नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के भोपाल की प्रतिष्ठित कविता लेखिका संगम गोयल ने हाल ही में महिलाओं पर केंद्रित तीन कविताएं लिखी हैं, जिनमें महिलाओं के विभिन्न रूपों और उनकी ताकत को अभिव्यक्त किया गया है। उनकी कविताओं में महिलाओं की भावनाएं, त्याग, और उनकी नारी शक्ति को एक अनोखे और संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
पहली कविता, “तुलसी तेरे आंगन की,” एक महिला के त्याग और समर्पण की कहानी बयां करती है। यह कविता उस मानसिकता को उजागर करती है जिसमें एक महिला अपने सारे सपने और इच्छाएं एक बक्से में रखकर अपने पति और ससुराल के लिए सब कुछ समर्पित कर देती है। कविता में यह सवाल भी उठता है कि क्या एक महिला के इस समर्पण की कोई कीमत चुकाई जा सकती है।
दूसरी कविता, “बक्सा,” में गोयल ने एक महिला के जीवन में बक्से के महत्व को दर्शाया है। बक्सा यहाँ पर सिर्फ एक वस्तु नहीं बल्कि उसके अंदर समाहित सभी भावनाओं, संस्कारों, और मान्यताओं का प्रतीक है। यह कविता उस भावनात्मक धरोहर को प्रस्तुत करती है जो एक महिला अपने बक्से के माध्यम से संजोकर रखती है और जिसे वह अपनी अगली पीढ़ी को सौंपना चाहती है।
तीसरी कविता, “ढाई अक्षर प्रेम का,” में एक महिला के प्रेम की अभिव्यक्ति है। यह कविता उस प्रेम को दर्शाती है जो एक महिला अपने पति और परिवार के लिए रखती है, और जिसे वह किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहती। यह कविता महिलाओं की भावनात्मक गहराई और उनकी निष्ठा को प्रस्तुत करती है, साथ ही यह भी बताती है कि प्रेम और त्याग के इस सफर में वह अपने पति के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती है।
संगम गोयल की ये कविताएं महिलाओं के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं और पाठकों को उनकी भावनाओं से जुड़ने के लिए मजबूर करती हैं। उनकी लेखनी में महिलाओं की शक्ति, सहनशीलता और उनकी भावनाओं को बड़े ही संवेदनशील तरीके से दर्शाया गया है, जो समाज के हर वर्ग को सोचने पर मजबूर कर देता है।