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दिल्ली के इन इलाकों का हाल सबसे खतरनाक, रहे अलर्ट, जानिए वजह

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नई दिल्ली। दिवाली से पहले दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण और तेजी से अपने पैर पसार रहा है। कई इलाकों में हवा और भी ज्यादा जहरीली होती जा रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बुधवार सुबह 336 दर्ज किया गया। जिससे लगातार चौथे दिन और इस सप्ताह लगातार तीसरे दिन हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में है। सफर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली का एक्यूआई रविवार से बहुत खराब श्रेणी में है। जो 309 दर्ज हुआ था। एनसीआर में ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई सबसे अधिक रहा। कमोवेश यही स्थिति बृहस्पतिवार तक बने रहने का अनुमान है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्डके मुताबिक, मंगलवार को 29 इलाकों में बेहद खराब हवा दर्ज की गई। इसमें मुंडका और एनएसआईटी द्वारका में वायु सूचकांक 430 रहा। आनंद विहार में 422, रोहिणी में 413, नॉर्थ कैंपस में 413 और न्यू मोती बाग में 403 एक्यूआई दर्ज किया गया। जोकि गंभीर श्रेणी है। ये ऐसे छह इलाके हैं जो दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं।

इन इलाकों में एक्यूआई 400 के आस-पास
वहीं दूसरी तरफ अन्य इलाकों में भी एक्यूआई 400 के करीब रहा। वजीरपुर में 394, बवाना में 392, जहांगीरपुरी में 390, सोनिया विहार में 387, बुराड़ी क्रॉसिंग में 383, पंजाबी बाग में 382, ओखला फेज-2 में 367, अशोक विहार में 317, नरेला में 372, द्वारका सेक्टर-8 में 356 समेत 29 इलाकों में एक्यूआई बेहद खराब श्रेणी में दर्ज किया गया।

आईआईटीएम ने बताया कि मंगलवार को हवाएं उत्तर-पूर्वी दिशा की ओर से चलीं। इस दौरान गति 4 से 8 किलोमीटर प्रतिघंटा रही। जबकि बुधवार को हवाएं उत्तर-पूर्वी व उत्तर दिशा से चलने का अनुमान है। इस दौरान गति 4 से 8 किलोमीटर प्रतिघंटा रहेगी। सुबह हल्की धुंध छाएगी। ऐसे में हवा बेहद खराब श्रेणी में बनी रहेगी। बृहस्पतिवार यानी दो नवंबर को हवाएं उत्तर व उत्तर-पूर्वी दिशा की ओर से चलेंगी। हवा की गति 4 से 12 किलोमीटर प्रतिघंटा रहने का अनुमान है।

बता दे, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में ग्रेटर नोएडा का सबसे अधिक वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया गया। यहां एक्यूआई 375 रहा, जोकि बेहद खराब श्रेणी है। इसके अलावा फरीदाबाद में 320, गाजियाबाद में 251, नोएडा में 339 और गुरुग्राम में 254 एक्यूआई दर्ज हुआ।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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