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शिक्षा, संगीत और सफलता में महिलाओं ने नई मिसालें स्थापित कीं

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नई दिल्ली। नई दिल्ली। भोपाल की प्रीत कौर ने अपनी संगीत यात्रा, शिक्षा और परिवार के बीच संतुलन स्थापित किया, वहीं रौशनी तीर्थानी ने शिक्षा और आत्मविश्वास के माध्यम से सफलता की नई ऊंचाइयाँ छुईं। भोपाल की रुचि मंशानी ने मिसेज इंडिया ग्लोब (2022) का खिताब जीतकर प्रेरणा दी, जबकि उज़मा खान ने मिसेज एमपी (2022) में सेकेंड रनरअप बनकर सफलता की नई परिभाषा लिखी। साथ ही, प्रियंका, एपीएच क्राफ्ट स्क्वायर की फाउंडर, ने अपने सफल स्टार्टअप के सफर को साझा कर उद्यमिता की दिशा में एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया।

प्रीत कौर ने साझा की अपनी संगीत यात्रा, शिक्षा और परिवार के साथ संतुलन की कहानी

मध्य प्रदेश के भोपाल की एजुकेशनिस्ट और सिंगर प्रीत कौर ने अपनी जीवन यात्रा के बारे में बात करते हुए कहा कि जब वह बहुत छोटी थीं, तब उनके पिताजी ने पहली बार महसूस किया कि वह गा सकती हैं। हालांकि तब प्रीत ने संगीत में कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी, लेकिन इंडियन आइडल में उनका चयन होने के बाद उन्हें विश्वास हुआ कि वह इस क्षेत्र में कुछ बड़ा कर सकती हैं। उनकी मां ने उन्हें शिक्षा पूरी करने की सलाह दी, जिसके बाद प्रीत ने अपनी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन मास्टर इन बिज़नेस इकोनॉमिक्स पूरा किया, और फिर ए. आर. रहमान के कॉलेज से संगीत की शिक्षा ली।

अपने संगीत सफर में, प्रीत को अमूल के जिंगल को गाने का भी मौका मिला, जिसे सुनिधि चौहान ने गाया था। इसके बाद वह कई शोज़ में हिस्सा लेने लगीं, जिसमें मुंबई, दिल्ली, जबलपुर और दुबई शामिल हैं। प्रीत को यह भी सौभाग्य प्राप्त हुआ कि वह भोपाल में 26 जनवरी के दिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने परफॉर्म कर सकीं। उनका मानना है कि संगीत ने उन्हें न केवल पेशेवर सफलता दिलाई, बल्कि वित्तीय रूप से भी मजबूत बनाया।

प्रीत कौर का सपना है कि वह भविष्य में भोपाल में अपना खुद का म्यूजिक स्कूल खोलें, जहां वह अपनी कला और ज्ञान को और लोगों तक पहुंचा सकें। वह बच्चों के साथ संगीत सिखाने का अनुभव साझा करती हैं, और बताती हैं कि बच्चों के साथ वक्त बिताने से उन्हें न केवल खुशी मिलती है, बल्कि अपने स्ट्रगल और तनाव को भी भूल जाती हैं। उनका मानना है कि परिवार का समर्थन किसी भी व्यक्ति के जीवन में अहम भूमिका निभाता है, और उन्हें अपने परिवार से हमेशा पूरा समर्थन मिला है।

रौशनी तीर्थानी की सफलता की कहानी: शिक्षा और आत्मविश्वास का सफर

भोपाल की रहने वाली रौशनी तीर्थानी, जो एक पर्सनैलिटी डेवलपमेंट कोच और एजुकेटर हैं, ने अपनी यात्रा को लेकर खुलकर बातें कीं। रौशनी ने बताया कि वह मूल रूप से लखनऊ से हैं, लेकिन शादी के बाद भोपाल आईं। यहाँ आने के बाद, उन्होंने देखा कि हर कोई अपने जीवन में कुछ न कुछ कर रहा है, जो उन्हें प्रेरित करता है। शुरू में उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद बैंकिंग की तैयारी की, लेकिन कुछ निजी कारणों के चलते उन्होंने उस रास्ते को छोड़ दिया। फिर उन्होंने ट्यूशन पढ़ाने से अपनी यात्रा की शुरुआत की, जहाँ उनका कम्युनिकेशन स्किल्स उत्कृष्ट था। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने बच्चों को पढ़ाने में सफलता हासिल की।

