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बॉलीवुड की नामी मेकअप आर्टिस्ट श्रद्धा मिश्रा का सफर : कड़ी मेहनत और हुनर से बनाई खास पहचान

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नई दिल्ली। मुंबई की मशहूर सेलिब्रिटी मेकअप आर्टिस्ट श्रद्धा मिश्रा ने अपनी कला और मेहनत से फिल्मी दुनिया में खास मुकाम हासिल किया है। डीबी न्यूज नेटवर्क से खास बातचीत में, श्रद्धा ने अपने इस सफर को साझा किया। भोपाल से स्कूली शिक्षा और सोशल वर्क में डिग्री के बाद श्रद्धा ने दिल्ली, बर्लिन और न्यूयॉर्क जैसी जगहों से मेकअप और हेयर स्टाइलिंग में विशेषज्ञता प्राप्त की और कई बड़े सितारों के साथ काम किया। परिवार का मजबूत समर्थन और खुद को हमेशा अपडेट रखने के जुनून ने उनकी इस यात्रा को और भी सफल बना दिया।

उत्तरप्रदेश में जन्मी और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से ताल्लुक रखने वाली श्रद्धा मिश्रा ने कला के प्रति अपने जुनून को करियर में बदलने का फैसला एक अलग ढंग से किया। श्रद्धा बताती हैं, “मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि इस फील्ड में आऊंगी, पर आर्ट में मेरी हमेशा रुचि थी। पेंटिंग और क्राफ्ट में मेरी कुशलता ने मुझे कुछ नया और अलग करने के लिए प्रेरित किया।”

भोपाल से स्कूलिंग के बाद सोशल वर्क में डिग्री पूरी करने वाली श्रद्धा ने दिल्ली में मेकअप और हेयर स्टाइलिंग का कोर्स किया। हालांकि, इस क्षेत्र में गहराई से जाने के लिए उन्होंने बर्लिन, लंदन, दुबई और न्यूयॉर्क से भी एडवांस ट्रेनिंग ली। उनके अनुभव में आत्मविश्वास बढ़ने के साथ ही उनका करियर भी तेजी से आगे बढ़ा।

श्रद्धा की प्रोफेशनल जर्नी इंस्पायर करने वाली है। अपने 10 साल के अनुभव में उन्होंने बॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियों जैसे सुष्मिता सेन, दिया मिर्ज़ा, अदिति राव हैदरी, हुमा कुरैशी, बिपाशा बसु, अल्लू अर्जुन, लारा दत्ता, निम्रत कौर, शोभिता धुलिपाला, करिश्मा तन्ना और अन्य के साथ बतौर मेकअप आर्टिस्ट एंड हेयर स्टाइलिस्ट काम किया है। हाल ही में, उन्होंने दीया मिर्ज़ा की फिल्म “धक धक” और शोभिता धुलिपाला की सीरीज “द नाइट मैनेजर” जो कि हाल ही में एमी नॉमिनेटेड भी रही है, श्रद्धा ने उसमें भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। इसके साथ ही श्रद्धा ने विश्व प्रसिद्ध डिजाइनर सभ्य सांची और मनीष मल्होत्रा के साथ भी बतौर मेकअप एंड हेयर स्टाइलिस्ट काम किया है।

अपने सफल करियर के पीछे परिवार का समर्थन बताते हुए श्रद्धा कहती हैं, “मेरे माता-पिता, पति, भाई और ससुराल पक्ष के प्रत्येक सदस्य का साथ मेरे लिए सबसे बड़ी ताकत रही है। उनके भरोसे ने मुझे हमेशा आगे बढ़ने का हौंसला दिया।” और मेरे अभी तक के प्रोफेशनल करियर में मुझे मेरे हसबैंड का सपोर्ट हमेशा रहा है।

श्रद्धा का मानना है कि इस क्षेत्र में स्किल्स के साथ-साथ लोगों से संवाद की कला भी अहम है। उनके मुताबिक, “सिर्फ एक बार सीखी गई कला से संतुष्ट रहना सही नहीं है; खुद को अपडेट रखना और लगातार सीखते रहना जरूरी है।”

आगे श्रद्धा बतातीं हैं कि उनका लक्ष्य इसी क्षेत्र में टीचिंग में जाने का है। ताकि वे दूसरों को भी इस क्षेत्र में प्रशिक्षित कर सकें। जिससे इस इंडस्ट्री में नई प्रतिभाएं निखर कर सामने आ सकें।

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चंचल गोयल, अभिभावक, ग्वालियर, एमपी

मैंने अपने 15 साल के शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव के आधार पर देखा है कि प्राइमरी टीचर्स की बॉन्डिंग बच्चों के साथ बहुत अच्छी होती है।  यह उम्र के बच्चे अपने टीचर्स को फॉलो करते हैं और पेरेंट्स से भी लड़ जाते हैं। इसलिए, स्कूल और टीचर्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को खुश रखें।

