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महिलाएं बन रही हैं प्रेरणा :इन महिलाओं की ये है सफलता की कहानी

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एमपी डेस्क। भोपाल की एकता एस. दुबे, हस्तकला स्ट्रीट की फाउंडर और क्रिएटिव ऑफिसर, ने डीबी न्यूज नेटवर्क के साथ अपनी प्रेरणादायक उद्यम यात्रा और उससे जुड़े संघर्षों को साझा किया। इसी तरह, भोपाल की अंतरा पुरी शाह ने जीवन की कठिनाइयों को पार कर मेकअप इंडस्ट्री में एक नया मुकाम हासिल करते हुए साहस और संघर्ष की मिसाल पेश की। वहीं भोपाल की मंजू माला ने अपने जुनून और नवाचार के साथ जीनियस अकादमी की स्थापना की, जो बच्चों की शिक्षा और व्यक्तित्व विकास के लिए एक अनोखा मंच बन गया है।  

 
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भोपाल की एकता एस. दुबे, हस्तकला स्ट्रीट की फाउंडर और चीफ क्रिएटिव ऑफिसर, ने अपने स्टार्टअप की कहानी और चुनौतियों के बारे में डीबी न्यूज नेटवर्क से खुलकर चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस तरह उनके क्राफ्ट स्टार्टअप ने एक छोटे से विचार से लेकर महिलाओं को प्रेरित करने वाले मंच तक का सफर तय किया।

कैसे हुई शुरुआत
एकता ने बताया, “मैं कुछ करना चाहती थी, लेकिन पता नहीं था क्या। जॉब छोड़ने के बाद कई गलतियां कीं, लेकिन इन्हीं गलतियों से मैंने सीखा कि मैं किस चीज में अच्छी हूं। शुरुआत में अपने हाथ से बनाए क्राफ्ट गिफ्ट के तौर पर देने लगी। लोगों का अच्छा फीडबैक मिला और धीरे-धीरे काम आगे बढ़ा।”

तीन साल पहले शुरू हुए इस स्टार्टअप ने आज नाम प्लेट्स, होम डेकोर, और बच्चों के लिए कस्टमाइज्ड क्राफ्ट प्रोडक्ट्स जैसे फ्रिज मैगनेट और गिफ्ट आइटम्स का निर्माण करना शुरू कर दिया है।

चुनौतियां और समर्थन
स्टार्टअप की शुरुआत में सबसे बड़ी चुनौती काम को सही लोगों तक पहुंचाना थी। एकता कहती हैं, “लोगों तक अपनी पहचान बनाना एक चुनौती थी और अब भी इसे और बेहतर करने की कोशिश कर रही हूं।”
उन्होंने अपने परिवार, खासकर अपनी सास को अपने सबसे बड़े सपोर्ट के रूप में याद किया। उन्होंने बताया, “मेरी सास ने हर कदम पर मेरा साथ दिया। उनके न रहने से मुझे थोड़ा पीछे हटना पड़ा, लेकिन उनका सहयोग हमेशा मेरी प्रेरणा रहेगा।”

भविष्य की योजनाएं
आने वाले 5-10 वर्षों में एकता चाहती हैं कि उनका स्टार्टअप एक बड़े स्तर पर महिलाओं को जोड़ने और रोजगार देने का माध्यम बने। “मैं चाहती हूं कि मेरी अपनी वेबसाइट हो और ऐसी महिलाएं, जो दुविधा में हैं, मेरे प्लेटफॉर्म से जुड़ें। उन्हें मार्गदर्शन और सहयोग मिले, ताकि वे भी आत्मनिर्भर बन सकें,” उन्होंने कहा।

हस्तकला स्ट्रीट: महिलाओं के लिए प्रेरणा
आज, हस्तकला स्ट्रीट सिर्फ एक स्टार्टअप नहीं, बल्कि महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है। एकता का यह सफर उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने की राह में हैं।

 

भोपाल, मध्य प्रदेश – जीनियस अकादमी की संस्थापक मंजू माला ने अपने जुनून और मेहनत से एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जो न केवल बच्चों को गणित में रुचि विकसित करने में मदद करता है, बल्कि उनके व्यक्तित्व को भी निखारता है। न्यूमेरोलॉजिस्ट, ग्राफोलॉजिस्ट, और मोटिवेशनल स्पीकर होने के नाते मंजू ने बच्चों की शिक्षा और व्यक्तित्व विकास को नई दिशा देने का सपना देखा है।

स्टार्टअप का सफर
मंजू माला ने बताया कि गणित से उनका लगाव बचपन से ही था। उन्होंने देखा कि बच्चों के बीच गणित को लेकर एक डर और झिझक होती है। इसे खत्म करने और इसे आसान व मजेदार बनाने के लिए उन्होंने 2019 में बैंगलोर से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। उनका उद्देश्य है कि बच्चों को गणित की मूलभूत समझ दी जाए और इसे दैनिक जीवन से जोड़ा जाए।