रौशनी ने अपनी यात्रा को आगे बढ़ाते हुए, स्कूल में बच्चों के लिए पर्सनालिटी डेवलपमेंट की दिशा में काम करना शुरू किया। लॉकडाउन के दौरान, उन्होंने अपने ज्ञान और कौशल का विस्तार किया और इसके बाद उन्हें एक बड़ा अवसर मिला। उन्होंने मिसेस मध्य प्रदेश प्रतियोगिता में भाग लिया और ‘स्टाइल आइकॉन’ का पुरस्कार जीता। इससे उन्हें अपने आत्मविश्वास को और बढ़ाया और फैशन इंडस्ट्री में एक नई दिशा मिली। उनका कहना है कि उनके जीवन में बदलाव आया जब उन्होंने अपने आप को चुनौती दी और सीमाओं से बाहर निकलने की कोशिश की।

रौशनी का मानना है कि किसी भी महिला को अपनी क्षमता पहचाननी चाहिए और अपनी पहचान बनाने के लिए मेहनत करनी चाहिए। उनका मानना है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती और जीवन में संघर्ष करने के बाद ही सफलता मिलती है। वह अपने अनुभव से यह सिखाती हैं कि अगर आप अपनी मेहनत और कड़ी लगन से किसी चीज़ को करने का ठान लें, तो सफलता आपके कदम चूमेगी।

भोपाल की रुचि मंशानी ने मिसेज इंडिया ग्लोब (2022) खिताब जीतकर दिखाई प्रेरणा

भोपाल की रहने वाली रुचि मंशानी ने मिसेज इंडिया ग्लोब (2022) का टाइटल जीतकर न केवल अपने सपनों को साकार किया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि शादी और मातृत्व के बाद भी महिलाएं अपने सपनों का पीछा कर सकती हैं। कॉलेज के दिनों से ही मॉडलिंग में रुचि रखने वाली रुचि ने विवाह और बच्चों के बाद भी अपने करियर को नई दिशा दी। उन्होंने अपनी शुरुआत एक जिम शूट से की और धीरे-धीरे कई इवेंट्स और प्रतियोगिताओं में भाग लिया। चंडीगढ़ में आयोजित मिसेज इंडिया ग्लोब प्रतियोगिता में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के साथ यह खिताब जीता।

रुचि मंशानी का मानना है कि महिलाओं को हमेशा अपने सपनों का पीछा करना चाहिए, चाहे वह शादीशुदा हों या बच्चों की मां। उन्होंने अपने परिवार के सहयोग को महत्वपूर्ण बताया, खासकर अपने पति और ससुरालवालों के समर्थन को। उनका कहना है कि एक मजबूत जीवन साथी और परिवार का समर्थन किसी भी महिला को अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर करने में मदद करता है। भोपाल में मॉडलिंग के क्षेत्र में वे और भी अधिक सुधार लाने की योजना बना रही हैं ताकि यहां के इवेंट्स और प्रतियोगिताओं को बड़े शहरों की तरह पेश किया जा सके।

रुचि का अगला लक्ष्य एक ग्रूमिंग स्कूल खोलने का है, जहां महिलाएं और लड़कियां आत्मविश्वास और पर्सनल ग्रूमिंग के बारे में सीख सकें। उनका मानना है कि विशेष रूप से शादीशुदा महिलाओं को अपने आत्मविश्वास को फिर से जागृत करने की जरूरत है ताकि वे भी अपने सपनों को साकार कर सकें। रुचि मंशानी का यह सपना है कि वह अपने अनुभव और ज्ञान से अधिक से अधिक महिलाओं को प्रेरित करें और उन्हें नए अवसर प्रदान करें, जिससे वे अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकें।

जबलपुर की उज़मा खान ने मिसेज एमपी (2022) में सेकेंड रनरअप बनकर दिखाया सफलता का नया रास्ता

जबलपुर की उज़मा खान, जो एक शिक्षा विशेषज्ञ और लेखिका हैं, ने मिसेज एमपी (2022) प्रतियोगिता में सेकेंड रनरअप का खिताब जीता। उनका यह सफर आसान नहीं था, क्योंकि उनकी शुरुआती चाहत आईएएस अधिकारी बनने की थी, लेकिन समय और परिस्थितियों ने उन्हें परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियों की ओर मोड़ दिया। हालांकि, उज़मा ने कभी हार नहीं मानी और अपनी सोच और विचारों को कलम के जरिए दुनिया तक पहुँचाने का रास्ता चुना। उन्होंने लेखन और शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा, जिससे उनकी क्षमता और आत्मविश्वास को नई दिशा मिली।

उज़मा का मानना है कि किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास और दृढ़ नायकत्व जरूरी हैं। वे कहती हैं कि अगर किसी के अंदर सही इच्छाशक्ति हो, तो राहें अपने आप खुलती हैं। एक मां और पत्नी होने के बावजूद उज़मा ने अपने सपनों का पीछा किया, और अपने परिवार के समर्थन से उन्होंने ग्लैमर की दुनिया में भी कदम रखा। उज़मा ने बताया कि जब वे स्टेज पर थीं तो कुछ हद तक डर महसूस हुआ था, लेकिन परिवार के प्रोत्साहन और खुद पर विश्वास ने उन्हें अपनी जगह बनाने में मदद की।

