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महिला उद्यमियों ने बिजनेस जगत में नए आयाम किए स्थापित, पहुंचीं सफलता की नई ऊंचाइयों पर…

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नई दिल्ली।  आजकल की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। चाहे वह बिजनेस की दुनिया हो या घर के काम, महिलाएं हर मोर्चे पर सफल हो रही हैं। विशेष रूप से बिजनेस जगत में महिलाएं न केवल प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, बल्कि एक नया मुकाम भी हासिल कर रही हैं। आज हम आपको उन महिला उद्यमियों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने संघर्ष और समर्पण से बिजनेस की दुनिया में सफलता की नई मिसाल कायम की है।

 

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मध्य प्रदेश के भोपाल से एंटरप्रेन्योर सिमरन खुराना ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने पिछले 15 सालों से क्रिएटिव हेड और ब्रांड मैनेजर के रूप में काम किया है। सिमरन को मिसेज सेंट्रल इंडिया कर्वी का खिताब भी मिल चुका है। 23 साल की उम्र में ही उन्होंने इस इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण पद हासिल किया था। हालांकि, शादी और बच्चे के बाद उन्हें व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हुआ, जिसके कारण उनके जीवन में एक गैप आया। इसके बाद उन्होंने महसूस किया कि वह अपनी खुद की कंपनी शुरू कर सकती हैं, खासकर जब स्टार्टअप कल्चर तेजी से बढ़ रहा था और महिला एंटरप्रेन्योरशिप को लेकर माहौल अनुकूल हो रहा था।

सिमरन ने कहा कि उनका काम सिर्फ मीडिया स्ट्रेटेजी तक सीमित नहीं है, बल्कि वह क्रिएटिव स्ट्रेटेजी भी प्रदान करती हैं, जिससे छोटे और मीडियम एंटरप्रेन्योर अपनी ब्रांडिंग और विज्ञापन को बेहतर बना सकें। उन्होंने यह भी बताया कि जैसे पहले आउटडोर और प्रिंट मीडिया का बोलबाला था, अब डिजिटल मीडिया ने उसकी जगह ले ली है। आजकल, सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर छोटे बिजनेस और इन्फ्लुएंसर के लिए ब्रांडिंग की प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए वह काम करती हैं। सिमरन का मानना है कि व्यक्तिगत ब्रांडिंग अब एक महत्वपूर्ण पहलू बन चुकी है, जहां छोटे एंटरप्रेन्योर भी अपनी पहचान बना सकते हैं।

सिमरन का मुख्य उद्देश्य छोटे एंटरप्रेन्योर को मार्गदर्शन देना है, खासकर उन लोगों को जो बजट की कमी और गाइडेंस की अनुपलब्धता के कारण अपने ब्रांड को स्थापित नहीं कर पा रहे हैं। वह चाहती हैं कि भोपाल के छोटे व्यापारी और स्टार्टअप्स अपने व्यवसाय को एक बड़े ब्रांड में बदल सकें। सिमरन ने बताया कि उनका लक्ष्य यह है कि छोटे एंटरप्रेन्योर को सही दिशा में मार्गदर्शन देते हुए वे उन्हें ब्रांडिंग और प्रचार के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराएं, ताकि वे अपनी पहचान बना सकें और बड़े ब्रांड्स के रूप में स्थापित हो सकें।

भोपाल की एंटरप्रेन्योर कशिश कौर सोढ़ी ने अपने स्टार्टअप “सिंपली यू बाय इशिका” के बारे में बात करते हुए बताया कि यह विचार उनके मन में तब आया जब वह एक कॉर्पोरेट जॉब से ब्रेक लेकर घर पर बैठी थीं और अपनी बेटी की देखभाल कर रही थीं। पांच साल पहले जब उनकी बेटी पैदा हुई, तो उन्होंने अपनी बेटी के बालों को सजाने के लिए हस्तनिर्मित हेयर एक्सेसरीज़ बनानी शुरू की। कशिश ने बताया कि उन्हें जब इन उत्पादों के लिए बहुत अच्छा फीडबैक मिला, तो यह प्रेरणा बनी और उन्होंने यह सोचा कि भोपाल में बच्चों और महिलाओं के लिए ऐसे खूबसूरत और सुरक्षित उत्पादों की जरूरत है।

