नई दिल्ली। भोपाल की ये प्रेरणादायक महिलाएँ अपने-अपने क्षेत्रों में न केवल सफलता हासिल कर रही हैं, बल्कि समाज के लिए मिसाल भी बन रही हैं। भोपाल में फनशाला खेलाघर की फाउंडर शिला पुरोहित ने शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान रचे तो प्रिया सौरभ ने लद्दाख तक सोलो बाइक राइड कर अपने साहस का परिचय दिया और महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया। दीप्ती जयप्रकाश ने मातृत्व, करियर और समाज सेवा के बीच संतुलन बनाते हुए थिएटर और मॉडलिंग में अपनी पहचान बनाई। रेखा आर्य ने संघर्षों के बावजूद ब्यूटी इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई और जरूरतमंदों को मुफ्त प्रशिक्षण देकर समाज में बदलाव लाने का संकल्प लिया। वहीं ईशा तिवारी ने मिसेस एशिया इंडिया 2025 का खिताब जीतकर भोपाल और भारत का नाम रोशन किया और अब इंटरनेशनल मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करने की तैयारी कर रही हैं। ये चारों महिलाएँ अपने जुनून, मेहनत और समर्पण से यह साबित कर रही हैं कि अगर हौसला हो, तो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है।

भोपाल स्थित फनशाला खेलाघर की शिला पुरोहित ने बताया कि वे पिछले 24-25 सालों से बच्चों को शिक्षा दे रही हैं और विशेष रूप से ढाई से 5 साल तक के बच्चों के साथ काम कर रही हैं। शिला जी ने साझा किया कि बच्चों के लिए एक तय करिकुलम के अंतर्गत शिक्षा देना कभी-कभी उन्हें दबाव में डाल सकता है, खासकर तब जब बच्चों की व्यक्तिगत रुचियाँ और इच्छाएँ अलग होती हैं। इस विचार से प्रेरित होकर, शिला ने 2014 में पंचशाला मस्तिकी पाठशाला की शुरुआत की। उनका उद्देश्य था बच्चों को सोशल मीडिया और टीवी से दूर रखकर, उन्हें रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करना जैसे पेंटिंग, क्राफ्ट, डांस, और संगीत।
इसके बाद, शिला ने बच्चों के लिए एक होम-बेस्ड प्रीस्कूल कॉन्सेप्ट को लागू किया, जिसमें न तो बैग, न किताबें, और न ही होमवर्क होता था। उनके द्वारा तैयार किया गया प्रोग्राम बच्चों के लिए एक सहज और रचनात्मक वातावरण प्रदान करता था। बच्चों के लिए पौष्टिक और ताजे घर के बने भोजन की व्यवस्था भी की गई थी, जिससे बच्चों को स्वस्थ आहार मिल सके और उनकी ऊर्जा बनी रहे। शिला जी का मानना है कि इस प्रकार के वातावरण में बच्चे ज्यादा सहज महसूस करते हैं, जिससे उनकी सीखने की प्रक्रिया भी अधिक प्रभावी होती है।
शिला ने अपनी शिक्षा पद्धति में एक अनूठा दृष्टिकोण अपनाया है। वे शिक्षा में गुणवत्ता को प्राथमिकता देती हैं और बच्चों की संख्या पर अधिक ध्यान नहीं देतीं। उनका उद्देश्य है कि बच्चों को छोटे समूहों में व्यक्तिगत ध्यान मिल सके, ताकि वे अधिक अच्छे तरीके से सीख सकें। शिला जी का विश्वास है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है, और इसी उद्देश्य से वे अपने स्कूल को आगे बढ़ा रही हैं।