अब उज़मा खान शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सफलता को सबसे बड़ा उपलब्धि मानती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि जो ज्ञान उनके पास है, वह अगर दूसरों तक न पहुंचे, तो वह व्यर्थ है। वे कहती हैं कि जब उनके छात्र आईएएस, पीसीएस, या आर्मी में सफलता प्राप्त करते हैं, तो उन्हें सबसे बड़ी खुशी मिलती है। इसके अलावा, उज़मा जल्द ही अपनी किताब प्रकाशित करने वाली हैं, जो उनके जीवन के अनुभवों और शिक्षा के प्रति उनके प्यार को दर्शाएगी। वे शिक्षा और लेखन के क्षेत्र में अपनी यात्रा को जारी रखते हुए दूसरों के सपनों को साकार करने में मदद करती रहेंगी।

भोपाल की प्रियंका, फाउंडर एपीएच क्राफ्ट स्क्वायर, ने साझा किया अपने सफल स्टार्टअप का सफर

भोपाल की प्रियंका, एपीएच क्राफ्ट स्क्वायर की फाउंडर, ने हाल ही में अपने स्टार्टअप के बारे में बात की और बताया कि कैसे उन्होंने इसे सफल बनाने के लिए नवाचार और परंपराओं का सही मिश्रण किया। प्रियंका ने बताया कि उनका सफर शुरू हुआ था जब उन्होंने स्कूल और कॉलेज के प्रोजेक्ट्स के लिए काम किया, और फिर गणेश उत्सव जैसे अवसरों पर मोदक के फेवर बनाकर लोगों का ध्यान आकर्षित किया। धीरे-धीरे उनके कार्यों की लोकप्रियता बढ़ी, और शादियों के रिटर्न गिफ्ट्स और पैकेजिंग की ओर उनका ध्यान गया। प्रियंका ने कहा कि उनका उद्देश्य न केवल शादियों के लिए पैकेजिंग सेवाएं प्रदान करना है, बल्कि ग्राहकों को अनोखे और व्यक्तिगत गिफ्ट्स भी उपलब्ध कराना है।

प्रियंका ने अपनी शुरुआत के संघर्षों को साझा करते हुए बताया कि वे एक सिंगल पेरेंट हैं और शुरूआत में उन्हें ज्यादा परिवारिक समर्थन नहीं मिला, लेकिन उनके दोस्तों और परिवार के अन्य सदस्यों से बहुत सहयोग मिला। उन्होंने यह भी बताया कि वे वर्तमान में अपने काम को पूरी तरह से सिंगल हैंडेड तरीके से संभाल रही हैं, लेकिन कुछ आर्टिस्ट्स के साथ कोलैबोरेशन में भी काम कर रही हैं। प्रियंका का मानना है कि इस सामूहिक प्रयास से न केवल उनका व्यवसाय बढ़ेगा, बल्कि औरतों को रोजगार और सशक्तिकरण के अवसर भी मिलेंगे।

प्रियंका ने अपने भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए कहा कि उनका काम अब केवल भोपाल और मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी सेवाएं अब विदेशों तक पहुंच चुकी हैं। वे कनाडा, यूएसए और सिंगापुर जैसे देशों में भी अपनी पैकेजिंग और गिफ्टिंग सेवाएं प्रदान कर रही हैं। प्रियंका का सपना है कि वे और उनके सहयोगी महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाकर, उन्हें सशक्त बनाएं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

जब पेरेंट्स अपने बच्चों को प्राइमरी स्कूल भेजते हैं, तो उनकी प्राथमिक अपेक्षा होती है कि बच्चों को मजेदार तरीके से सीखने का अवसर मिले। छोटे बच्चों का दिमाग पहले आनंद लेना चाहता है। अगर उन्हें मजा नहीं आएगा, तो वे आगे नहीं बढ़ेंगे। हर बच्चे के अंदर प्रतिभा होती है, जरूरी है हम उसे समझें।

बच्चों के स्कूल जाने से पहले पेरेंट्स की काउंसलिंग होनी चाहिए। यह समझना ज़रूरी है कि आपके बच्चे को क्या चाहिए, और उसी के आधार पर स्कूल का चयन करें। ऐसा स्कूल चुनें जिसमें खुला क्षेत्र हो और स्टाफ बच्चों की समस्याओं को हल करने में सक्षम हो। स्कूल और उसकी फैकल्टी बच्चों को संतुष्ट करने में भी सक्षम होना चाहिए।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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