कशिश ने अपने व्यवसाय को प्रोफेशनल रूप से बढ़ाने का निर्णय लिया और इस स्टार्टअप का नाम अपनी बेटी के नाम पर रखा – “इशिका”। उनके स्टॉक का आधा हिस्सा हस्तनिर्मित होता है, जिसे वह खुद डिजाइन करती हैं, और इसके अलावा उन्होंने एक छोटी सी टीम बनाई है जो महिलाओं को ट्रेनिंग देती है और उन्हें रोजगार प्रदान करती है। कशिश ने बताया कि वह दिल्ली और मुंबई से उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री प्राप्त करती हैं ताकि भोपाल वासियों को इन उत्पादों के लिए बाहर जाने की जरूरत न पड़े। उनका व्यवसाय मुख्य रूप से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के माध्यम से चल रहा है और वह विभिन्न लाइफस्टाइल एक्सपो में भी अपने उत्पादों का प्रचार करती हैं।

कशिश कौर सोढ़ी का लक्ष्य है कि “सिंपली यू बाय इशिका” एक ब्रांड बने और इसके उत्पाद न केवल ऑनलाइन, बल्कि पूरे भारत में स्टोर के जरिए उपलब्ध हों। वह चाहती हैं कि उनका ब्रांड फ्रैंचाइज़ मॉडल के तहत भारत के विभिन्न शहरों में फैले ताकि यह हर घर में अपनी जगह बना सके। उनका मानना है कि हेयर एक्सेसरीज़ और ब्यूटीफिकेशन के उत्पादों का एक बड़ा बाजार है और वह इस इंडस्ट्री को नेशनल लेवल पर ले जाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।

ग्वालियर की शिखा सोनी, जो “शिखा डांस अकादमी” की संस्थापक हैं, ने अपने जीवन के सफर के बारे में बताया कि कैसे उनके बचपन में शुरू हुआ डांस का शौक आज एक सफल करियर बन गया है। शिखा ने बताया कि जब वह 15 साल की थीं, तो उन्होंने अपनी मां से कथक डांस सीखने की जिद की थी और संगीत महाविद्यालय में अपनी नृत्य शिक्षा शुरू की। शुरुआत में वह सिर्फ सीख रही थीं, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें यह एहसास हुआ कि वह इस क्षेत्र में और आगे बढ़ना चाहती हैं। उन्होंने स्व. गुरु पुरुषोत्तम नायक एवं डॉ समीक्षा शर्मा के मार्गदर्शन में नृत्य का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद शिखा ने डांस टीचर के रूप में काम करना शुरू किया और बाद में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए और कोर्स किए।

शिखा की डांस अकादमी ने ग्वालियर में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। उनकी अकादमी में अब तक करीब 1500 से 2000 बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, और वर्तमान में लगभग 19 स्टूडेंट्स उनके मार्गदर्शन में डांस सीख रहे हैं। शिखा का कहना है कि उनका उद्देश्य न केवल अपने बच्चों को नृत्य में प्रशिक्षित करना है, बल्कि उन्हें जीवन के अन्य पहलुओं में भी सशक्त बनाना है। इसके अलावा, उनके छात्र भारत और विदेशों में भी अपनी परफॉर्मेंस दे चुके हैं, जैसे कि सिंगापुर, दुबई और इंडोनेशिया में, और शिखा खुद भी कई बड़े शहरों में नृत्य कार्यक्रमों का हिस्सा बन चुकी हैं।

