 16, 17, 23, 24 नवंबर और एक दिसंबर को मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की सुविधा के लिए विशेष शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। पंचायत चुनाव बूथ अधिकारी (पीईबीओ यानी वीएलडब्ल्यू/एमपीडीबल्यू आईजीआरएस) विधानसभा बीएलओ के साथ मतदाताओं के मार्गदर्शन के लिए आवश्यक फार्म और पंचायत रोल के साथ मतदान बूथ स्थानों पर उपलब्ध रहेंगे। इसके साथ ओबीसी आरक्षण पर भी काम हो रहा है।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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