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केजरीवाल पर तंज कसते हुए संदीप दीक्षित का कांग्रेस से बयान

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नई दिल्ली। कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए 21 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर के स्पष्ट तौर पर आम आदमी पार्टी को कड़ी टक्कर देने के संकेत दिए हैं। खासतौर पर कांग्रेस ने इस लिस्ट में दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित (दिवंगत) के बेटे संदीप दीक्षित को नई दिल्ली से मैदान में उतारा है। गौर करने वाली बात यह कि अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से विधायक हैं। कांग्रेस ने पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को नई दिल्ली से मैदान में उतार कर सीधे अरविंद केजरीवाल को कड़ी चुनौती पेश की है।

दिल्ली सरकार से लगातार किए सवाल
टिकट मिलने के बाद अपने बयान में संदीप दीक्षित ने सीधे केजरीवाल को निशाने पर लेने की बात कही है। संदीप दीक्षित ने कहा- मैं पार्टी का धन्यवाद करता हूं कि उसने मुझे यह मौका दिया है। पिछले 10 साल से जब भी इन्होंने (अरविंद केजरीवाल) वादा खिलाफी की या दिल्ली के साथ गद्दारी की, या भ्रष्टाचार किया या काम नहीं किया, उसको उठाता रहा। मैंने हमेशा दिल्ली सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।

कोई सरकार इतनी भ्रष्ट कैसे हो सकती है?
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए संदीप दीक्षित ने कहा- मैं पिछले 8 वर्षों से कह रहा हूं कि जब भी इस सरकार के भ्रष्टाचार का खुलासा होगा, लोगों को यकीन करना मुश्किल हो जाएगा कि कोई सरकार इतनी भ्रष्ट कैसे हो सकती है। मैंने इस सरकार पर जितने आरोप लगाए हैं सच निकले हैं। शायद यह चुनाव एक मौका भी है दिल्ली की जनता को बताने का कि उन्होंने जिसे चुना वह हिन्दुस्तान के इतिहास में सबसे खराब काम करने वाला मुख्यमंत्री है।

यह चुनाव किसी विधायक के जीतने हारने का नहीं
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने आगे कहा- मेरे हिसाब से यह चुनाव किसी विधायक के जीतने हारने का चुनाव नहीं होगा। दिल्ली में इस तरह के मुख्यमंत्री को फिर आना चाहिए यह चुनाव इस बात का होगा। यह चुनाव यह निर्धारित करेगा कि क्या किसी राज्य में ऐसा मुख्यमंत्री चुना जाना चाहिए।

केजरीवाल को देना होगा सीएम के कामकाज का हिसाब
यह पूछे जाने पर कि क्या आपको लगता है कि शीला दीक्षित के 15 साल के काम इस चुनाव में भी लाभ पहुंचाएंगे। संदीप दीक्षित ने कहा- लोग केजरीवाल के 10 साल के काम और कांग्रेस के 15 साल के कार्यों की तुलना करेंगे। तुलना केवल स्थानीय कार्यों की नहीं होगी। चूंकि ये (अरविंद केजरीवाल) सीएम भी रहे हैं इसलिए इनको मुख्यमंत्री के अपने कार्यों का भी लेखाजोखा देना होगा। हम विधायक और सीएम दोनों के कार्यों को लेकर नापेंगे।

इनके लिए शीला दीक्षित के केवल पांच साल के काम काफी
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा- बाकी की तो बात छोड़िए हम शीला दीक्षित के केवल पांच साल के कार्यों से ही इनको नाप लें तो भी ये आधे से कम जाकर ठहरते हैं। वो तो जब समय आएगा तो हम आंकड़ों की बात करेंगे। यदि आप बाहर जाकर दिल्ली के लोगों से मिलेंगे, तो वे सभी कहेंगे कि आज दिल्ली में जो कुछ भी है, वह शीला दीक्षित की वजह से है।

इस चुनाव में बातें लोगों तक जाएंगी
संदीप दीक्षित ने कहा- इस बार हम लोगों को एक मौका जरूर दिखता है कि पिछले 8-10 साल में जब भी हम तथ्यों के आधार पर इसकी (अरविंद केजरीवाल) की आलोचना करते थे और स्वायत्त मीडिया से हमें जो उम्मीद होती थी कि ये लोग जनता के बीच उन बातों को लेकर जाएंगे, शायद हिचकते थे। इस चुनाव में बातें लोगों तक जाएंगी।

दिल्ली में कांग्रेस का शासन नहीं होने का कितना असर
यह पूछे जाने पर कि 12 साल बीत गए हैं जब दिल्ली में कांग्रेस का शासन नहीं रहा है। यही नहीं दिल्ली में कांग्रेस का एक भी विधायक और एक भी सांसद नहीं है। ऐसे में कितनी मुश्किल कांग्रेस के लिए इस चुनाव में देखते हैं। इस पर संदीप दीक्षित ने कहा- स्वाभाविक है असर रहेगा। लेकिन इस सब बातों के बावजूद आज दिल्ली की स्थिति को लेकर लोगों से बात करिए तो हर जगह एक ही चर्चा मिलेगी कि दिल्ली को जिसने संवारा था वह शीला दीक्षित थीं।

दिल्ली कर रही हमारी याद
संदीप दीक्षित ने कहा- आज हमारी याद तो दिल्ली कर रही है। यह संतोष तो है कि कांग्रेस ने अपने 15 साल में वो काम किया जिसे बहुत कम सरकारों ने किया होगा। हमारा मुख्य मकसद दिल्ली के लोगों का दिल जीतना है। हमें दिल्ली के लोगों को यह यकीन दिलाना है कि उनके सपनों की दिल्ली केवल कांग्रेस ही बना सकती है।

मैं कांग्रेस का चेहरा नई दिल्ली में
कांग्रेस की ओर से फेस को लेकर पूछे गए सवाल पर संदीप दीक्षित ने कहा- अभी तो मैं कांग्रेस का चेहरा केवल नई दिल्ली में हूं। लेकिन हां एक सीएम के खिलाफ लड़ रहा हूं तो मुख्यमंत्री से सवाल तो पूछूंगा। मुख्यमंत्री से सवाल केवल एक विधायक का नहीं होगा। उसने सीएम रहते हुए क्या किया है। यह भी सवाल पूछा जाएगा।

केजरीवाल की हिम्मत नहीं है कि…
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए संदीप दीक्षित ने कहा- मैं इतना आपसे कह सकता हूं कि केजरीवाल की हिम्मत नहीं है कि हमारे सवालों का जवाब दे पाए। चुनाव में अभी 40 दिन हैं। मैं 40 दिन बाद भी कह लूंगा इतनी हिम्मत उसकी नहीं है कि वह हमारे सवालों का जवाब दे पाए। बीते 10 वर्षों में तो उसने नहीं दिया और आगे भी नहीं देगा। केजरीवाल में हमारे सवालों का सामना करने का साहस नहीं है।

क्या कांग्रेस इस स्थिति में है कि सरकार बना ले?
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस इस स्थिति में है कि वह विकल्प बन कर सरकार बना ले? संदीप दीक्षित ने कहा- अगली सरकार कांग्रेस के बिना नहीं बनेगी, यह मैं स्पष्ट कर देता हूं। उससे आगे कुछ नहीं कहना चाहता। अपनी जीत पर कितने आश्वस्त हैं? इस सवाल पर संदीप दीक्षित ने कहा- देखिए मुझमें इतना अहंकार नहीं है कि मैं कहूं कि जीत ही जाऊंगा।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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