मध्य प्रदेश के भोपाल से बाइक राइडर और मॉडल प्रिया सौरभ ने महिलाओं के सशक्तिकरण पर अपनी विचार व्यक्त किए। उनका मानना है कि महिला पहले से ही सशक्त है, लेकिन कभी-कभी उसे खुद को पहचानने की जरूरत होती है। प्रिया ने कहा कि जब एक महिला खुद को पहचान लेती है, तो उसकी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू होता है। वह परिवार और बाहरी दुनिया दोनों को संभालने की क्षमता रखती है। उनका मानना है कि इंसान यदि खुद को संभालने का निर्णय लें, तो वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है।
प्रिया ने अपनी यात्रा की शुरुआत कॉलेज से की, लेकिन शादी और बच्चों के बाद उन्होंने फिर से अपनी क्षमता को परखा और 2016 से बाइक राइडिंग और मॉडलिंग में अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने अपनी जिंदगी में कई नई चीजें ट्राई कीं, जैसे एनसीसी के माध्यम से शूटर बनना और बाइक राइडिंग में सफलता प्राप्त करना। उनका सबसे बड़ा सपना एक सोलो बाइक ट्रिप करना था, जिसे उन्होंने लद्दाख में अकेले बुलेट राइडिंग करके पूरा किया। उन्होंने बताया कि इस ट्रिप से उनका आत्मविश्वास बहुत बढ़ा और यह उनके जीवन का सबसे अद्भुत अनुभव था।
प्रिया ने बताया कि मॉडलिंग और बाइक राइडिंग दोनों ही पेशे बहुत चुनौतीपूर्ण होते हैं, लेकिन महिला होने के बावजूद उन्होंने इन दोनों को बखूबी निभाया है। इसके अलावा, प्रिया समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को लेकर भी सक्रिय हैं। उन्होंने अंगदान करने का निर्णय लिया, जो उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उनके इस कदम को देखकर उनके आस-पास के 11 लोगों ने भी अंगदान की पहल की। उनका मानना है कि समाज के लिए कुछ अच्छा करना और नई पीढ़ी के लिए एक मिसाल बनना महत्वपूर्ण है, और यही वह लक्ष्य है जो वह अपनी जिंदगी में पूरा करना चाहती हैं।

मध्य प्रदेश के भोपाल से थिएटर कलाकार और मॉडल दीप्ती जयप्रकाश ने अपने जीवन की यात्रा और अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारियों के बारे में खुलकर बात की। दीप्ती ने कहा कि जब उनका बेटा छोटा था, तो उन्होंने अपना पेशेवर जीवन छोड़कर पूरी तरह से मातृत्व का आनंद लिया और अपने बेटे की देखभाल की। लेकिन जैसे ही उनका बेटा थोड़ा बड़ा हुआ, उन्होंने 2016 में मिसेस एमपी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और मिसेस टैलेंटेड का खिताब जीता। इसके बाद, उनका करियर एक नई दिशा में बढ़ा और उन्होंने मिसेस इंडिया और बिग एफएम जैसे बड़े मंचों पर भी हिस्सा लिया।
दीप्ती ने अपने पैशन को भी पेशेवर रूप में अपनाया और 2018 से थिएटर से जुड़ीं। उन्होंने कहा कि अभिनय उनके दिल के बहुत करीब है और वह अब भी थिएटर में काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अपनी फैमिली के साथ पूरी तरह से डेडिकेटेड रहते हुए, वह अपने करियर और पारिवारिक जीवन को अच्छे से संतुलित करती हैं। वह अपने बेटे के लिए अपने प्रोफेशनल काम को छोड़ने का उदाहरण देती हैं, ताकि वह अपने परिवार के लिए समय दे सकें।
दीप्ती ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी महत्वपूर्ण बताया और बताया कि उन्होंने अपने ऑर्गन डोनेशन का निर्णय लिया है। उनका मानना है कि यह एक बड़ी और जरूरी पहल है, जो दूसरों की मदद कर सकती है। इसके अलावा, दीप्ती ने अपनी यात्रा के दौरान थिएटर और मॉडलिंग दोनों ही क्षेत्रों में सक्रिय रहते हुए, अपने परिवार का पूरा ध्यान रखा है। उनका उद्देश्य सिर्फ अपने परिवार को गर्वित करना और समाज में एक मिसाल कायम करना है।

मध्य प्रदेश के भोपाल की रेखा आर्य, जो “लुक्स लाइन ब्यूटी सलून” की फाउंडर हैं, ने अपने जीवन के संघर्ष और सफलता की कहानी साझा की। उन्होंने कहा कि शुरुआत में उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके हज़्बंड और परिवार का समर्थन हमेशा उनकी ताकत बना। रेखा ने समाज के उन बच्चों को कोर्स कराने का संकल्प लिया, जो आर्थिक रूप से कमजोर थे और मेकअप और ब्यूटी की ट्रेनिंग नहीं ले सकते थे। वे स्लम एरिया के बच्चों को मुफ्त में कोर्स कराती हैं और उन्हें रोजगार भी दिलवाती हैं, ताकि वे अपनी जिंदगी में कुछ हासिल कर सकें।
रेखा के संघर्ष की कहानी उनके परिवार की मदद से और भी प्रेरणादायक बनती है। उन्होंने बताया कि एक दिन एक गरीब लड़की को देखकर उन्होंने ठान लिया कि वह उन बच्चों के लिए कुछ करेंगी, जो पैसे की कमी के कारण शिक्षा नहीं प्राप्त कर पा रहे थे। रेखा ने अपनी पूरी मेहनत और लगन से उन बच्चों को मुफ्त में प्रशिक्षण दिया और उनके भविष्य को रोशन करने की दिशा में काम किया। वे मानती हैं कि अगर परिवार का साथ हो, तो कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है, और उनके बच्चों का समर्थन हमेशा उन्हें प्रेरित करता है।
हालांकि रेखा ने सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है, लेकिन उनके रास्ते में कई चुनौतियाँ भी आईं। उन्होंने बताया कि इस यात्रा में बहुत से लोग पीछे करने की कोशिश करते हैं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका कहना था कि मुश्किलें आती हैं, लेकिन उनका विश्वास और परिवार का समर्थन उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। हाल ही में उनके हज़्बंड की बाईपास सर्जरी भी हुई थी, लेकिन रेखा ने उनकी देखभाल करते हुए भी अपने काम को नहीं छोड़ा और आज भी अपने सलून के माध्यम से समाज में बदलाव लाने की दिशा में काम कर रही हैं।