व्यक्तित्व विकास पर फोकस
मंजू ने बताया कि बच्चों की हैंडराइटिंग उनके व्यक्तित्व का दर्पण होती है। इसी सोच के साथ उन्होंने ग्राफोलॉजी के माध्यम से बच्चों के इमोशन्स और व्यवहार को समझने और उन्हें सुधारने का प्रयास किया।

न्यूमेरोलॉजी की शुरुआत
कोविड-19 के दौरान, मंजू माला ने न्यूमेरोलॉजी का गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने बताया कि जन्मतिथि, मोबाइल नंबर, गाड़ी का नंबर आदि का जीवन पर बड़ा प्रभाव होता है। सही दिशा में थोड़े बदलाव से सफलता का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

भविष्य की योजना
जीनियस अकादमी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की इच्छा रखते हुए मंजू जी का लक्ष्य है कि यह प्लेटफॉर्म ऑनलाइन माध्यम से हर बच्चे तक पहुंचे। साथ ही, वे भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बच्चों तक पहुंचाने के लिए विशेष प्रयास कर रही हैं।

भोपाल, मध्य प्रदेश– अंतरा पुरी शाह, एक ऐसी महिला जिन्होंने अपने जीवन के कठिनतम क्षणों में भी हार मानने की बजाय अपने सपनों को जीने का साहस दिखाया। वे एक मेकअप आर्टिस्ट और ट्रेनर हैं, जो अपने जुनून को समाज के विरोध के बावजूद सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रही हैं।

संघर्ष भरे प्रारंभिक साल
अंतरा पुरी शाह ने बताया कि उनका मेकअप के प्रति प्रेम बचपन से था, लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें अपने इस जुनून से दूर रखा। उनके पति के असमय निधन के बाद, उन्होंने अकेले अपने बेटे को पालने के लिए 21 साल तक कई नौकरियां और छोटे-मोटे बिजनेस किए। लेकिन जब उनका बेटा बड़ा हुआ और अपनी राह पर चला, तब अंतरा ने अपने सपनों को साकार करने का निर्णय लिया।

मेकअप की दुनिया में शुरुआत
2014 में, उन्होंने अपने जुनून को करियर में बदलने का फैसला किया। उन्होंने ट्रेनिंग ली और रायसेन रोड पर “फ्लोरा ब्यूटी” नाम से अपना ब्यूटी पार्लर शुरू किया। हालांकि, कोविड-19 के दौरान आर्थिक मुश्किलों और व्यक्तिगत चुनौतियों ने उन्हें अस्थायी रूप से इसे बंद करने पर मजबूर कर दिया।

मुंबई में संघर्ष और वापसी
अंतर जी ने मुंबई जाकर बड़े मेकअप स्टूडियो में काम करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें वहां नौकरी से संतुष्टि नहीं मिली। उन्होंने महसूस किया कि उन्हें अपना काम खुद से ही करना है। भोपाल लौटने के बाद, उन्होंने अवधपुरी में एक घर किराए पर लिया और फिर से अपने पार्लर की शुरुआत की।

आने वाले समय का सपन
अंतर पुरी शाह का लक्ष्य सिर्फ खुद को स्थापित करना नहीं है, बल्कि अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाना है। वे गरीब लड़कियों और महिलाओं को मुफ्त में मेकअप और ब्यूटी ट्रेनिंग देती हैं। उनका कहना है, “हर महिला को अपने सपनों को जीने का अधिकार है। हार न मानें और अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत करें।”

समाज की चुनौतियां और दृढ़ता
अंतर जी ने बताया कि महिलाओं के लिए काम करना आसान नहीं होता, खासकर जब वे स्वतंत्र होकर काम करती हैं। समाज के नकारात्मक विचार और अनचाहे कॉल्स जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन वे इन सब पर ध्यान नहीं देतीं और अपने काम पर फोकस करती हैं।

संदेश
“हर महिला को अपने सपनों के लिए प्रयास करना चाहिए। अगर मैंने इस उम्र में अपने सपने पूरे करने की शुरुआत की, तो कोई भी कर सकता है। हार मानना कोई विकल्प नहीं है।”

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

जब पेरेंट्स अपने बच्चों को प्राइमरी स्कूल भेजते हैं, तो उनकी प्राथमिक अपेक्षा होती है कि बच्चों को मजेदार तरीके से सीखने का अवसर मिले। छोटे बच्चों का दिमाग पहले आनंद लेना चाहता है। अगर उन्हें मजा नहीं आएगा, तो वे आगे नहीं बढ़ेंगे। हर बच्चे के अंदर प्रतिभा होती है, जरूरी है हम उसे समझें।

बच्चों के स्कूल जाने से पहले पेरेंट्स की काउंसलिंग होनी चाहिए। यह समझना ज़रूरी है कि आपके बच्चे को क्या चाहिए, और उसी के आधार पर स्कूल का चयन करें। ऐसा स्कूल चुनें जिसमें खुला क्षेत्र हो और स्टाफ बच्चों की समस्याओं को हल करने में सक्षम हो। स्कूल और उसकी फैकल्टी बच्चों को संतुष्ट करने में भी सक्षम होना चाहिए।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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