शिखा सोनी का मानना है कि आजकल महिलाओं और बच्चों के लिए नृत्य और संगीत बहुत जरूरी है, क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से लाभकारी होता है। वह कहती हैं कि डांस केवल एक कला नहीं, बल्कि यह मानसिक शांति और शारीरिक फिटनेस भी प्रदान करता है। शिखा का भविष्य के लिए सपना है कि उनकी अकादमी और उनके छात्र विश्वभर में पहचान बनाएं और डांस को एक महत्वपूर्ण करियर विकल्प के रूप में स्थापित करें। उन्होंने यह भी कहा कि आजकल के बच्चे डांस के क्षेत्र में भी सफल हो रहे हैं, चाहे वह इंजीनियर हो या अन्य किसी पेशे में, क्योंकि डांस से जुड़ा रहकर उन्हें मानसिक सुकून और आत्मविश्वास मिलता है।

भोपाल की एंटरप्रेन्योर वी चित्रा रामनाथन ने अपने साउथ इंडियन साड़ी और हैंडलूम व्यापार के बारे में बताया कि कैसे उन्होंने घर से ही अपना स्टार्टअप शुरू किया। उनका पहले एक वैन सर्विस का बिज़नेस था, लेकिन उन्होंने उस पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पा रही थी, इसलिए उन्होंने साड़ी व्यापार शुरू करने का विचार किया। चित्रा ने 2023 में जनवरी से इस व्यवसाय को लेकर सोचना शुरू किया और सितंबर में इसे शुरू किया। उन्होंने गूगल, फेसबुक और व्हाट्सएप पर विज्ञापन देना शुरू किया और अपने दोस्तों तथा समुदाय को इसके बारे में बताया।

चित्रा के स्टार्टअप में साउथ इंडियन साड़ी, धोती और अन्य कपड़े शामिल हैं, जो खासतौर पर साड़ी प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं। उनके पास सिल्क, कांचीपुरम और सेमी सिल्क साड़ियाँ हैं, जिन्हें ग्राहक आसानी से खरीद सकते हैं। वे कस्टमर्स की पसंद के हिसाब से गोल्ड, सिल्वर और हैंडलूम साड़ियाँ भी उपलब्ध कराती हैं। चित्रा का कहना है कि ऑनलाइन बिज़नेस के दौर में साड़ी की बिक्री बढ़ी है, क्योंकि लोग घर बैठे खरीदारी कर सकते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि कभी-कभी ऑनलाइन क्वालिटी में अंतर भी देखने को मिलता है।

आगे चलकर, चित्रा का इरादा अपने व्यवसाय को और विस्तार देने का है। हालांकि, वह इस समय घर से काम कर रही हैं क्योंकि उनके बेटे के बोर्ड एग्जाम चल रहे हैं। चित्रा का कहना है कि जब वह इस व्यवसाय को एक शॉप में स्थापित करेंगी तो उसमें स्टाफ रखना होगा और इंटरनेट पर भी अधिक निवेश करना पड़ेगा। फिलहाल वह इसे अपनी सोसाइटी में ही चला रही हैं और धीरे-धीरे इसे और बड़े स्तर पर स्थापित करने का सपना देख रही हैं। कोविड के बाद, ऑनलाइन खरीदारी को बढ़ावा मिला है, और चित्रा इसे अपने व्यवसाय में भी लागू कर रही हैं।

भोपाल की एंटरप्रेन्योर जॉली सोनी, जो “गन्नू कलेक्शन” की फाउंडर हैं, ने बताया कि उन्होंने 8 साल पहले घर से ही अपना बिज़नेस शुरू किया। उनका कहना है कि पहले वह एक प्रोफेसर थीं, लेकिन बच्चों की जिम्मेदारी की वजह से उन्हें अपनी कॉलेज की नौकरी छोड़नी पड़ी। इसके साथ ही उनके पति की हार्ट प्रॉब्लम के कारण उन्होंने सोचा कि घर से ही कुछ बिज़नेस शुरू किया जाए ताकि बच्चों की देखभाल करते हुए घर से ही काम किया जा सके। शुरुआत में उन्होंने ज्वेलरी का बिज़नेस किया और धीरे-धीरे रेडीमेड कपड़े और अन्य सामान भी बेचना शुरू किया।