मध्य प्रदेश के भोपाल की ईशा तिवारी, जो मिसेस एशिया इंडिया (2025) की विजेता हैं, ने अपनी यात्रा और संघर्ष के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि शुरू में उन्हें मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखने में डर था, क्योंकि उन्होंने कभी हील्स नहीं पहनी थी और रैंप वॉक का कोई अनुभव नहीं था। लेकिन उनके हज़्बंड और परिवार का पूरा समर्थन था, जिसने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। इसके बाद, उन्होंने मिसेस इंडिया के ऑडिशन में भाग लिया और रनर-अप बनीं, जो उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने का कारण बना। इसके बाद, उन्होंने मिसेस एशिया इंडिया का खिताब जीता, जो उनके संघर्ष और मेहनत का परिणाम था।
ईशा ने बताया कि अपने टीचिंग और मॉडलिंग करियर को संतुलित करना एक चुनौती थी, क्योंकि दोनों क्षेत्रों की आवश्यकताएं बिल्कुल अलग थीं। लेकिन उन्होंने अपनी दिनचर्या में समन्वय स्थापित किया और अपने परिवार के साथ समय बिताने के बाद अपने मॉडलिंग करियर पर भी ध्यान केंद्रित किया। वह वीडियो देखकर और प्रैक्टिस करके खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हैं। उनके मुताबिक, निरंतरता और समर्पण ही सफलता की कुंजी है। इसके अलावा, ईशा ने बताया कि मॉडलिंग के क्षेत्र में फिटनेस और डाइट पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि सही डाइट और नींद का सीधा असर चेहरे पर दिखता है।
अब ईशा की अगली योजना इंटरनेशनल स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करना है। वह ऑस्ट्रिया में आयोजित होने वाली एक प्रतियोगिता में भाग लेंगी, जहाँ उन्हें विभिन्न देशों के प्रतियोगियों से प्रतिस्पर्धा करनी होगी। इसके लिए वह अपनी तैयारियों में जुटी हैं, जिसमें ऑनलाइन ग्रूमिंग और डाइट सेशंस शामिल हैं। वह अपनी फिटनेस और डाइट को लेकर बहुत सतर्क हैं, और मीठा छोड़ने जैसी कई बड़ी कुर्बानियां दी हैं। उनका लक्ष्य है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को गर्वित करें और मिसेस एशिया इंडिया का खिताब अपने देश के नाम करें।
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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी
जब पेरेंट्स अपने बच्चों को प्राइमरी स्कूल भेजते हैं, तो उनकी प्राथमिक अपेक्षा होती है कि बच्चों को मजेदार तरीके से सीखने का अवसर मिले। छोटे बच्चों का दिमाग पहले आनंद लेना चाहता है। अगर उन्हें मजा नहीं आएगा, तो वे आगे नहीं बढ़ेंगे। हर बच्चे के अंदर प्रतिभा होती है, जरूरी है हम उसे समझें।
बच्चों के स्कूल जाने से पहले पेरेंट्स की काउंसलिंग होनी चाहिए। यह समझना ज़रूरी है कि आपके बच्चे को क्या चाहिए, और उसी के आधार पर स्कूल का चयन करें। ऐसा स्कूल चुनें जिसमें खुला क्षेत्र हो और स्टाफ बच्चों की समस्याओं को हल करने में सक्षम हो। स्कूल और उसकी फैकल्टी बच्चों को संतुष्ट करने में भी सक्षम होना चाहिए।