अगर बच्चा अच्छा परफॉर्म करने लगे, तो पेरेंट्स उसे अपना हक मान लेते हैं। पेरेंट्स को विश्वास करना चाहिए कि जिस स्कूल में उन्होंने दाखिला कराया है, वह बच्चों के लिए सही है। लेकिन अपने बच्चों का रिजल्ट किसी और के बच्चे से कंपेयर नहीं करना चाहिए। आजकल के पेरेंट्स समझदार हैं और जानते हैं कि बच्चों को कैसी शिक्षा देनी है। किसी भी समस्या के लिए वे सीधे टीचर से बात कर सकते हैं, जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो सके।

प्रियंका जैसवानी चौहान, हेड मिस्ट्रेस, बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, ग्वालियर, एमपी

जुलाई का सत्र बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सबसे बड़ा वेकेशन होता है।  पेरेंट्स को बच्चों की लास्ट सेशन की पढ़ाई का रिवीजन कराना चाहिए ताकि वे आउट ऑफ रेंज न हो जाएं। शुरुआती अध्याय बच्चों की रुचि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होते हैं।

आगे वे कहते हैं कि प्रेशर का नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों प्रभाव होते हैं। आज की युवा पीढ़ी में 99% लोग बिजनेस और स्टार्टअप्स शुरू कर रहे हैं। पढ़ाई को लेकर बच्चों पर दबाव डालना गलत है, लेकिन भविष्य के लिए यह लाभदायक हो सकता है। बच्चों को गैजेट्स का सही उपयोग आना चाहिए, लेकिन उन पर पूर्णतः निर्भर होना गलत है।

तुषार गोयल, एचओडी इंग्लिश, बोस्टन पब्लिक स्कूल, आगरा, यूपी

वेकेशंस के दौरान बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह नहीं हटानी चाहिए। स्कूल द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स को धीरे-धीरे  करने से पढ़ाई का दबाव नहीं बनता। जब पढ़ाई फिर से शुरू होती है, तो बच्चों को अधिक दबाव महसूस नहीं होता। आजकल स्कूल बहुत मॉडर्नाइज हो गए हैं जिससे बच्चों को हेल्दी एटमॉस्फियर और खेल-खेल में सीखने को मिलता है।

एडमिनिस्ट्रेशन को बुक्स का टाइम टेबल सही तरीके से बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर वजन कम पड़े। स्कूल में योग और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियाँ भी शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे फिट रहें और उन्हें बैक प्रेशर न हो। टीचर और पेरेंट्स के बीच का कम्यूनिटेशन गैप काम होना चाहिए। बच्चों का एडमिशन ऐसे स्कूल में करें जिसका रिजल्ट अच्छा हो, भले ही उसका नाम बड़ा न हो।

डॉ. नेहा घोडके, अभिभावक, ग्वालियर, एम

बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत खेलते-कूदते करनी चाहिए ताकि उन्हें बोझ महसूस न हो। पेरेंट्स की अपेक्षाएं आजकल बहुत बढ़ गई हैं,  लेकिन हर बच्चा समान नहीं होता। बच्चों को अत्यधिक दबाव में न डालें, ताकि वे कोई गलत कदम न उठाएं। वे आगे कहती हैं कि आजकल बच्चे दिनभर फोन का उपयोग करते रहते हैं, और पेरेंट्स उन्हें फोन देकर उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें कम से कम समय के लिए फोन देना चाहिए।

दीपा रामकर, टीचर, माउंट वर्ड स्कूल, ग्वालियर, एमपी

हमारे स्कूल में पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल के समय में पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर समय कम दे पाते हैं। स्कूल द्वारा टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों का होमवर्क पेरेंट्स तक पहुँचाया जाता है ताकि वे बच्चों पर ध्यान दे सकें।

पेरेंट्स को बच्चों को गैजेट्स देते वक्त ध्यान रखना चाहिए की वह उसका कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मोबाइल का कम से कम उपयोग करने देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों के सामने बुक रीड करेंगे तो बच्चा भी बुक रीड करने के लिए प्रेरित होगा।

दीक्षा अग्रवाल, टीचर, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

अंकिता राणा, टीजीटी कोऑर्डिनेटर, बलूनी पब्लिक स्कूल, दयालबाग, आगरा, यूपी

वर्तमान समय में बच्चों को पढ़ाने की तकनीक में बदलाव आया है, आजकल थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। आजकल पेरेंट्स भी पहले से बेहद अवेयर हैं, क्योंकि अब बच्चों के करियर पॉइंट ऑफ व्यू से कई विकल्प हमारे सामने होते हैं जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेट करें।

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