जॉली ने साझा किया कि शुरुआत में उन्हें इतना प्रॉफिट नहीं मिल रहा था, और कस्टमर भी नहीं आते थे। घर से बिज़नेस चलाना चुनौतीपूर्ण था, और कभी-कभी ऐसा लगता था कि जो पैसे उन्होंने इसमें लगाए हैं, वे बेकार जा रहे हैं। लेकिन समय के साथ उन्होंने सोसाइटी में रहकर लोगों से संपर्क करना शुरू किया और बताया कि वह घर से ज्वेलरी और कपड़े बेचती हैं। साथ ही, वह भजन मंडली की सदस्य होने के कारण भी अपने समुदाय से जुड़ी हुई थीं, जिससे उन्हें प्रचार मिला और उनका बिज़नेस धीरे-धीरे बढ़ने लगा।

आने वाले समय में जॉली सोनी का सपना है कि वह अपनी खुद की बुटीक शॉप खोलें, जिसमें ज्वेलरी और कपड़े दोनों बिक सकें। उनका योजना है कि इस बुटीक में एक टेलर भी रखा जाए ताकि ग्राहकों को कहीं और जाने की आवश्यकता न हो। उनकी कलेक्शन में बाग, कलमकारी, डाबू जैसी साड़ियाँ और चिक सेट, ब्राइडल सेट जैसी ज्वेलरी शामिल होती है, जिन्हें वह घर पर ही रखती हैं। जॉली का उद्देश्य है कि भविष्य में उनका बिज़नेस और भी विस्तारित हो और वे अपने सपने को पूरा करें।

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भोपाल की एंटरप्रेन्योर जॉली सोनी, जो “गन्नू कलेक्शन” की फाउंडर हैं, ने बताया कि उन्होंने 8 साल पहले घर से ही अपना बिज़नेस शुरू किया। उनका कहना है कि पहले वह एक प्रोफेसर थीं, लेकिन बच्चों की जिम्मेदारी की वजह से उन्हें अपनी कॉलेज की नौकरी छोड़नी पड़ी। इसके साथ ही उनके पति की हार्ट प्रॉब्लम के कारण उन्होंने सोचा कि घर से ही कुछ बिज़नेस शुरू किया जाए ताकि बच्चों की देखभाल करते हुए घर से ही काम किया जा सके। शुरुआत में उन्होंने ज्वेलरी का बिज़नेस किया और धीरे-धीरे रेडीमेड कपड़े और अन्य सामान भी बेचना शुरू किया।

जॉली ने साझा किया कि शुरुआत में उन्हें इतना प्रॉफिट नहीं मिल रहा था, और कस्टमर भी नहीं आते थे। घर से बिज़नेस चलाना चुनौतीपूर्ण था, और कभी-कभी ऐसा लगता था कि जो पैसे उन्होंने इसमें लगाए हैं, वे बेकार जा रहे हैं। लेकिन समय के साथ उन्होंने सोसाइटी में रहकर लोगों से संपर्क करना शुरू किया और बताया कि वह घर से ज्वेलरी और कपड़े बेचती हैं। साथ ही, वह भजन मंडली की सदस्य होने के कारण भी अपने समुदाय से जुड़ी हुई थीं, जिससे उन्हें प्रचार मिला और उनका बिज़नेस धीरे-धीरे बढ़ने लगा।

आने वाले समय में जॉली सोनी का सपना है कि वह अपनी खुद की बुटीक शॉप खोलें, जिसमें ज्वेलरी और कपड़े दोनों बिक सकें। उनका योजना है कि इस बुटीक में एक टेलर भी रखा जाए ताकि ग्राहकों को कहीं और जाने की आवश्यकता न हो। उनकी कलेक्शन में बाग, कलमकारी, डाबू जैसी साड़ियाँ और चिक सेट, ब्राइडल सेट जैसी ज्वेलरी शामिल होती है, जिन्हें वह घर पर ही रखती हैं। जॉली का उद्देश्य है कि भविष्य में उनका बिज़नेस और भी विस्तारित हो और वे अपने सपने को पूरा करें।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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