नई दिल्ली। भारत में वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन सदियों से किया जा रहा है, कहा जाता है कि ऐसा करने से हम एक सुखी जीवन जीने में सफल होते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की हर एक दिशा में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा का प्रवाह होता है, और अगर वास्तु के नियमों का ध्यान रखते हुए घर, ऑफिस या फैक्ट्री का निर्माण कार्य किया जाए तो वहां पर सकारात्मक ऊर्जा का एक निरंतर प्रवाह होता है। दरअसल वास्तु शास्त्र पूर्ण वैदिक और वैज्ञानिक शास्त्र है। वास्तु पांच तत्वों का संतुलन है, क्योंकि हमारे मानव शरीर में भी 5 तत्व होते हैं, ठीक वैसे ही हमारे घर में भी 5 तत्वों का संतुलन किया जाता है।
वास्तु के नियमों के पालन से शारीरिक स्वास्थ्य, सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। वास्तु के द्वारा तय किए गए नियमों का अगर सही तरीके से पालन हो तो व्यक्ति एक सुखद जीवन जीने में सफल होता है। यह कहना है मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के रहने वाले वास्तुविद शुभम गुप्ता का।
शुभम ने बताया कि भूमि की ऊर्जा ही वास्तु के प्राण हैं, जिस व्यक्ति के मकान की भूमि की ऊर्जा अच्छी होती है उसके घर में बड़े वास्तु दोष भी अपना प्रभाव नहीं दे पाते, वास्तु में भूमि की ऊर्जा का महत्त्व 70% है, बाकी का 30% अन्य को दिया गया है। वह बोले कि जब हम घर या फैक्ट्री का निरीक्षण करते हैं, तब हम प्रवेश करते ही वहां की समस्या के बारे में बता देते हैं, वास्तु दोष सीधे व्यक्ति की आर्थिक और शारीरिक स्थिति खराब करता है।
उन्होंने कहा कि वास्तु दोष के उपाय से तत्वों का संतुलन और भूमि की ऊर्जा बढ़ाने से लोगो को वास्तु दोष से आराम मिल सकता है।